कसुंपटी क्षेत्रीय कमेटी का चौथा सम्मेलन कालीबाड़ी हॉल शिमला में संपन्न हुआ।
सम्मेलन में 27 सदस्सीय कार्यकारिणी और 55 सदस्यीय परिषद् का गठन किया गया।
कसुंपटी क्षेत्रीय कमेटी का चौथा सम्मेलन कालीबाड़ी हॉल शिमला में संपन्न हुआ। सम्मेलन में 27 सदस्सीय कार्यकारिणी और 55 सदस्यीय परिषद् का गठन किया गया। सम्मेलन में गुलाब सिंह चंदेल को अध्यक्ष, मदन लाल भारद्वाज, अनोखी राम और ज्ञान कश्यप को उपाध्यक्ष, जयशिव सिंह ठाकुर को सचिव, अशोक ठाकुर, कृष्णानन्द शर्मा, सुभाष झगटा को सह सचिव और सुरेश पुंडीर को कोषाध्यक्ष का ज़िम्मा सौंपा गया।
सम्मेलन में कसुंपटी क्षेत्र की 23, ठियोग खण्ड की 4 और टुटू खंड की 1 पंचायत के 81 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। भाग लेने वालों में पंचायत समिति सदस्य, प्रधान, पूर्व प्रधान व वार्ड सदस्य भी शामिल रहे।
सम्मेलन का उदघाटन करते हुए जिला के अध्यक्ष सत्यवान ने कहा कि देश और दुनिया पिछले ढाई वर्षों से गहरे संकट से गुजरते हुए उभरी है। महामारी ने लाखों लोगों के रोज़गार छीने हैं। कोविड के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियां खुलकर सामने आई हैं। लेकिन इस संकट के दौर में भी कृषि ने देश की अर्थव्यवस्था को संभाला और सकल घरेलू उत्पाद में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। लेकिन सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने के बजाय न केवल उनके खिलाफ काले कानून बनाए बल्कि केंद्र सरकार की हठ के कारण आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों की जान भी गई। वहीं सरकार ने खाद के दामों में बेतहाशा वृद्धि करके किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है।
किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि कसुंपटी क्षेत्र विकास के मामले में फिसड्डी साबित हो रहा है। यहां सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा की हालत बदतर है। क्षेत्र में सड़कें वन संरक्षण कानून का उल्लंघन करके बनाई गई हैं। जिसमें सरकारी वाहन नहीं चल पाएंगे। वहीं बसों की व्यवस्था भी अपर्याप्त है। स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टर, स्टाफ, तकनीशियन की भारी कमी है। जुन्गा सिविल अस्पताल में 6 साल से तकनीशियन नहीं है। टैस्ट की सुविधा नहीं है। पूरे कसुंपटी क्षेत्र में एक भी एम्बुलेंस नहीं है।
डॉ. तंवर ने कहा कि स्कूलों में अध्यापकों की कमी तो है ही लेकिन कसुंपटी क्षेत्र के तहत आने वाले 24 स्कूलों में से 20 स्कूलों में कॉमर्स और विज्ञान विषय ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आईटीआई, साइंस लैब का उद्घाटन न होने के कारण क्रियाशील नहीं हो पा रही।
डॉ. तंवर ने कहा कि कसुंपटी क्षेत्र से शिमला शहर के लिए करोड़ों लीटर पानी आता है लेकिन गांव के लोगों को पानी नहीं मिल रहा। उल्टा गावों के लिए शहर का सीवरेज बिना ट्रीटमैंट के छोड़ा जाता है जिससे लोगों की घसनियां खराब हो रही हैं, जलस्रोत दूषित हो रहे हैं और गंदा पानी पीने से पशु भी बीमार पड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में पानी माफिया भी सक्रिय है जो स्थानीय स्रोतों से पानी ले जाकर होटलों में बेचता है।
डॉ. तंवर ने कहा कि त्रासदी यह है कि दो मुख्य दलों की आपसी लड़ाई में क्षेत्र का विकास प्रभावित हो रहा है। उन्होंने प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे राजनीति से ऊपर उठकर किसान सभा के साथ अपने विकास की लड़ाई लड़ें।
सम्मेलन ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और परिवहन, जंगली जानवरों, आवारा- नकारा पशुओं से निजात और प्राकृतिक आपदा से नष्ट फसल के उचित मुआवजे, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट आदि से आ रही समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन छेड़ने पर प्रस्ताव पारित किया।
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