फ़ॉलोअर

गुरुवार, 23 जून 2022

पर्यटन की दृष्टि से प्रदेश सरकार सुविधाएं उपलब्ध करवाएं तो गढ माता पर्यटन स्थल पूरे प्रदेश का पर्यटन हब बन सकता है - अभिलाष शर्मा*

 *पर्यटन की दृष्टि से प्रदेश सरकार सुविधाएं उपलब्ध करवाएं तो गढ माता पर्यटन स्थल पूरे प्रदेश का पर्यटन हब बन सकता है - अभिलाष शर्मा*


BHK NEWS HIMACHAL

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र धर्मशाला के राजनीतिक शास्त्र विभाग के विद्यार्थी अभिलाष शर्मा का कहना है कि जिला चंबा के उपमंडल सलुणी उपतहसील तेलका  मे स्थित गढ़ माता मंदिर प्राकृतिक सुंदरता के साथ देवीय मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है पीर पंजाल पर्वत रेंज में स्थित गढ़ माता (चामुंडा माता) स्थल भी पर्यटक का हब बन सकता है। ट्रैकिग स्थल बनाने के साथ यहां पर्यटकों को सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। समुद्रतल से करीब 9500 मीटर की ऊंचाई पर जम्मू कश्मीर व हिमाचल की सीमा पर  लोगों का आकर्षण केंद्र है बर्फ से ढकी पीरपंजाल पवर्त चोटियों के अलावा हरे भरे जंगल इसकी सुंदरता और भी आकर्षक बना रहे हैं।


 

जम्मू कश्मीर व हिमाचल सीमा पर स्थित गढ़ नामक पर्यटक स्थल के जम्मू के जिला कठुआ तहसील (बसोली) और हिमाचल के जिला चबा (सलूणी) की सीमा पर पड़ता है। डलहौजी से 83 व चंबा से 58 किलोमीटर सड़क का रास्ता पार करने के बाद दो से तीन घंटे पैदल चल कर यहां पहुंच सकते हैं। उप तहसील तेलका  से चिहु की गली नामक स्थान तक पहुंचने के वाद पैदल  6  किलोमीटर तो किलोड़ सड़क से करीब आठ किलोमीटर व किहार सड़क से 10 किलोमीटर का मार्ग पैदल चलकर इस स्थल तक पहुंच सकते हैं।



राजा पृथ्वी सिंह ने किया था मंदिर का निर्माण



किसी अन्य रियासत में बंदी राजा को रिहा करवाने पर राजा पृथ्वी सिंह ने मंदिर का निर्माण करवाया था। जेल से रिहा होने पर राजा उपमंडल सलूणी की इन पहाड़ियों पर पहुंच गए। राजा रात को एक स्थान पर रुके तो अचानक आसमान में जोरदार गर्जना के साथ बिजली एक शिला पर गिरी और यह फट गई। उसमें से माता ने राजा को दर्शन दिए और फिर त्रिशूल रूप में विराजमान हो गई। तब से यहां का नाम स्थानीय भाषा में (चोंडी की घोड़ी ) चामुंडा का पत्थर पड़ा। उसके बाद राजा ने उक्त स्थान पर मंदिर का निर्माण किया था। उक्त स्थल पर राजा द्वारा बनाया मंदिर मिट गया है, लेकिन लोगों की आस्था कम नहीं और अब मंदिर का निर्माण नए सिरे से किया गया है। लोग हर वर्ष मंदिर में नई फसल चढ़ाते हैं।



प्रकृति के दिखते हैं नजारे



गढ़ मंदिर पहुचंने के लिए जिस भी रास्ते से गुजरो, हर ओर बिखरी प्रकृति की अद्भुत छटा मन को सुकून देती है। सलूणी से किलोड़-रोड पर प्रवेश करते ही देवगाह की खूबसूरत देवदार के घने जंगल और त्रिन्युन्द माता की छोटी-छोटी पहाड़ियां हर किसी को आकर्षित करती हैं। मार्ग में पड़ने वाले नाले व झरने मन को हर लेते हैं। इसी तरह डिभरी धार, सयूनी धार, टापरू झील, चोंडी की घोड़ी राजे रा डेरा, गढ़ माता मंदिर और झील और चली स्थान पर शिव मंदिर यह सारे स्थान गढ़ माता रास्ते में मौजूद हैं, जो बेहद खूबसूरत हैं। गढ़ पहाड़ी से सैलानी प्रसिद्ध पर्यटन स्थल डलहौजी खजिजयार, डेनकुंड, गोबिद सागर बांध, पंजाब व जम्मू के कुछ क्षेत्रों को निहार सकते हैं।



जिला चंबा  की उप तहसील तेलका की पहाडि़यों पर पड़ने वाले गढ़ माता नामक पर्यटन  स्थल विकसित किया जाए तथा साथ सैलानियों को सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाए।

गढ़ माता ट्रैकिग स्थल को पर्यटक की दृष्टि से विकसित होने पर देशभर से सैलानी यहां पहुंचेंगे। तथा साथ ही क्षेत्र के बेरोजगार लोगों को रोजगार के साधन भी उपलब्ध होंगे 

जिला चंबा के उपमंडल सलुणी के  तेलका क्षेत्र में स्थित गढ माता मंदिर  ना केवल प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है हालांकि यह स्थान देवी शक्ति व दैवीय मान्यताओं के लिए भी प्रसिद्ध है लोगों की आस्था है कि चामुंडा माता के पास जो श्रद्धालु अपनी मनोकामना को लेकर जाता है तो माता उनकी मनोकामना पूरी करती है प्रदेश सरकार व प्रशासन से आग्रह है कि पर्यटन की दृष्टि से इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जाए



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें