कांगड़ा एयर पोर्ट को निजी कंपनी को बेचने के सरकार के फैसले से यह जग जाहिर हो गया है कि बहुचर्चित एवं प्रस्तावित नागचला बल्ह एयर पोर्ट के नाम से किसानों की बेशकीमती एवं प्रदेश की सबसे उपजाऊ भूमि को गरीब व मझोले किसानों से हथिया कर इसे भी पूँजीपतियों के हवाले किया जाएगा
BHK NEWS Mandi Yadvinder
कांगड़ा एयर पोर्ट को निजी कंपनी को बेचने के सरकार के फैसले से यह जग जाहिर हो गया है कि बहुचर्चित एवं प्रस्तावित नागचला बल्ह एयर पोर्ट के नाम से किसानों की बेशकीमती एवं प्रदेश की सबसे उपजाऊ भूमि को गरीब व मझोले किसानों से हथिया कर इसे भी पूँजीपतियों के हवाले किया जाएगा। हिमाचल किसान सभा की मंडी जिला कमेटी ने सरकार से मांग की है कि बल्ह में एयर पोर्ट के नाम पर किसानों की जमीन छीनने की योजना को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाये। हिमाचल किसान सभा के जिला अध्यक्ष कुशाल भारद्वाज, वरिष्ठ उपाध्यक्ष परस राम, कोषाध्यक्ष हेम राज, बिहारी लाल व परमानन्द शर्मा ने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा कि प्रस्तावित एयर पोर्ट प्रभावित किसान संघर्ष समिति तथा आम जनता के संघर्ष का पूरा समर्थन करती है तथा किसानों की जमीन को एयर पोर्ट के नाम पर हथियाने की सरकार की योजना को हिमाचल किसान सभा किसी भी हालत में पूरा नहीं होने देगी। इसके लिए क्षेत्र के किसानों व आम जनता को संगठित कर शीघ्र ही तीखा संघर्ष शुरू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों को यह गलतफहमी है कि यहाँ पर हवाई अड्डा बनने से उन्हें फायदा होगा उनकी आँखें इस बात से खुल जानी चाहिए कि प्रदेश के तीन हवाई अड्डों में से सबसे व्यस्ततम कांगड़ा हवाई अड्डे को निजी कंपनी को बेचने का फैसला हो गया है। शिमला व कुल्लू के हवाई अड्डे में आवाजाही कम रहती है इसलिए घाटे का सौदा होने के चलते पूंजीपति इनको खरीदना नहीं चाहते हैं। बल्ह क्षेत्र के किसानों की जमीन छीनने के लिए अनराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने का सपना दिखाया गया। बल्ह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से कृषि बहुल क्षेत्र रहा है। इसकी उर्वरकता के चलते इसे मिनी पंजाब भी बोला जाता है। रियासती काल से ही यहाँ की भूमि राजा द्वारा स्थापित सामंतों, साहूकारों के पास थी। किसानों के लंबे संघर्ष के बाद जमीन पर किसानों को मालिकाना हक मिला।
प्रदेश सरकार को यह बात समझनी होगी कि इस जमीन के अधिग्रहण से इस क्षेत्र की करीब 12000 से अधिक आबादी उजड़ जायेगी तथा रोजगार विहीन हो जायेगी। यहां को किसान नकदी फसलें उगाते हैं, दूध उत्पादन करते हैं, हर परिवार के पास कम से कम एक गाय/भैंस है और कुछ किसान बड़ी डेयरी का काम भी करते हैं। कुछ किसान रेशम उत्पादन करते हैं। अपनी आजीविका कमाने के लिए भेड-बकरी और मुर्गी पालन का कार्य भी करते हैं। कुछ लोगों ने यहाँ उद्योग धंधें स्थापित किए हैं, निर्माण उद्योग से जुडी मशीनरी भी काफी नौजवानों ने स्थापित की है जिस से रोजगार चलता रहे। यहाँ जमीन के नीचे 10--12 फुट पर पानी उपलब्ध है और जो अति आधुनिक सिंचाई सुविधा का प्रावधान इस क्षेत्र में है वह हिमाचल में कहीं पर भी नहीं मिलेगा, जिसके चलते किसान तीन से चार फसल ले पाते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित क्षेत्र में लगभग 15 कृषि सिंचाई योजनायें व 15 के लगभग पीने के पानी की योजनायें पूरी तरह से बर्बाद हो जायेगी, जिससे बल्ह के उपरी क्षेत्र को पानी से महरूम होना पड़ेगा।
प्रस्तावित हवाई अड्डे के लिए 8 गांव की 3500 बीघा ज़मीन अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित है जिसमे 3040 बीघा निजी ज़मीन है और 460 बीघा सरकारी भूमि है। सरकार के मुताबिक 550 रिहायशी घर प्रस्तावित हवाई अड्डे में आएंगे लेकिन रिहायशी मकान आज के समय में लगभग 2500 के करीब हैं जो पूरी तरह से उजाड दिए जायेंगे I सरकारी भूमि में एक मात्र खेल का मैदान कन्सा चौक ( नेरचौक नगर परिषद् ) में है, यह खेल का मैदान बल्ह विधान सभा क्षेत्र और नाचन विधान सभा क्षेत्र, इन दोनों क्षेत्रों के लिए एक ही खेल का मैदान है, वह भी समाप्त हो जाएगा।
इस क्षेत्र में अधिकांश आबादी दलित, अन्य पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक समुदाय कि है, जो पूरी तरह से उजड़ जाएगी। प्रस्तावित हवाई अड्डा क्षेत्र में 200 से अधिक छोटी-छोटी दुकाने हैं, इसके अलावा कृषि के आधुनिक उपकरण/ मशीनरी, ट्रेक्टर, आरा मशीनरी, जेसीबी मशीने, ट्रक , टेम्पो, मिकसर, मीट ब मुर्गा के व्यापार में लगभग 1000 लोग लगे है जो बेरोजगार हो जायेंगे और उन्हें बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ेगा।
प्रस्तावित हवाई अड्डे के निर्माण से कुल मिलाकर 2500 परिवार ब 12000 आबादी उजड जाएगी और वो कंहा जायेगी, सड़क, पानी. शिक्षा, सवास्थ्य, बाज़ार ब आधुनिक सुबिधाओं से बंचित हो जायेगा इसलिए इसे क्यों उजाड़ा जा रहा है।
यदि सरकार एयर पोर्ट के नाम पर यदि क्षेत्र के किसानों को उजाड़ने की हठधर्मिता को नहीं छोडती है तो हिमाचल किसान सभा उग्र आंदोलन शुरू कर देगी। हिमाचल किसान सभा प्रस्तावित एयर पोर्ट के सभी प्रभावितों और उनके द्वारा बनाई गई संघर्ष समिति की मांगों का पूरा समर्थन करती है तथा इस हवाई अड्डे को किसी अन्य वैकल्पिक स्थान पर बनाए जाने की मांग करती है ताकि कम से कम आबादी प्रभावित हो और इस तरह प्रदेश की सबसे ऊपजाऊ कृषि भूमि को बचाया जा सके, तथा हजारों लोगों को उजड़ने से बचाया जा सके। किसानों से जमीन लेकर बाद में इसे पूँजीपतियों के हवाले करने की योजना का अब भण्डाफोड़ हो चुका है और जरूरत पड़ी तो इसे सिर्फ बल्ह के किसानों के आंदोलन तक सीमित न रख कर पूरे प्रदेश के किसानों का आनोदलन बनाया जाएगा।
कुशाल भारद्वाज
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