शुक्रवार, 19 नवंबर 2021

भूमि अधिग्रहण कानून को एक अध्यादेश के माध्यम से बदल कर किसानों की जमीन को कौड़ियों के दाम पूँजीपतियों को सौंपने का पहला फरमान जारी कर दिया

 भूमि अधिग्रहण कानून को एक अध्यादेश के माध्यम से बदल कर  किसानों की जमीन को कौड़ियों के दाम पूँजीपतियों को सौंपने का पहला फरमान जारी कर दिया


BHK NEWS Mandi

हिमाचल किसान सभा की मंडी जिला कमेटी ने किसान विरोधी तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने के मोदी सरकार के फैसले को देश के किसानों की ऐतिहासिक जीत करार दिया है तथा इस आंदोलन में अलग-अलग रूप में शामिल रहे किसानों, मजदूरों व अन्य संगठनों को बधाई दी है। किसान सभा की मंडी जिला कमेटी की बैठक किसान सभा कार्यालय मंडी में आयोजित की गई जिसमें किसान सभा के राज्य सचिव डॉक्टर ओंकार शाद भी शामिल रहे। बैठक में कुशाल भारद्वाज, परस राम, जोगिंदर वालिया, हेम राज, दिनेश काकू, परमानन्द शर्मा, बुधि सिंह, गोपेंद्र कुमार सहित सभी जिला कमेटी सदस्य उपस्थित रहे। 


इस अवसर पर डॉक्टर ओंकार शाद ने कहा कि खेती व किसानी को उजाड़ने और पूँजीपतियों एवं कारपोरेट जगत के हित साधने के लिए जबरन थोंपे गए तीन अध्यादेश को गैर लोकतान्त्रिक तरीके से संसद में जबरन पारित कर मोदी सरकार ने देश की कृषि, किसान व आम जनता के हितों पर कड़ी चोट की थी। लेकिन किसान संगठनों ने इस साजिश को समझते हुए देश भर में व्यापक एकता बनाते हुए संयुक्त किसान मोर्चा का गठन करते हुए देश व्यापी आंदोलन छेड़ा, जिसमें 700 के करीब किसान आंदोलन के दौरान शहीद हो गए। हजारों किसानों पर झूठे मुकद्दमें बनाए गए और उनके खिलाफ सरकार द्व्रारा प्रायोजित घृणा का अभियान भी कारपोरेट मीडिया द्वारा चलाया गया। किसान आंदोलन को मजदूरों, छात्रों, महिलाओं, छोटे दूकानदारों का भी साथ मिला तथा अंततः मोदी सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। हालांकि अभी कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया संसद में बिल ला कर ही पूरी होगी। उन्होंने कहा कि किसान सभा व संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि संसद में एमएसपी का कानून बनाया जाये तथा बिजली विधेयक 2020 को वापस लिया जाये। उन्होंने कहा कि किसान मजदूर की एकता ने तथा कुछ राज्यों में आगामी विधान सभा चुनावों में भाजपा की बड़ी हार की संभावना को टालने के लिए विवश हो कर ही मोदी सरकार पूँजीपतियों के पक्ष में बनाए गए किसान विरोधी क़ानूनों को पलटने के लिए तैयार हुई है। इस तरह देश के किसान आंदोलन की ये ऐतिहासिक जीत है। 


इस अवसर पर हिमाचल किसान सभा के मंडी जिला अध्यक्ष कुशाल भारद्वाज ने कहा कि मोदी सरकार ने 2014 में सता में आते ही 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून को एक अध्यादेश के माध्यम से बदल कर  किसानों की जमीन को कौड़ियों के दाम पूँजीपतियों को सौंपने का पहला फरमान जारी कर दिया था, लेकिन उस समय भी देश भर के किसानों की एकजुटता ने मोदी सरकार को वह अध्यादेश वापस लेने पर विवश कर दिया था और अबतीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने के लिए भी किसान एकता ने तानाशाह सरकार को विवश कर दिया। 


उन्होंने कहा कि इस वक्त जनता महंगाई की भयंकर मार झेल रही है तथा 1100 रू का घरेलू रसोई गैस सिलेन्डर और 2000 रू का कमर्शियल गैस सिलेन्डर मिल रहा है। खाद्यान और खाद्य तेल अत्यधिक महंगा है। डिपुओं का राशन भी सरकार ने महंगा कर दिया है। पेट्रोल व डीजल की कीमतें अभी भी आसमान छू रही है। भाजपा सरकार हर मोर्चे पर फेल हो गई है।  मंडी जिला में कहीं भी किसानों को समय पर पर्यापत खाद नहीं मिल रही है। और जो मिल भी रही है उस पर सारी सबसिडी बंद कर 1500 से 1600 रुपये का खाद का एक बैग मिल रहा है। पिछले तीन महीने से मनरेगा कामगारों को मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है। मनरेगा में काम करने वाले अधिकांश लोग गरीब किसान ही होते हैं। जिनकी खेती से गुजर बसर नहीं हो पाती है वे अपनी आजीविका हेतु मनरेगा में दिहाड़ी लगाते हैं। लेकिन 3 महीने से वेतन न मिलना इस बात की ओर इशारा करता है कि केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार को गरीबों की चिंता ही नहीं है और मनरेगा कानून की भी धज्जियां उड़ाई जा रही है। 


उन्होंने कहा कि हिमाचल किसान सभा बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डे के निर्माण का पूर्णतः विरोध करती है और इस प्रस्तावित योजना को निरस्त करने के लिए एक बड़ा आंदोलन खड़ा करेगी। इस हवाई अड्डे के निर्माण के विरोध में बल्ह के संभावित प्रभावित किसानों और अन्य लोगों ने जो बल्ह बचाओ संघर्ष समिति बनाई है उसके आंदोलन को भी किसान सभा पूरा समर्थन व्यक्त करती है। प्रदेश सरकार पहले ही कांगड़ा के हवाई अड्डे को प्राइवेट कंपनी को बेच चुकी है और बल्ह में हजारों किसानों व अन्य जनता को उजाड़ कर इस जमीन को भी पूँजीपतियों को ही बेचा जाएगा। किसान सभा शीघ्र ही इस मुद्दे पर शीघ्र ही एक अधिवेशन आयोजित कर संघर्ष की रूपरेखा व व्यापक किसान एकता बनाने के लिए चर्चा करेगी। 


जिला कमेटी ने मांग की है कि इसके अलावा जिला में जो फोरलेन और अन्य कार्यों में किसानों की जमीन अधिग्रहित की जा रही है उसका 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के अनुरूप 4 गुना मुआवजा दिया जाये तथा उजाड़ने से पहले उनके पुनर्स्थापन व पुनर्वास सुनिश्चित किया जाये। इस संबंध में 14 दिसंबर को धर्मशाला में विधान सभा के बाहर होने वाले भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच की रैली के लिए किसान सभा भी किसानों को लामबंद करेगी। 


हिमाचल किसान सभा 31 जनवरी तक मंडी जिला में बीस हजार सदस्य भर्ती करेगी तथा हर गाँव, वार्ड  व पंचायत में कमेटियाँ गठित करेगी। फरवरी 2022 में सभी ब्लॉकों के सम्मेलन तथा मार्च में जिला का सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा। जिला कमेटी ने जोगिंदर वालिया को जिला सम्मेलन तक हिमाचल किसान सभा की जिला कमेटी का सचिव चुना गया, इससे पहले वे जिला कमेटी के संयुक्त सचिव थे। 


1 टिप्पणी:

  1. झूठ और केवल झूठ।इनकी झूठ और फरेब वाली बातें है।हकीकत से कोसों दूर।

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