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बुधवार, 11 अगस्त 2021

सदन में शिक्षा मंत्री का बड़ा खुलासा, हिमाचल में 131 स्कूलों में एक भी छात्र नहीं

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सदन में शिक्षा मंत्री का बड़ा खुलासा, हिमाचल में 131 स्कूलों में एक भी छात्र नहीं


सदन में शिक्षा मंत्री का बड़ा खुलासा, 1957 स्कूलों में दस से भी कम है छात्रों की संख्या



सरकारी स्कूलों में छात्रों की इनरोलमेंट बढऩे के कई दावे किए जाते हैं, लेकिन सरकार के आकंड़े कुछ और ही ब्यां कर रहे हैं। मंगलवार को रमेश सिंह धवाला के सवाल जवाब में शिक्षा मंत्री के लिखित जवाब में आया कि प्रदेश में 131 ऐसे प्राथमिक स्कूल हंै, जहां पर एक भी छात्र नहीं है। वहीं, 1957 ऐसे स्कूल हैं, जहां पर दस से कम छात्रों की पढ़ाई हो रही है। विधानसभा में बताया गया कि जिन स्कूलों में छात्र नहीं है, उन्हें बंद करने के सरकार की ओर से कोई संकेत नहीं है। शिमला के 485 सरकारी स्कूलों में 10 से भी कम छात्र हैं। वहीं, जिला के 32 स्कूलों में एक भी छात्र नहीं है।


प्राथमिक स्कूलों के इस आंकड़े से साफ तौर पर झलकता है कि अभी भी अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजना नहीं चाहते हैं।  विधायक रमेश धवाला के पूछे गए सवाल पर शिक्षा मंत्री ने यह जानकारी दी। हैरानी इस बात की है कि कई बार 10 से कम संख्या वाले स्कूलों को बंद करने की बात की गई, वहीं उन्हें नजदीकी स्कूलों के साथ भी मर्ज करने का मामला उठा है। अब देखना होगा कि कम संख्या वाले स्कूलों पर आगामी क्या फैसला सरकार आने वाले समय में करती है।


4000 शिक्षक भरे जाएंगे


सदन में आए एक सवाल पर शिक्षा मंत्री का लिखित जवाब आया कि 2021-22 के बजट भाषण में की गई घोषणानुसार शिक्षा विभाग में विभिन्न श्रेणियों के 4000 शिक्षकों के पदों को भरा जाना है। वहीं 577 पद कॉलेज प्राध्यापकों के भी भरे जाने प्रस्तावित हैं।


देहरा में 219 पद खाली


विधायक के  सवाल पर लिखित जवाब में शिक्षा मंत्री ने बताया कि देहरा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में विभिन्न श्रेणियों के 219 पद रिक्त हैं। इन रिक्त पदों को सीधी भर्ती एवं पदोन्नति द्वारा भरने के प्रयास जारी हैं।


जिला           स्कूल           स्कूल


              (शून्य छात्र)    (10 से कम छात्र)


बिलासपुर         08        76


चंबा                  10        155


हमीरपुर           06        64


कांगड़ा              24        288


किन्नौर            08        69


कुल्लू                08        98


लाहुल               01        147


मंडी                  27        335


शिमला             32        485


सिरमौर            03        112


सोलन             03        88


ऊना                 01        40


तीन साल में कुत्तों ने काटे दो लाख लोग, ग्र्रामीण विकास मंत्री ने जारी किया डाटा, साढ़े 12 हजार पशुओं को भी गड़ाए दांत


ग्र्रामीण विकास मंत्री ने जारी किया डाटा, साढ़े 12 हजार पशुओं को भी गड़ाए 

प्रदेश में तीन साल के भीतर दो लाख 550 लोगों को आवारा कुत्तों ने शिकार बनाया है। बुधवार को विस में ग्रामीण विकास मंत्री ने आशिष बुटेल और धनीराम शांडिल के पूछे गए सवाल के जवाब में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्ट्रे डॉग्स ने 12,682 पशुओं को भी काटा है। यह आंकड़े विधानसभा में 30 जून, 2021 तक के जारी किए गए। इसके साथ ही पशुगणना, 2019 के अनुसार 76 हजार 933 डॉग ऐसे हैं, जो कि खुले में घुम रहे है।


सदन में दी गई लिखित जानकारी के अनुसार अवारा कुत्तों की संख्या कम करने को लेकर एबीसी यानी की एनिमल बर्थ कंट्रोल कार्यक्रम चलाया गया है। सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पहली अप्रैल, 2019 से 25 जुलाई, 2021 तक 39 लाख 20 हजार की राशि एनिमल बर्थ कंट्रोल योजना के लिए जारी की गई है। इनकी जनसंख्या कम करने के लिए 40 हजार 130 स्ट्रे डॉग्स का भी टीका लगाया गया है। विधायक आशीष बुटेल व धनी राम शांडिल के सवाल पर ग्रामीण विकास मंत्री ने जवाब दिया कि बंदरों की जनसंख्या को कम करने के लिए अभी तक 1.70 लाख को टीका लगाया जा चुका है। (एचडीएम)


कोविड ने हिमाचल में 18 बच्चों से छीने माता-पिता


सदन में पूछे गए सवाल के जवाब में बताया गया कि अभी तक राज्य में कोविड से 18 बच्चे अनाथ हुए हैं। हमीरपुर में तीन, कांगड़ा चार, मंडी पांच, सिरमौर एक, सोलन एक, ऊना में चार बच्चों के सिर से माता-पिता का साया उठ चुका है। समाजिक न्याय अधिकारिकता मंत्री की ओर से आए जवाब के अनुसार कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों को सरकार द्वारा विस्तारित या असंबंधित परिवार या फिर रिश्तेदारों के पास पालन पोषण के लिए फोस्टर केयर में रखा जा रहा है। मंत्री ने कहा कि इन बच्चों के पालन पोषण के लिए 4000 रुपए की राशि हर माह प्रति बालक की दर से स्वीकृत की जा रही है। इसमें से 2500 रुपए प्रतिमाह की दर से बच्चे के पालन पोषण के लिए तथा 1500 रुपए प्रति माह की दर से एफ डी/आरडी के रूप में अनाथ बच्चे के नाम पर डाकघर /बैंक में जमा की जा रही है।

किन्नौर में गिरा पहाड़; दस की मौत, कई लापता, राहत- बचाव कार्य जारी


निगुलसरी में चट्टानों और मलबे ने सरकारी बस सहित आधा दर्जन वाहन पीस डाले, 13 लोगों की बचाई गई जान, राहत- बचाव कार्य जारी


रमन शर्मा — निगुलसरी (भावानगर)


किन्नौर जिले के निगुलसरी के चील जंगल के पास एक बड़े पहाड़ ने पांच वाहनों को बुरी तरह से पीस दिया है। हादसे की चपेट में लगभग तीन दर्जन लोग आए हैं, जिनमें से समाचार लिखे जाने तक दस शव बरामद कर लिए गए थे और 13 घायलों को बचाकर अस्पताल भेज दिया गया था। कितने लोग लापता हैं, कितने अभी तक दबे हैं और कितनों ने जिंदगी की जंग हारी है, कोई नहीं जानता। हादसा बुधवार दोपहर 12 बजे का है। एनएच 505 पर निगुलसरी के चील जंगल में एकाएक बड़ा पहाड़ गिर गया। इस दौरान वहां से गुजर रही एचआरटीसी के रिकांगपिओ डिपो की बस, एक ट्रक, एक आल्टो कार, एक सूमो और एक सेडान कार दब गईं। पहाड़ इतना खतरनाक टूटा कि बस लापता हो गई, सूमो बुरी तरह दब गई और आल्टो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। हादसे की सूचना जंगल की आग की तरह फैल गई। घटनास्थल पर सैकड़ों लोग जुट गए। हादसा इतना खतरनाक था कि लगभग दो घंटे तक पहाड़ गिरता रहा और वाहनों को मिट्टी और चट्टानों के आगोश में लेता रहा। खबर लिखे जाने तक रेस्क्यू कार्य जारी था, लेकिन पहाड़ी से पत्थरों के गिरने से राहत व बचाव कार्य में रुकावट आ रही थी। इस घटना में अपनी जान बचाने में कामयाब रहे बस ड्राइवर मोहिंद्र पाल ने बताया कि जिस स्थान पर पहले से ही ब्लॉक हुआ था, उस स्थान से करीब 100 मीटर पीछे बस को खड़ी कर  स्वयं अवरुद्ध मार्ग को देखने गया।




हादसे के शिकार


मीना देवी (41) वर्ष ननस्पो, नतीशा सुंगरा, कमलेश कुमार चालक पीपलूघाट अर्की, राधिका काफन, प्रेम कुमार लाबरंग, ज्ञानदास सापनी, वंशिका सापनी, देवी चंद प्लींगी, विजय कुमार जोल सुजानपुर, जबकि एक शव की पहचान नहीं हो पाई है।


घायलों की सूची


प्रशांत देला ऊना, वरुण मैनन देला ऊना, राजेंद्र टिक्कर सुजानपुर, दौलत पानवी, चरणजीत सिंह सरहंद, महेंद्र पाल चालक एचआरटीसी, गुलाब सिंह परिचालक एचआरटीसी, सवीण नेपाल, जापति देवी बोंडा, ज्ञानचंद ज्ञाबंग, अरुण बोंडा, अनिल, कालजंग स्कीबा।


ड्रोन से भी ढूंढे जा रहे लापता वाहन


हादसे के समय अखबार लेकर किन्नौर की ओर आ रहा एक वाहन भी मलबे की चपेट में आ गया। इस घटना में दबे वाहनों को निकालने के लिए आर्मी द्वारा क्रेन की भी मदद ली गई। इसी तरह घटना स्थल पर मलवे में दबे वाहनों को ढूंढने के लिए ड्रोन का भी सहारा लिया गया। खबर लिखे जाने तक 300 से ज्यादा जवान राहत कार्य में जुटे हुए थे, जबकि स्थानीय लोग भी प्रशासन की मदद कर रहे थे।



टीजीटी शिक्षकों के लिए हेडमास्टर पदोन्नति में हो स्पष्ट कोटा


कार्मिक विभाग के आदेश 30 साल लागू न करने के दोषी नहीं हैं शिक्षक


हिमाचल प्रदेश में हेडमास्टर कैडर के लिए फीडिंग काडर टीजीटी होने के बावजूद नाममात्र टीजीटी ही हेडमास्टर प्रमोट हो रहे हैं । कार्मिक विभाग ने वर्ष 1981 में ही साफ किया था कि जिन शिक्षक वर्गों के लिए पदोन्नति के दो विकल्प हैं , वे किसी एक विकल्प का लिखित रूप से चयन करेंगे मगर ये आदेश तीस साल धूल फाँकते रहे जिसके लिए टीजीटी जिम्मेदार नहीं हैं । 23 अप्रैल 1998 को शिक्षा विभाग ने प्रवक्ता या हेडमास्टर में से किसी एक प्रमोशन चैनल को चुनने हेतु आदेश जारी किए और जो प्रवक्ता बने , उनको हेडमास्टर न बनाने के आदेश हुए । मगर वर्ष 2004 में ये फैसला पलटा गया और प्रवक्ता को भी हेडमास्टर बनाया गया मगर भर्ती पदोन्नति नियमों में टीजीटी ही हेडमास्टर बनने के लिए पात्र थे । यह जानकारी देते हुए टीजीटी कला संघ प्रदेश महासचिव विजय हीर ने कहा कि हाईकोर्ट ने नीलम कौशल बनाम सरकार मामले में 26 जुलाई ,2010 को साफ किया था 26 अप्रैल , 2010 के बाद टीजीटी से प्रवक्ता या हेडमास्टर पदोन्नति हेतु अनिवार्य रूप से अंतिम विकल्प चयन घोषणा लेंगे । वर्ष 2012 में हेडमास्टर के 212 पदों पर सीधी भर्ती और 139 पदों पर पदोन्नति हुई जब हाईकोर्ट ने इसके बाद उभरे विनोद कुमार बनाम सरकार मामले में टीजीटी से प्रवक्ता पदोन्नत शिक्षकों को भी हेडमास्टर पदोन्नति का अवसर इस आधार पर देने हेतु कहा गया कि उनसे 26 अप्रैल,2010 से पूर्व पदोन्नति विकल्प नहीं मांगा गया था । शिक्षा विभाग ने भर्ती पदोन्नति नियम आज तक यही हैं कि 3 से 8 वर्ष शिक्षण अनुभव वाले टीजीटी ही हेडमास्टर प्रमोट होंगे । कैडर संख्या के आधार पर टीजीटी को हेडमास्टर पदोन्नति में स्पष्ट कोटा नहीं मिला है जिसके चलते टीजीटी बिना पदोन्नति सेवानिवृत्त हो रहे हैं और पदोन्नति लाभ ले चुके व्यक्ति फिर से प्रमोट हो रहे हैं । अगर कार्मिक विभाग के आदेश 30 साल बाद लागू किए गए तो इसके दोषी वर्तमान टीजीटी नहीं हैं । भर्ती पदोन्नति नियमों की बात करें तो हिमाचल शिक्षा विभाग की वर्ष 1975 की नियमावली के क्रम संख्या 11 पर हेडमास्टर के लिए तय 250-750 स्केल में पदोन्नति हेतु बेसिक शिक्षा डिप्लोमा, द्वितीय श्रेणी स्नातकोत्तर डिग्री व 5 वर्ष का शैक्षिक अनुभव अर्हता तय थी । उस समय भी टीजीटी कैडर ही इसका फीडिंग काडर था जिसके लिए गैर-स्नातकोत्तर भी पात्र बनाए गए और 24-12-1981 में स्केल 300-25-600 हुआ से 2008 की नियमावली में भी यही व्यवस्था जारी रही मगर टीजीटी वर्ग को जायज हक न मिला ।


जेबीटी से टीजीटी पदोन्नति सूची शीघ्र करें जारी


टीजीटी कला संघ प्रदेश महासचिव विजय हीर ने कहा कि जेबीटी से टीजीटी पदोन्नति सूची में विलंब अब सहन नहीं किया जाएगा । शिक्षा विभाग डीपीसी की प्रक्रिया पूर्ण करते हुए इस सूची को चुनाव आचार संहिता से पहले जारी करे क्योंकि इसके संदर्भ में पैनल तैयार है और विभागीय औपचारिताएँ ही शेष हैं ।


सोशल मीडिया की फर्जी पोस्ट से रहो सावधान, नौकरी के नाम पर फर्जी पत्र जारी करने पर कृषि विवि प्रबंधन ने की अपील


प्रदेश कृषि विवि में नौकरी को लेकर फर्जी पत्र भेजे जाने का मामला सामने आया है, जिसका तुरंत संज्ञान लेते हुए विवि प्रबंधन ने बकायदा सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को ऐसी बातों से सावधान रहने की सलाह दी है। लोगों को जागरुक करते हुए विवि प्रबंधन ने ऐसे तमाम मामलों की पुष्टि विवि से करने का आग्रह किया है। जानकारी के अनुसार विवि से ऐसे कुछ लोगों ने संपर्क साधा है जिनको विवि में नौकरी का पत्र जारी किया गया है। विवि प्रबंधन ने कहा है कि नौकरी आदि के विषयों पर विवि प्रबंधन पूरी पारदर्शिता बरतता है और इस संबंध में सभी नियमों का अक्षरश: पालन किया जाता है। इसलिए लोग अपनी तरफ से कोई कोताही न बरतें और ऐसे शरारती तत्त्वों से सावधान रहें। गौर रहे कि बीते समय के दौरान भी ऐसे मामले सामने आते रहे हैं और अधिकारियों की फर्जी मेल की घटनाएं भी सामने आई हैं। कृषि विवि के प्रवक्ता ने आग्रह किया है कि ऐसे मामलों में विवि प्रशासन से क्रॉस चैक

अवश्य करें।



केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले प्रधान सचिव केके पंत


हिमाचल सरकार के प्रधान सचिव केके पंत का केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने का रास्ता साफ हो गया है। अब कमलेश कुमार पंत फार्मास्यूटीकल विभाग में नेशनल फार्मास्यूटीकल प्राइसिंग अथॉरिटी का चेयरमैन होंगे। केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय की तरफ से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। वर्ष 1993 बैच के आईएएस अधिकारी कमलेश कुमार पंत राज्य सरकार में प्रधान सचिव है। उनके पास राजस्व, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण सहित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कार्यभार है। बताते चलें कि कमलेश कुमार पंत ने करीब छह महीने पहले केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन किया था। लंबे इंतजार के बाद केंद्र सरकार ने इस पर मोहर लगाते हुए इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तहत अब उन्हें केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी देते हुए अब कमलेश कुमार पंत को फार्मास्यूटीकल विभाग में नेशनल फार्मास्यूटीकल प्राइसिंग अथॉरिटी का चेयरमैन बनाया गया है।



दो घंटे तक दबे रहे ड्राइवर-कंडक्टर


मूरंग से हरिद्वार के लिए निकली बस आई मलबे के चपेट में



बुधवार दोपहर साढ़े बारह बजे मूरंग से हरिद्वार जा रही बस जैसे ही न्यूगसरी पहुंची, तो पता चला कि आगे कुछ दूरी पर पहाड़ से पत्थर गिर रहे हैं। इसी दौरान रामपुर से रिकांगपिओ जा रही एचआरटीसी की बस सुरक्षित निकल गई। हरिद्वार बस के ड्राइवर-कंडक्टर बस को सड़क किनारे खड़ा कर जानने की कोशिश करने लगे, तो पता चला कि आगे पत्थर गिर रहे हैं। कंडक्टर गुलाब सिंह ने ड्राइवर से कहा कि अभी लग नहीं रहा कि हम आगे निकल पाएंगे। ऐसे में बस को वहीं खड़ा कर स्थिति के सामान्य होने का इंतजार करते हैं। कंडक्टर ने बताया कि दोनों बस की तरफ वापस जा रहे थे, तो उसी समय आधे मिनट में जहां बस खड़ी थी, उसके ऊपर पूरा पहाड़ गिर आया। पहाड़ ने बस समेत वहां पर खड़े हर वाहन को चपेट में ले लिया। कंडक्टर के मुताबिक बस में 24 सवारिया थी, इसमें तीन या चार महिलाएं भी हैं। कंडक्टर ने बताया कि ड्राइवर सहित वह भी लबे की चपेट में आ गया। दोनों ने जान बचाने के लिए एक चट्टान के नीचे जगह तलाशी। मलबा आने के बाद वे दोनों काफी समय तक चट्टान के नीचे ही रहे। चट्टान के बाहर पूरी तरह से मलबा था, पूरा अंधेरा ही दिख रहा था। दोनों आपस में एक-दूसरे के हौसला देते रहे। शुरू में तो मोबाइल चल रहा था, लेकिन बाद में मोबाइल बंद हो गया। साढ़े 12 बजे से लेकर काफी समय तक मलबे न हटने तक चट्टान के नीचे ही खड़े रहे। जब रेस्कयू टीम आई, तो इन्हें निकाला गया। कंडक्टर गुलाब सिंह की दोनों टांगें चट्टान से बाहर रह गई थीं, इसलिए टांगों में चोटें आई हैंं। तीन बजे के लगभग उन्हें बाहर निकाला गया।



सुप्रीम कोर्ट का सभी राज्यों को आदेश, उपभोक्ता अदालतों में आठ हफ्ते में भरो खाली पद


सुप्रीम कोर्ट का सभी राज्यों को आदेश; पूछा, किस शुभ मुहुर्त का हो रहा इंतजार


उच्चतम न्यायालय ने उपभोक्ता अदालतों में खाली पड़े पदों पर नियुक्तियां न किए जाने को लेकर गहरी नाराजगी जताते हुए बुधवार को राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को इन पदों पर आठ हफ्ते के भीतर नियुक्तियां करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान नाराजगी भरे लहजे में कहा कि क्या राज्य सरकारों को इस बाबत कदम उठाने के लिए कोई शुभ मुहुर्त की आवश्यकता है?


खंडपीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जिला और राज्य आयोगों में सालों से खाली पदों पर आठ सप्ताह के भीतर नियुक्तियां करने का आदेश दिया। इतना ही नहीं, खंडपीठ ने आगाह भी किया कि यदि उसके आदेश का पालन नहीं हुआ तो वह संबंधित राज्य के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का आदेश जारी करेगी।


घोड़े की एंटीबॉडी से कोरोना की दवा, भारतीय कंपनी का कमाल, 90 घंटे में ठीक होंगे मरीज


भारत में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है और अब तक देशभर में 3.2 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं। इस बीच अच्छी खबर आई है और महाराष्ट्र के कोल्हापुर की कंपनी आईसेरा बॉयोलॉजिकल कोविड-19 की नई दवा का परीक्षण कर रही है, जिससे कोरोना संक्रमित मरीज सिर्फ 90 घंटे में ठीक हो जाएंगे। आईसेरा बॉयोलॉजिकल की कोरोना की दवा घोड़ों की एंटीबॉडी से बनाई गई है, जो कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज अहम भूमिका निभाएगी। अगर यह दवा सभी परीक्षणों में सफल होती है तो यह इस तरह की भारत की पहली स्वदेशी दवा होगी, जिसका इस्तेमाल संक्रमण के इलाज के लिए किया जाएगा। आईसेरा बॉयोलॉजिकल कंपनी के अधिकारियों का दावा है कि दवा का पहले फेज का ट्रायल चल रहा है और अभी तक जो नतीजे सामने आए हैं, वे काफी अच्छे रहे हैं।


शुरुआती परीक्षण में इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना संक्रमित रोगियों की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट 72 से 90 घंटों के अंदर ही नेगेटिव हो जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस की दवा बनाने वाली आईसेरा बॉयोलॉजिकल कंपनी सिर्फ चार साल पुरानी है और कोरोना रोधी दवा बनाने में पुणे की सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया ने भी मदद की है। दावा है कि कंपनी ने एंटीबॉडीज का एक ऐसा कॉकटेल तैयार किया है, जो कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षण वाले मरीजों में संक्रमण को फैलने से रोक सकता है और शरीर में मौजूदा वायरस को भी खत्म कर सकता है।



राज्यसभा में भी ओबीसी आरक्षण बिल पारित


नई दिल्ली – लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी बुधवार को ओबीसी आरक्षण संशोधन विधेयक को पारित कर दिया। अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही राज्यों को फिर से अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) की सूची बनाने का अधिकार मिल जाएगा। राज्यसभा में इस विधेयक के पक्ष में 187 मत पड़े, जबकि विरोध में शून्य। करीब पांच घंटे तक चली चर्चा के बाद सदन ने इसे मत विभाजन के जरिए पारित कर दिया।

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