गढ़ माता मन्दिर को पर्यटक स्थल का दर्जा मिलने पर भी सड़क सुविधा से कोसों दूर
तेलका पवन भारद्वाज
जम्मू कश्मीर व चंबा की सीमा पर स्थित गढ़ माता मंदिर आज के इस मशीनी युग में भी सड़क सुविधा के लिए तरस रहा है।
आलम यह है कि सड़क सुविधा ना होने पर लोगों को मीलों दूर पैदल सफर कर मंदिर तक पहुंचना पड़ रहा है। समर के मौसम में मंदिर के आस- पास हरि- भरी वादियों में लगे प्राकृतिक फूलों से यहां आने वाले लोग व पर्यटक भी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
ऐसे में तत्कालीन सरकार ने झौड़ा से गढ़ माता मंदिर के लिए वर्ष 2006 में कार्य शुरू करवाया था जो कि लगभग 2.5 किलोमीटर दूर किनोट नामक स्थान पर जाकर रुक गया। इस मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से गूगल मैप पर भी स्थान मिल चुका है।
बावजूद इसके यहां 15 वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकार,प्रशासन,व विभाग ने इस सड़क मार्ग की सुध लेना जरूरी नहीं समझा।
यहां अश्विन माह की सक्रांति को दो दिवसीय जातर मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें जिला चंबा व जम्मू कश्मीर के हजारों की तादात में श्रद्धालु आते हैं व माता का आशीर्वाद लेकर जाते हैं।
यहां लोगों को सड़क मार्ग न होने के कारण खड़ी पगडंडी का रुख करना पड़ता है। जिसमें लोगों को 3 से 4 घंटे का पैदल सफर तय करना पड़ता है।
यहां के स्थानीय लोगों की अधावरी भी हैं व अपने माल मवेशियों को साथ लेकर 6 से 8 महीने गुजारते हैं। इसके बाद सर्दी के मौसम लोग अधवारी से घर चले आते हैं
जिसमें दियोल, किनोट, अटालु, मदराणी, चिंगलाणु, शलदंर, कराउड़,चिहोट, भरेभूण, राजा का डेरा आदि गांव व अधवारी को भी सड़क मार्ग का लाभ मिलेगा।
लोगों का कहना है कि जरूरी सामान व खाद्य सामग्री गांव व अधवारी वासियों को पीठ पर उठाकर घरों तक लेनी पड़ती है
ऐसे में अगर दोबारा सड़क मार्ग बनाने का कार्य शुरू किया जाता है तो लोगों को काफी लाभ लिलेगा व तेलका क्षेत्र के हजारों लोगों को व्यवसाय में भी उन्नति बढ़ेगी।
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