.*चिकित्सक संघ का मुख्यमंत्री से मांग स्वास्थ्य विभाग में एमबीबीएस चिकित्सको के पद योग्यता प्राप्त से भरें जाएं.*
यादविंदर कुमार सुंदर नगर: हिमाचल प्रदेश चिकित्सक संघ की मीटिंग डॉ राजेश राणा की अध्यक्षता में आयोजित 24 मई सायंकाल आयोजित की गई। इस वार्ता में संघ के सह सलाहकार डॉक्टर संत लाल शर्मा, जीवानंद चौहान, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ अनुपम वधन, डॉक्टर सौरभ शर्मा, उपाध्यक्ष डॉ अनंत विजय राघव, डॉक्टर करनजीत सिंह, डॉक्टर अंजली चौहान, डॉ मोनिका पठानिया, महासचिव डॉ विकास ठाकुर, संयुक्त सचिव डॉ जितेंद्र सिंह रुड़की, डॉक्टर सुनीश चौहान, डॉक्टर मोहित डोगरा, डॉक्टर यासमीन, कोषाध्यक्ष डॉक्टर प्रवीण चौहान, प्रेस सचिव डॉक्टर विजय राय, शिमला इकाई के अध्यक्ष डॉक्टर दीपक कैंथला सचिव डॉक्टर योगराज, कांगड़ा इकाई के अध्यक्ष डॉक्टर सुनी धीमान, सचिव डॉक्टर उदय सिंह, इकाई से डॉ राहुल कतना, सोलन इकाई से सचिव डॉ उदित, सिम सिरमौर इकाई के अध्यक्ष डॉ पीयूष तिवारी, चंवा इकाई के सचिव डॉ कारण हितैषी, कुल्लू इकाई के अध्यक्ष डॉक्टर कल्याण ठाकुर, मंडी इकाई से डॉ अमित ठाकुर, हमीरपुर इकाई से डॉ सुरेंद्र, विलासपुर इकाई से सचिव डॉ प्रदीप, डॉक्टर पारस सहगल, डॉक्टर मोहम्मद आसिफ, डॉ दुष्यंत, डॉ विवेक शारदा, डॉक्टर अंकुश, डॉक्टर वोध, डॉ मोहन आदि राज्य कार्यकारिणी समिति सदस्य मौजूद रहे।
हिमाचल प्रदेश चिकित्सक संघ ने भविष्य में नियुक्त होने वाले चिकित्सकों के एनपीए को रोके जाने का एकमत से विरोध जताया है। इस संदर्भ में वित्त विभाग की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। वेतन को लेकर हिमाचल में पंजाब की तर्ज पर निर्णय लिए जाते हैं यह आकाश मिक निर्णय चिकित्सकों के हित में नहीं है साथ ही यह एक जनविरोधी निर्णय भी है। यदि चिकित्सा अधिकारी अपनी प्रैक्टिस करते हैं तो इससे जनता का आउट ऑफ पॉकेट एक्सपेंडिचर ही बढ़ेगा इसके कारण प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं भी चरमरा सकती हैं। हिमाचल के चिकित्सकों ने कड़ी मेहनत से राज्य को देशभर में सर्वोत्तम स्थान पर पहुंचाया है क्योंकि हिमाचल में चिकित्सकों को एनपीए दिया जाता है वहीं जिन राज्यों में एनपीए नहीं दिया जाता है उनके हेल्थ इंडिकेटर बहुत ही निम्न स्तर पर हैं।
संघ ने मांग उठाई है कि डाक्टरों को मिलने वाला नॉन प्रैक्टिस अलाउंस बंद नहीं होना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि डॉक्टरों की ड्यूटी वाकी विभागों में तैनात कर्मचारियों व अधिकारियों से काफी अलग है। हर परिस्थिति में डॉक्टरों को सेवाएं देनी पड़ती है। डॉक्टरों को दिन-रात सेवाएं देने के बावजूद भी अगर सरकार का यह रवैया रहता है, तो यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है । डॉक्टरों का काम जनसेवा से जुड़ा हुआ है आपदा के समय भी डॉक्टर जान जोखिम में डालकर सेवाएं देते हैं चाहे कोविड-19 में हो चाहे कोई भी अन्य परिस्थिति हो उस दौरान भी डाक्टरों ने दिन-रात एक करके काम किया है। स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में हिमाचल अग्रणी राज्यों में शुमार है। इस तरह के निर्णय से प्रदेश की जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए संघ का सरकार से यह आग्रह है कि इस तरह का कोई भी निर्णय लेने से पहले डॉक्टरों को विश्वास में लिया जाए।
चिकित्सक नियुक्त होने के बाद 25 से 30 साल से माप देने के बाद ही खंड चिकित्सा अधिकारी बनता है ऐसे में चिकित्सकों को एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम के तहत 4-9-14 इंक्रीमेंट का लाभ दिया जाता था उसे भी छीन लेना न्याय संगत नहीं है क्योंकि खंड चिकित्सा अधिकारियों के पद 100 से भी कम है और वहीं दूसरी और अफसरशाही उन्हें भरने के लिए जागरूक नहीं है आज भी खंड शिक्षा अधिकारी के 20 से अधिक पद रिक्त चल रहे हैं ऐसे में चिकित्सकों को 4-9-14 का टाइम स्केल दिया जाना न्याय संगत है यह टाइम स्केल विहार जैसे राज्यों में भी दिया जा रहा है पर हिमाचल में इसे रोक देना चिकित्सकों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
संघ का माननीय मुख्यमंत्री महोदय से अनुरोध है कि स्वास्थ्य विभाग के पदों को एमबीबीएस की योग्यता प्राप्त चिकित्सको से भरा जाए। प्रदेश में चिकित्सकों की कमी नहीं है ऐसे में स्वास्थ्य विभाग में अन्य विभागों से की गई नियुक्तियां को शीघ्र रद किया जाए और इन पदों पर चिकित्सकों को बिठाना ही स्वास्थ्य विभाग के लिए बेहतर होगा। किसी भी विभाग में दूसरे विभाग से नियुक्तियां करना उचित नहीं है ऐसे में स्वास्थ्य विभाग में अन्य विभागों से से नियुक्तियों को हटाने पर स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हो जाएगा। क्योकि एक चिकित्सक को ही उनकी कार्यप्रणाली का संपूर्ण ज्ञान होता है। अन्य विभागों से नियुक्तियों के कारण प्रदेश के नए खोले गए में कॉलेजों की मान्यता खतरे में है। प्रदेश का कोई भी स्वास्थ्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इंडियन पति स्टैंडर्डस की गाइडलाइंस के अनुरूप संचालित नहीं किया जा रहा है जो सब जनता की नजरों में मात्र धूल झा के बराबर है। यही हाल सब डिस्टिक या डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल का भी है। पिछली सरकार से लेकर अब तक स्वास्थ्य निदेशक की स्थाई नियुक्ति डीपीसी के माध्यम से अब तक नहीं कर पाना स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों की धीमी गति को दर्शाता है वहीं दूसरी ओर ज्वाइन डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर और खंड चिकित्सा अधिकारियों के पदों को नहीं भर पाना भी स्वास्थ्य विभाग की नाकामयाबी का पुख्ता निशान है।
अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारियों और अधिकारियों को पिछली सरकार में 150% ग्रेड पे का अनुदान दिया गया । लेकिन स्वास्थ्य विभाग में एक ही साथ नियुक्त चिकित्सकों को यह अनुदान अलग-अलग रूप में दिया गया। इस संदर्भ में हमने स्वास्थ्य सचिव विभाग प्रेस हर जगह प्रतिनिधित्व किया। कोई भी व्यक्ति अगर वह अनपढ़ भी हो तो भी इस त्रुटि को समझ जाएगा लेकिन स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी और अफसरशाही इसका निवारण करने में असफल रहे हैं।
संघ का प्रतिनिधिमंडल इन्हीं सब मांगों को लेकर हाल ही में माननीय मुख्यमंत्री महोदय एवं माननीय स्वास्थ्य मंत्री महोदय से भी मिला है लेकिन अफसरशाही इन मांगों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है। माननीय मुख्यमंत्री महोदय कर्मचारी हितेपी हैं और हम आशा करते हैं कि हमारी मांगों पर जरूर सही निर्णय लेंगे। इन सब मांगों को लेकर संघ प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों की एसोसिएशन से शीघ्र वार्ता करेगा और आगे की रणनीति निर्धारित की जाएगी।
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