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धर्मपुर में सिंचाई योजनाओं में सरकारी धन के दुरुपयोग की हो जांच-किसान सभा

 धर्मपुर में सिंचाई योजनाओं में सरकारी धन के दुरुपयोग की हो जांच-किसान सभा

अरबों रुपए खर्च करने के बाद भी खेतों में नहीं पहुंचा पानी




धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में जलशक्ति विभाग में  पिछले चार साल में सिंचाई योजनाओं पर 1 अरब से ज़्यादा बजट ख़र्च किया गया है लेकिन इतना अधिक ख़र्च करने के बाद भी किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंचा है।हिमाचल किसान सभा खण्ड कमेटी के अध्यक्ष रन्ताज राणा महासचिव सुरेश शर्मा, बाला राम, रामचन्द ठाकुर, सुरेश वर्मा,भाग सिंह लखरवाल,मेहर सिंह, सुखराम ठाकुर,मिलाप चन्देल, कश्मीर सिंह, प्रताप सिंह, करतार सिंह, प्रकाश सकलानी, रूप लाल विष्ट, रूपचन्द, सूरत सिंह, टेक सिंह,रणबीर शास्त्री, हेमराज, ओमप्रकाश, मोहन लाल, नेक राम,कृष्ण देव, बालम राम इत्यादि के हैरानी जताई है कि सिंचाई के लिए बनी  दो दर्ज़न स्कीमों पर इतना अधिक पैसा खर्च कर दिया गया है लेकिन किसानों को खेती के लिए अभी तक किसी भी स्कीम का पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है जो खुलेआम सरकारी धन का दुरूपयोग का मामला है।पूर्व ज़िला सदस्य भूपेंद्र सिंह ने बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 में उठाऊ सिंचाई योजनाओं पर 17 करोड़ 65 लाख रुपये वर्ष 2019-20 में 34 करोड़ 37 लाख रुपये वर्ष 2020-21में 38 करोड़ 10 लाख रुपये तथा वित्त वर्ष 2021-22 में 22 करोड़ 33 लाख रुपये ख़र्च किया गया है तो कुल मिलाकर एक अरब 12 करोड़ 56 लाख रुपये बनता है।इसके अलावा प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत बागवानी विभाग की शिवा परियोजना के लिए सिंचाई हेतु पानी देने के लिए 1 करोड़ 11 लाख रुपये अलग से खर्च किया गया है।भूपेंद्र सिंह ने बताया कि धर्मपुर मण्डल में सिंचाई योजनाओं पर जो खर्चा दर्शाया गया है वह आम लोगों की कल्पना से भी परे है कियूंकि अभी तक कहीं पर भी सिंचाई योजना चालू नहीं हुई है तो फ़िर ये एक सौ बारह करोड़ रुपये कहाँ ख़र्च किये गए हैं।उन्होंने आरोप लगाया है कि पाइपों की खरीद में बड़े पैमाने पर कमीशन खाई गयी है और यूनिप्रो कम्पनी जो जलशक्ति मंत्री की पसंद की कंपनी है उसको ख़ूब पैसा लुटाया गया है।भूपेंद्र सिंह ने बताया कि अगर आज के दिन इसकी निष्पक्ष जांच करवाई जाती है तो बहुत बड़ा घोटाला सामने आएगा।उन्होंने कहा कि बागवानी विभाग के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत भी सवा करोड़ रुपए खर्च किये गए बताये हैं लेक़िन शिवा परियोजना के तहत अभी तक केवल चार ही क्लस्टर चालू हुए हैं जिनमें सबसे पहले दबरोट-बिंगा क्लस्टर तैयार हुआ है जिसमे इस वर्ष अमरूद की फसल तैयार हो गई है लेकिन इस बगीचे में जो पानी सप्लाई हो रहा है वह बहरी-ध्वाली सिंचाई योजना से दिया जा रहा है जो पहले से ही बनी हुई योजना है और इसी प्रकार डरवाड़ में बने क्लस्टर के लिए भी पेयजल स्कीम का पानी सप्लाई हो रहा है तो फ़िर प्रधानमंत्री सिंचाई योजना से पानी कहाँ दिया जा रहा है और कहां पर सवा करोड़ ख़र्च किये गए हैं इसकी भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिये।उन्होंने आरोप लगाया है कि ये सब जलशक्ति मंत्री की अनुमति से ही हो रहा है और दो तरह की स्कीमों को गडमड किया गया है जिसमें बड़े पैमाने पर पैसे का दुरुपयोग हुआ है और इसमें लाखों रुपये बनाये गये हैं।इसलिए मुख्यमंत्री को इसकी उच्च स्तरीय व निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए ताकि दूध का दुध और पानी का पानी को सके और यहां पर हुए भ्र्ष्टाचार में शामिल अधिकारियों और नेताओं को सज़ा मिल सके।




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