श्रमिक कल्याण बोर्ड की इमरजेंसी मीटिंग बुलाने की मांग, मज़दूरों के लाभ रोकने के ख़िलाफ़ एकजुट हुए सभी मज़दूर संगठन
श्रमिक कल्याण बोर्ड की इमरजेंसी मीटिंग बुलाने की मांग,
मज़दूरों के लाभ रोकने के ख़िलाफ़ एकजुट हुए सभी मज़दूर संगठन
जिसमें कांग्रेस विचारधारा वाले मज़दूर संगठन इंटक और वामपंथी विचारधारा से जुड़े संगठन सीटू ने तो इसके विरोध में प्रदर्शन भी शुरू कर दिए हैं और 5 जून को सीटू से जुड़ी यूनियन शिमला में बड़ी विरोध रैली करने जा रही है।भूपेंद्र सिंह ने सुखू सरकार द्धारा मनरेगा और निर्माण मज़दूरों के लाभ, पंजीकरण और नवीनीकरण रोकने के लिए कड़ा विरोध किया है और सरकार के छः महीने बीतने के बाद भी रोक नहीं हटाई गई है जबकि इसबारे वे मुख्यमंत्री से भी गत 13 अप्रैल को मिल चुके हैं।उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 में गठित बोर्ड में अभी तक श्रम विभाग के लेबर ऑफिसर ही इस काम को करते रहे थे लेकिन अभी हाल ही में सभी 12 जिलों में बोर्ड ज़िला श्रम कल्याण अधिकारी तो नियुक्त किए हैं लेक़िन बोर्ड का सारा काम रोक दिया है और वे सभी श्रम कल्याण अधिकारी पिछले चार महीने के बिना किसी काम के दफ्तरों में बैठे हैं।सभी मज़दूर संगठनों के नेताओं और बोर्ड के सदस्यों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उसने अपना मज़दूर विरोधी फ़ैसला जल्दी नहीं बदला तो सभी मज़दूर संगठन एकजुट होकर सरकार के ख़िलाफ़ सयुक्त अभियान चलाएंगे और सड़कों पर उतर कर विरोध करेंगे।उन्होंने एक बार फ़िर से सरकार व बोर्ड से मज़दूरों के रुके हुए लाभ जारी करने और पंजीकरण और नवीनीकरण कार्य तुंरत बहाल करने की मांग की है और उसके लिए फ़ौरन बोर्ड की बैठक बुलाने की मांग की है।
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