गौ सदन के बनने से भी धर्मपुर में कम नहीं हुई आवारा पशुओं की समश्या! सरकार से मिलते हैं 17रु जबकि खर्चा है 50रु से ज़्यादा--भूपेंद्र
गौ सदन के बनने से भी धर्मपुर में कम नहीं हुई आवारा पशुओं की समश्या!
सरकार से मिलते हैं 17रु जबकि खर्चा है 50रु से ज़्यादा--भूपेंद्र
धर्मपुर विकास खण्ड की लौंगनी ग्राम पंचायत के नाल्ड-तरयाबला वार्ड में स्थानीय प्रशासन व पशुपालन विभाग ने एक स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से गौ सदन का संचालन पिछले छह सात महीने से शुरू किया है।जिसका विधिवत लोकार्पण मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 29 नवंबर को किया है।इस गौ सदन में लगभग एक सौ पशुओं को रखने की क्षमता है।पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह व हिमाचल किसान सभा खण्ड कमेटी ने बताया कि सरकार से वर्तमान में जो मदद राशी मिलती है वह बहुत कम है।पूर्व ज़िला पार्षद ने बताया कि वर्तमान में सरकार द्धारा पशुपालन विभाग के माध्यम से 500 रु मासिक सहायता राशी एक पशु के लिए दी जाती है तो बहुत ही कम है।वर्तमान में इस गौ सदन में 78 पशु रखे गए हैं जिनके पालन हेतु चार व्यक्ति कार्यरत हैं।पशुओं को घास व भूसा खरीद कर और पंजाब से लाना पड़ रहा है।इसके अलावा वहां पर कई प्रकार की सामग्री जैसे रस्से, तब, गैंती, फावड़े इत्यादि भी क्रय करनी पड़ती है।अगर कोई पशु बीमार हो जाये तो उसका ईलाज भी करना पड़ता है और यदि मौत हो जाये तो उसे दफ़नाने के लिए जे सी बी की ज़रूरत पड़ती है।इस प्रकार वर्तमान में एक महीने का ख़र्च एक लाख रुपये के आसपास हो रहा है और विभाग से पांच सौ रुपये की दर से मात्र 40 हज़ार रुपये की ही मदद मिल रही है।इस गौ सदन में अधिकांश बैल ही हैं और गाय बहुत कम हैं इसलिए दूध बिक्री से जो थोड़ी बहुत आमदनी हो सकती थी वह शून्य है।आमदनी के नाम पर केवल मात्र गोबर ही है लेकिन उसकी बिक्री कहाँ और कैसे की जाए ये भी बढ़ी समस्या है।यही नहीं धार्मिक आस्था के हिसाब से देखें तो अगर इसके नज़दीक कोई मन्दिर इत्यादि होता तो बहुत से श्रद्धालु यहां आ सकते थे और वे दान पुण्य भी कर सकते थे लेकिन वो भी यहां पर नहीं है।शुरू शुरू में अधिक उम्र और बीमार पशु भी यहां पर रखे गए जिनमें से दो दर्ज़न पशुओं की मौत भी हो चुकी है जिन्हें दफ़नाने में बहुत दिक्कत का सामना कमेटी के सदस्यों को करना पड़ा।स्थानीय लोगों द्धारा पशु तो यहाँ पर छोड़े जाते हैं लेकिन घास देने के लिए सभी इंकार करते हैं।इसलिए पंजाब से ही चारा लाना पड़ रहा है।भूपेंद्र सिंह मांग कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार गौ रक्षा के गौ सदन बनाने के लिए बड़ी बड़ी बातें करती है लेकिन इसके लिए धनराशी बहुत कम उपलब्ध करवा रही है।वर्तमान में स्थानीय स्तर पर भी घास का एक पुला 5 रु मिलता है और एक दिन में एक पशु के लिए 40 से 50 रु का घास तो घास ही चाहिये जबकि सरकार मात्र 17 रु एक दिन के दे रही है जो बहुत ही कम हैं।हालांकि आजकल गन्दम की थ्रेसिंग के समय भूसा इकठ्ठा करने के लिए जलशक्ति विभाग की गाड़ी और ऑउटसोर्सिंग आधार पर रखे गए मज़दूर तैनात किए गए हैं जो गांवों में जा जा कर भूसा इकठ्ठा कर रहे हैं।कुलमिलाकर सरकार व विभाग इसमें कोई मदद नहीं कर रहे हैं और सारा जिम्मा कमेटी सदस्यों पर आ गई है।उन्होंने सरकार से मांग की है कि गौ सदन संचालन के लिए गौ सेवक विभाग या समिति के माध्यम से रखे जाएं और प्रति पशु दिन का एक सौ रुपए सहायता राशी प्रदान की जाए।भूपेंद्र सिंह ने कहा कि धर्मपुर में जो गौ सदन समिति बनाई गई है उसमें एक विशेष विचारधारा के ही लोग शामिल किए गये हैं जबकि इसमें सभी प्रकार के सदस्यों को शामिल किया जाना चाहिए था।उन्होंने कहा कि इस संस्था का महासचिव जलशक्ति मंत्री के बेटे को बनाया गया है जो इस संस्था को भी अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।जबकि होना ये चाहिए था कि इस कमेटी में प्रशासन,पशुपालन विभाग और पंचायतों के चुने हुए प्रतिनिधि व महिला मण्डल के प्रतिनिधियों को इसमें सदस्य बनाया जाता तभी आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित हो सकती थी अन्यथा ये कुछ खास तरह के लोगों की ही संस्था बन गई है।भूपेंद्र सिंह ने कहा कि आजकल धर्मपुर,लौंगनी व इसके आस पास के इलाकों में आवारा पशुओं की तादात फ़िर से बढ़ गई है इसलिए सरकार को इनके निर्यात पर लगाई गई रोक हटा देनी चाहिए ताकि इन पशुओं को दूसरे राज्यों में पहले कि तरह ले जाया जा सके।ऐसा करने से ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है अन्यथा नहीं
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