बेटा पढ़ाओ-संस्कार सिखाओ अभियान को लेकर बेटियां अपने शादी निमंत्रण पत्र के माध्यम से दे रही हैं बेटों को पढ़ाने व संस्कारित करने का संदेश
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शादी का कार्ड एक बार फिर बना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय
विवाह आमंत्रण पत्र के माध्यम से बेटा पढ़ाओ- संस्कार सिखाओ अभियान का सन्देश देकर हम समाज के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करने का किंचित प्रयास कर रहे हैं -: छीतरमल तूनवाल
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ व स्वच्छ भारत अभियान के स्लोगन की बजाय शादी के कार्ड पर बेटा पढ़ाओ-संस्कार सिखाओ अभियान स्लोगन बना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय
पढ़ा लिखा व संस्कारित होगा बेटा तो करेगा माँ-बहिन-बेटियों की सुरक्षा -: किरण
बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ अभियान की सफलता के लिए यह अभियान बहुत जरूरी -: रेणु
सीकर - (राजस्थान)
नाडाशहर निवासी किरण व रेणु की शादी 6 दिसंबर को होने जा रही है। उन्होंने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए शादी की निमंत्रण पत्रिका में 'बेटा पढ़ाओ-संस्कार सिखाओ 'अभियान को अंकित कर समाज के युवक एवम युवतियों को जाग्रत करने की पहल की। उन्होंने अभी तक के अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर अभियान का पुरजोर समर्थन भी करते हुए बताया कि हमें बेटियों को सुरक्षित रखना है तो बेटों को संस्कारित करना होगा। कस्बे में एक बार फिर सोशल मीडिया पर एक शादी कार्ड तेजी से वायरल हो रहा है। ये कार्ड लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इस कार्ड की खासियत है कि इसके तार बेटा पढ़ाओ-संस्कार सिखाओ अभियान से जुड़े हुए है। जी हां सीकर नाडा शहर निवासी सुरेश तूनवाल ने अपनी बहिनों की शादी में कार्ड के ऊपर बेटा पढ़ाओ-संस्कार सिखाओ अभियान नामक स्लोगन का नारा दे रखा हैं। जहां एक ओर शादी के कार्ड पर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ व स्वच्छ भारत अभियान के स्लोगन जैसे नारे देखने को नजर आते थे वही दूसरी ओर अब शादी निमंत्रण पत्र पर बेटा पढ़ाओ-संस्कार सिखाओ अभियान का स्लोगन देखने को मिल रहा हैं।
बहिन किरण व रेणु ने समस्त देशवासियों से अपील की है कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान से ज्यादा जरूरी हैं बेटा पढ़ाओ-संस्कार सिखाओ अभियान की। देश के समस्त देशवासियों को अब अपनी शादी के निमंत्रण पत्र पर बेटा पढ़ाओ-संस्कार सिखाओ अभियान का नारा देना होगा ताकि समाज व देश मे एक नया बदलाव ला सके। याद रहें पढ़ा लिखा व संस्कारित होगा बेटा तो करेगा माँ-बहिन-बेटियों की सुरक्षा। हमारा मकसद समाज व देश के युवाओं की सोच को बदलने का हैं। आज वर्तमान दौर में बेटे को पढ़ाना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है अच्छे संस्कार सिखाना। अगर ऐसा हुआ तो कभी भी देश में अमानवीय घटनाएं देखने व सुनने को नही मिलेगी। एक सुंदर व स्वच्छ वातावरण का निर्माण होगा। उस दिन देश की हर एक बहिन-बेटी अपने आप को सुरक्षित महसूस करेंगी।
सीकर नाडा शहर निवासी भाई सुरेश तूनवाल ने बताया की बेटियां तभी सुरक्षित हो सकती है जब देश का हर एक लड़का पढ़ा लिखा व संस्कारित होगा तो बेटियां अपने आप को सुरक्षित महसूस करते नजर आएगी। साथ ही तूनवाल ने कहा कि भारत सरकार की मुहिम बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना की सफलता के लिए भी हमारा यह अभियान बहुत जरूरी है। अगर बेटा पढ़ाओ-संस्कार सिखाओ अभियान सफलता की ओर निरंतर अग्रसित होता रहा तो आने वाले समय मे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की आवश्यकता ही नही होगी।
अभियान के सक्रिय सदस्य सुरेश तूनवाल ने जानकारी देते हुये बताया कि किरण व रेणु के पिता छीतरमल ने बताया कि विवाह आमंत्रण पत्र के माध्यम से बेटा पढ़ाओ- संस्कार सिखाओ अभियान का सन्देश देकर हम समाज के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करने का किंचित प्रयास कर रहे हैं। थोड़ा ऋण चुकाने की कोशिश कर रहे है। वास्तव में यदि बेटियों को बचाना है तो ' बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ' अभियान को जन -जन तक पहुंचाना होगा। बेटा यदि शिक्षित और संस्कारी होगा तो समाज से सभी कुरीतियां स्वतः ही दूर हो जाएंगी। तूनवाल ने बताया कि उन्होंने लोगो को इस अभियान के बारे में जागरूक किया है तथा लोगों से अपील भी की है कि सभी को मिलकर इस अभियान को सफल बनाना है।
इस सराहनीय पहल के आगाज को लेकर अभियान के संयोजक कवि हरीश शर्मा व अभियान के सह-संयोजक आकाश झुरिया व कवयित्री डॉक्टर निरुपमा उपाध्याय ने इस पहल को लेकर भाई सुरेश तूनवाल, बहिन किरण, रेणु व तूनवाल परिवार के समस्त सदस्यों का तहेदिल से आभार व्यक्त किया।
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