*प्रदेश में प्राकृतिक खेती योजना की जांच प्रशंसनीय - एनएसयूआई*
एनएसयूआई हिमाचल प्रदेश इकाई ने शुक्रवार को प्राकृतिक खेती योजना के तहत बजट के वितरण जांच के आदेश देने के लिए राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया है, एनएसयूआई राज्य इकाई ने बताया कि सरकार को अंदेशा है की भाजपा कार्यकाल में बजट का दुरुपयोग हुआ है!
जिसके कारण राज्य सरकार ने प्रदेश में प्राकृतिक खेती योजना की जांच करवाने का फैसला लिया है।
उन्होंने आरोप लगाया की अभी तक प्राकृतिक खेती के लिए कोई पैकेज ऑफ प्रैक्टिस जारी नहीं की गई है या अधूरा शोध से किसानों को गुमराह किया जा रहा है! सबसे बड़ी बात यह है कि किसानों के पास प्राकृतिक खेती के लिए जरूरी संसाधन ही नहीं है जैसे कि जैविक खादें पशुधन इत्यादि!
एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष छत्तर सिंह ठाकुर ने कहा कि पूर्व की भाजपा सरकार के कार्यकाल में योजना के तहत जारी किए गए बजट का दुरूपयोग हुआ है! छानबीन के बाद अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई राज्य सरकार को अमल में लानी चाहिए। जिस अनुपात में बजट खर्च किया गया है उस अनुपात में न तो उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है और न ही किसानों को लाभ पहुंचा है। छत्तर सिंह ने कहा आंकड़ों में किसानों की संख्या ज्यादा दिखाई जा रही है परन्तु, जमीनी हकीकत में कुछ और है, भाजपा सरकार के वक्त प्राकृतिक खेती के नाम पर सम्मेलन, किसान मेलों पर जरुरत से ज्यादा बजट खर्च किया गया और फर्जी बिल बनाए गई!
उन्होंने यह सवाल उठाएं है कि
इस योजना के लिए जो बजट जारी हुआ है वह किस तरह और कहां पर खर्च किया गया है? कितने किसान योजना से लाभान्वित हुए हैं? योजना को लागू करने के बाद पैदावार पर कितना असर पड़ा है?
उन्होंने यह सवाल भी उठाएं है की
नौणी यूनिवर्सिटी में जितने भी किसान उक्त
ट्रेनिग कैंप लगे उसमें कितना पैसा खर्च हुआ?
और जितने भी किसान उक्त ट्रेनिग कैंप में शामिल हुए उनको ट्रेनिग का कितना फायदा रहा?
इसके इलावा जिन किसानों को इन ट्रेनिंग में बुलाया गया क्या वे एक विचारधारा के अनुसार ही बुलाया गया?
जितने भी सलाहकार इस प्रोजेक्ट में नियुक्त किए गए उन पर इतनी फिजूल खर्ची क्यों की जा रही है?
उन्होंने बताया की कृषि विभाग के माध्यम से राज्य सरकार की 'प्राकृतिक खेती के लिए "सस्टेनेवल प्लेटफार्म फॉर नेचुरल फार्मिंग" नामक एक परियोजना, जिसकी लागत 2.35 करोड़ है, नौणी विश्वविद्यालय में कार्यशील है! परियोजना में केवल धन का दुरुपयोग किया जा रहा है और अभी तक उसका कोई भी संतोषजनक परिणाम नही है!
कांग्रेस की प्रदेश सरकार द्वारा शोध के लिए दी गई 2.5 करोड़ की अनुदान राशि कुलपति द्वारा अधिकांश प्रोजेक्टों में एक विचारधारा के ही वैज्ञानिकों को बांटी गई और बहुत ज्यादा पैसा प्राकृतिक खेती की अनुसंधान के लिए भी आवंटित किया गया!
अंत में उन्होंने सरकार से यह आग्रह किया की शोध के लिए दिए गई पैसे का दुरुपयोग बंद करवाया जाएं और उसका सही उपयोग सुनिश्चित किया जाएं!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें