नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम सुनते ही हर एक भारतीय के अंदर देशभक्ति का जुनून जागने लगता है उनके द्वारा गए बलिदानों को भारत का प्रत्येक नागरिक नमन करता है
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम सुनते ही हर एक भारतीय के अंदर देशभक्ति का जुनून जागने लगता है उनके द्वारा गए बलिदानों को भारत का प्रत्येक नागरिक नमन करता है
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम सुनते ही हर एक भारतीय के अंदर देशभक्ति का जुनून जागने लगता है उनके द्वारा गए बलिदानों को भारत का प्रत्येक नागरिक नमन करता है तथा उन्हें अपना प्रेरणा स्त्रोत मानता है नेता जी
सुभाष चंद्र बोस, विवेकानंद की शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे, जबकि चित्तरंजन दास उनके राजनीतिक गुरु थे।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का मानना था कि भारत से अंग्रेजी हुकूमत को ख़त्म करने के लिए सशस्त्र विद्रोह ही एक मात्र रास्ता हो सकता है. अपनी इसी विचारधारा पर वह जीवन-पर्यंत चलते रहे और उन्होंने एक ऐसी फौज खड़ी की जो दुनिया में किसी भी सेना को टक्कर देने की हिम्मत रखती थी.
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आजाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिंद का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा का नारा भी उनके द्वारा दिया गया था जो अब भी हमारे देश के युवाओं को प्रेरित करती है। भारत में लोग उन्हें 'नेता जी' के नाम से सम्बोधित करते हैं।
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नेताजी ने आजाद हिन्द फौज के नाम अपने अंतिम संदेश में बड़े प्रभावशाली ढंग से यही बात कही थी. ‘‘भारतीयों की भावी पीढ़ियां, जो आप लोगों के महान बलिदान के फलस्वरूप गुलामों के रूप में नहीं, बल्कि आजाद लोगों के रूप में जन्म लेंगी. आप लोगों के नाम को दुआएं देंगी. और गर्व के साथ संसार में घोषणा करेंगी कि अंतिम सफलता और गौरव के मार्ग को प्रसस्त करने वाले आप ही लोग उनके पूर्वज थे”.
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हम यह भी कह सकते हैं उनके शब्द उनका व्यवहार उनका जीवन इस मां भारती के लिए समर्पित था और देश के युवाओं में क्रांति लाने के लिए उन्हें इकट्ठा कर अंग्रेजी हुकूमत पर हमला किया अंग्रेजों के मन में उनका डर इस कदर था उनका नाम सुनने से ही अंग्रेजों के पसीने छूट जाते थे
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जिसके नारे एक ने दुनिया को हिलाया था वही सुभाष चंद्र बोस दुनिया का नेता कह लाया था उस समय की हुकूमत के साथ टक्कर लेने के लिए बड़े और शक्तिशाली देश भी कतराते थे लेकिन भारत के इस सपूत ने मातृभूमि का कर्ज चुकाने के लिए और मां के दूध का फर्ज निभाने के लिए अपने प्राणों तक का भय ना करते हुए अंग्रेजों से दांत तले चने चवाए !
उनकी लोकप्रियता ना केवल भारत में अपितु पूरे विश्व भर में लोग उन्हें नेताजी के नाम से जानते हैं
ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी महान त्यागी ऐसे देवीय पुरुष को हम शत शत नमन करते हैं
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