*आंसुओं के टपकते पापा पुकारती रही बेटियां*,
*पंचतत्व में विलीन हुए रिवाड़ी गाँव के संतोष शर्मा*
*दाह संस्कार में बेटी ने दी पिता को मुख़ाग्नि*
उमाशंकर दीक्षित
दलाश (कुल्लू )। दलाश के साथ लगते गाँव रिवाड़ी के संतोष शर्मा (58वर्ष) अब इस दुनिया में नहीं रहे। बेटियां आंसूओं के टपकते पापा पुकारती रही जबकि उनका पार्थिव शरीर वीरवार को पंचतत्त्व में विलीन हो गया। सतलुज के किनारे अंतिम संस्कार में उनकी बेटी ने उन्हें मुख़ाग्नि दी।
अध्यापक संतोष शर्मा एक लम्बी बीमारी से पीड़ित थे जो बुधवार की रात को अपनों को छोड़कर इस दुनिया से चल वसे। वे अपनी तीन बेटियां रश्मि, निधि, युक्ति तथा पत्नी निशा व माता पिता को पीछे छोड़ गए। उनका पीजीआई चंडीगढ़ तथा आई जी एम सी शिमला से इलाज चल रहा था परन्तु डॉक्टर उनकी जिंदगी को नहीं बचा पाए। बीमारी से उनको काफ़ी पीड़ा हो रही थी एकाएक निधन से परिवार जनों व संबंधियों का रो रोकर बुरा हाल है तथा बेटियों, माता पिता और भाई बहनों को उनकी मृत्यु का सदमा लगा है। मौत की खबर सुनते ही पूरे गाँव में मातम छा गया है। वे प्राइमरी स्कूल में अध्यापक थे जो सेवानिवृति तिथि से दो साल पहले अपूर्ण अवधि में 56 वर्ष पर स्वास्थ्य खराब होने से रिटायर हो चुके थे। संतोष शर्मा एक ईमानदार, नेक, कोमल स्वभाव तथा शालीन व्यक्ति थे। गाँव में उनकी सज्जनता एक मिसाल पेश किये हुए है। एक स्वच्छ छवि वाले व्यक्ति का चल वसना गाँव के लिए अपूरणीय क्षति है। अब वे इस दुनिया में नहीं हैं। लोग शोक संतप्त परिवार को सांत्वना देने घर पहुंच रहे हैं।
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