*सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के भवन को निजी महाविद्यालय को सौंपना दुर्भाग्यपूर्ण- दिशांत जरयाल*
*प्रदेश सरकार निरंतर कर रही विश्वविद्यालय की स्वायत्तता से खिलवाड़ : अभाविप*
*सरकारी शिक्षण संस्थानों की संपति का निजीकरण करना छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ - दिशांत जरयाल*
*एसपीयू मंडी विश्वविद्यालय के भवन को निजी शिक्षण संस्थानों को सौंपने वाली प्रदेश सरकार मुर्दाबाद: अभाविप*
*दिनांक* *01/12/2024*
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आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत सह मंत्री दिशांत जरयाल ने बताया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन होने के नाते अपने स्थापना दिवस से लेकर 76 वर्षों की गौरव शाली यात्रा पूरी कर चुकी है परिषद अपने स्थापना काल से ही छात्र हित और समाज हित के लिए आवाज बुलंद करती आई है। इसी संदर्भ में प्रदेश सह मंत्री दिशांत जरयाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि बीते दिनों प्रदेश के सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के साथ होते खिलवाड़ की खबर सामने आई है।
उन्होंने बताया कि सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी से पहले इस विश्वविद्यालय को कलस्टर विश्वविद्यालय दर्जा दिया गया था जो कि अब प्रदेश विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाने लगा है 1 अप्रैल, 2022 को हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार की अधिसूचना संख्या EDN-A-Ka(1)-17/2021, दिनांक 28 फरवरी, 2022 के अनुसार एक राज्य सरकार विश्वविद्यालय के रूप में अस्तित्व में आया। सरदार पटेल विश्वविद्यालय, मंडी को UGC का 2(f) दर्जा प्राप्त है और इसका अधिकार क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के 5 जिलों पर था , जो कि वर्तमान सरकार ने घटा कर 2 जिलों तक कर दिया । विश्वविद्यालय परिसर में यूजी, पीजी और शोध कार्यक्रम पेश किए जा रहे हैं। परंतु वर्तमान सरकार के अस्तित्व में आते ही इस विश्वविद्यालय के साथ सौतेला व्यवहार देखने को मिल रहा है सरकार आते की एसपीयू के दायरे को घटाने का काम , नए शिक्षण संस्थान खोलने की जगह शिक्षण संस्थानों को बंद करना या शिक्षण संस्थानों की संपति को बेचने जैसे काम को प्रदेश सरकार ने गति दी।
दिशांत ने बताया कि बीते दिन भी प्रदेश में खबर सामने आई कि जो शिक्षण संस्थान सुंदरनगर में स्थित था लेकिन कलस्टर विश्वविद्यालय के समय से एसपीयू मंडी की संपति के अंतर्गत आता था जो कि 10 करोड़ की लागत से बन कर तैयार हुआ ऐसे परिसर को मंडी विश्वविद्यालय परीक्षाओं के समय परीक्षा केंद्र के रूप में उपयोग लाता था।
उस सरकारी संपति को वर्तमान सरकार उच्च शिक्षा निदेशक से अधिसूचना जारी करवा के निजी महाविद्यालय एम.एल.एस.एम. के नाम करवा जिस से सीपीयू मंडी की स्वायत्तता से एक बार फिर प्रदेश की सरकार द्वारा खिलवाड़ किया गया। परिसर का निर्माण 10 करोड़ सरकारी लागत से हुआ उसी परिसर को निजी महाविद्यालय को सौंप दिया गया। इस भवन में न केवल कक्षाओं के लिए बल्कि लैब और सेमिनार हॉल जैसी सुविधा को मध्यनजर रखते हुए बनाया गया है
*प्रदेश सरकार द्वारा निकाले गए ऐसे तुगलकी फरमानों से प्रदेश भर के छात्रों के साथ खिलवाड़ करने का प्रदेश सरकार कर रही है।*
अंत में दिशांत ने कहा कि परिषद हमेशा छात्र हित के लिए तत् पर रहती है यदि प्रदेश सरकार अपने इस फैसले को वापिस नहीं लेती है तो परिषद आने वाले समय में उग्र से उग्र आंदोलन करने से गुरहेज नहीं करेगी।
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