इस बार रक्षा बंधन पर बन रहे गई विशेष संयोग
राखी बांधने का मुहूर्त दिनभर: पंडित शशिपाल
*सत्यदेव शर्मा सहोड़*
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शिमला। वशिष्ट ज्योतिष सदन के अध्यक्ष एवं जाने माने अंक ज्यातिषी पंडित शशिपाल डोगरा ने बताया कि इस साल रक्षा बंधन का पर्व 22 अगस्त को मनाया जाएगा। रक्षा बंधन पर बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है और भाई के हाथ में रक्षा सूत्र बांधती है। इसलिए शुभ मुहूर्त देखकर ही राखी बांधनी चाहिए। राहुकाल भी ऐसे समय है जब राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके अलावा भद्रा में तो राखी बांधी ही नहीं जाती। इस बार भद्रा सुबह ही समाप्त हो जाएगी और दिनभर आराम से राखी बांधी जा सकेंगी। आधुनिक युग में भाई-बहन एक दूसरे की पूर्ण सुरक्षा का भी ख्याल रखें। समाज में नारी का सम्मान हो। महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों में कमी आएगी। भाई-बहन को स्नेह, प्रेम, कर्तव्य एवं दायित्व में बांधने वाला राखी का पर्व जब भाई का मुंह मीठा कराके और कलाई पर धागा बांधकर मनाया जाता है, तो रिश्तों की खुशबू सदा के लिए बनी रहती है और संबंधों की डोर में मिठास का एहसास आजीवन परिलक्षित होता रहता है।
*राखी बांधने के खास मुहूर्त*
रक्षा बंधन पर भद्रा प्रात: 6:15 बजे तक है। इसके अलावा राहुकाल शाम 5:16 से 6:00 बजे तक इसलिए इस समय के बीच भी राखी नहीं बांधी जाएगी। इसके बाद शाम 6:00 से रात्रि 9:00 बजे तक राखी बांधी जा सकती है। राखी बांधने का मुहूर्त तो दिनभर है, लेकिन स्थिर लग्न में राखी बांधना और भी शुभ रहता है।
प्रात: 6:15 बजे से 7:51 तक सिंह (स्थिर लग्न)
मध्यान्ह 12:00 बजे से 14:45 तक वृश्चिक (स्थिर लग्न)
शाम 18:31 बजे से 19:59 बजे तक कुंभ (स्थिर लग्न)
*22 अगस्त को पड़ रहे हैं विशेष संयोग*
वशिष्ट ज्योतिष सदन के अध्यक्ष एवं जाने माने अंक ज्योतिषी पंडित शशिपाल डोगरा ने बताया कि रक्षा बंधन का पर्व हर वर्ष सावन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है जो इस बार 22 अगस्त रविवार को पड़ रहा है। यह दिन सावन महीने का अंतिम दिन होगा और अगले दिन भादों का महीना शुरु हो जाएगा। इस बार राखी का त्योहार कई कारणों से अद्वितीय रहेगा। भद्रा जैसा अशुभ काल जिसमें राखी नहीं बांधी जाती, वह समय प्रात: 6:15 मिनट पर समाप्त ही हो जाएगा। चंद्रमा, कुंभ राशि में होंगे। धनिष्ठा नक्षत्र एवं शोभन योग भाई व बहन दोनों के लिए यह धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक तथा पारिवारिक रीतियां निभाने के लिए एक सुअवसर। ऐसे शुभ संयोगों में दोनों अर्थात भाई-बहनों के भाग्य में वृद्धि होती है।
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