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बुधवार, 1 जून 2022

ऑउटसोर्स मज़दूरों के लिए नीति बनाने की प्रक्रिया हुई धीमी-भूपेंद्र अब मन्त्रिमण्डल बैठकों की विषय सूची से बाहर हुआ नीति बनाने का मुद्दा

 ऑउटसोर्स मज़दूरों के लिए नीति बनाने की प्रक्रिया हुई धीमी-भूपेंद्र



अब मन्त्रिमण्डल बैठकों की विषय सूची से बाहर हुआ नीति बनाने का मुद्दा



आउटसोर्स मज़दूरों के लिए नीति बनाने के लिए जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह की अगुवाई में बनाई गई मंत्रिमण्डलीय सब कमेटी गत चार महिनों में कोई ठोस सुझाव सरकार को नहीं दे पाई है।जिससे साफ़ है कि ये सरकार उनके लिए कोई नीति बनाने की पक्षधर नहीं है।मज़दूर संगठन सीटू के अध्यक्ष और पूर्व ज़िला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया है कि इस सब कमेटी के गठन के बाद दो तीन बैठकों में तो सभी विभागों से आउटसोर्स मज़दूरों की सूची ही तैयार नहीं हो पाई थी और अब पिछले विधानसभा सत्र में आउटसोर्स मजदूरों की रैली के बाद अब इस पर बात भी नहीं हो रही है और मन्त्रिमण्डल की बैठकों से ये एजेंडा ही ग़ायब हो गया है।उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग चालीस हज़ार कर्मचारी और मज़दूर विभिन्न विभागों में नियुक्त किए गए हैं लेकिन अभी तक भी सरकार के पास सभी मज़दूरों की वास्तविक संख्या न होना ये दर्शाता है कि ये डब्बल इंजन की सरकार बहुत ही तेज़ रफ़्तार से भाग रही है लेकिन उसे ये भी पता नहीं है कि इस डब्बल ईंजन वाली रेल में कितनी सवारियां ऐसी जिन्हें वे पूरा वेतन नहीं दे रही है।भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया है जलशक्ति मंत्री ने तो अपने विभाग में धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र जिन साढ़े ग्यारह सौ मज़दूरों को भर्ती किया है वे तो मज़दूर भी नहीं है और केवल मात्र पार्ट टाइम वर्कर्स हैं जिनकी डियूटी रिकॉर्ड में छह घण्टे दर्ज है और उन्हें सरकार का नियुन्तम वेतन साढ़े दस हजार रुपये मासिक भी नहीं दिया जाता है और उन्हें तीन हज़ार रुपये से लेकर साढ़े पांच हजार रुपये दिया जा रहा है।भूपेंद्र सिंह ने कहा कि जलशक्ति मंत्री ने पिछले दिनों ये बात मीडिया में कही थी कि इन मज़दूरों को सरकार द्धारा जिन्हें डाईंग केडर व पोस्टें घोषित किया है उन स्थानों पर इनको नियोजित किया जा सकता है लेकिन आउटसोर्सिंग आधार पर जो भी भर्तियाँ हुई हैं उसमें सरकार के विभागों के लिए बना रोस्टर लागू नहीं किया गया है तो फ़िर उन्हें इन पोस्टों पर कैसे लगाया जा सकता है।उन्होंने कहा कि अब तो सरकार ने एक और नया फॉर्मूला लागू कर दिया है जिसमें अब विभागों में मल्टी टास्क और मल्टी पर्पज वर्कर भर्ती किये जा रहे हैं और उनसे शपथपत्र लिए जा रहे हैं कि वे रैगुलर होने की मांग नहीं कर सकते हैं।इस नीति के तहत शिक्षा, जकशक्ति और लोकनिर्माण विभाग में भर्तियाँ की जा रही है।भूपेंद्र सिंह ने कहा कि ये सब रोज़गार के नाम पर युवाओं के साथ धोखा है जिन्हें चार पांच हजार रुपए मासिक वेतन के आधार पर रखा जा रहा है और इनमें से भी सबसे कम वेतन 3600रु जलशक्ति विभाग में ही निर्धारित किया गया है।इससे साफ़ है कि जिन जलशक्ति मंत्री महोदय को आउटसोर्सिंग मजदूरों के लिए नीति बनाने का जिम्मा सौंपा गया है वे अपने विभाग के मजदूरों का सबसे अधिक शोषण वर्तमान में कर रहे हैं तो उनसे अन्य विभागों के कर्मचारियों व मज़दूरों को राहत की उम्मीद कम ही रखनी चाहिए।उन्होंने कहा कि अब तो वैसे भी चुनावों के लिए कम समय बचा है तो इस सरकार के समय इन मज़दूरों का कल्याण होना संभव नहीं है।इसलिए सभी मज़दूरों व कर्मचारिओं को अपनी मांगों के लिए संघर्ष तेज़ करना चाहिए।



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