राजनीति और तंग सोच महादेव में साहित्य और कला संस्कृति संघ द्वारा ' राजनीति और तंग सोच ' विषय पर संवाद गोष्ठी का आयोजन
राजनीति और तंग सोच
महादेव में साहित्य और कला संस्कृति संघ द्वारा ' राजनीति और तंग सोच ' विषय पर संवाद गोष्ठी का आयोजन
BHK NEWS HIMACHAL
महादेव में साहित्य और कला संस्कृति संघ द्वारा ' राजनीति और तंग सोच ' विषय पर संवाद गोष्ठी का आयोजन किया गया। चर्चा का आरंभ करते हुए लेखक कृष्ण चंद्र महादेविया ने कहा कि विशेष कर चुनाव के दिनों में वोट बटोरने वाले कुछ संकीर्ण मानसिकता के लोग समुदाय या जाति की राजनीति को हवा देकर सामाजिक समरसता को कलुषित करने का प्रयत्न करते हैं जो कि राष्ट्र के लिए शुभ नहीं है ।यदि किसी दल विशेष का टिकट नहीं मिलने पर समुदाय की राजनीति का हौवा खड़ा करने की कोशिश करने लगते हैं।संकीर्णता पर उतरे ऐसे कथित नेता किसी सम्पूर्ण समुदाय के नेता नहीं होते। ककरमुत्ते की तरह उग नेता चार लोगों को लेकर अपना फूटा ढोल बजाते हैं । स्वाभिमान खोए लोग विधान सभा क्षेत्र को कोई दिशा नहीं दे सकते । अतः ऐसे स्वयंभू नेताओं से दूरी बनाए रखना व्यापक समाज और राष्ट्र हित में है।युवा कवि मनोज चौहान ने कहा कि सामाजिक समरसता के लिए सदा कार्य करना किसी नेता का प्रथम कर्त्तव्य होना चाहिए तंग सोच को त्याग कर अपने विज़न, अपनी योग्यता और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर के वोट मांगने चाहिए। जाति के आधार पर राजनीति अशुभ है। युवा खिलाड़ी रामचंद्र खत्रवाड़िया ने चर्चा में भाग लेते कहा कि कुछ लोग टिकट मिलने पर ही विधायक बन जाते हैं और उनके समर्थक जाति की राजनीति का रोना रोने लगते हैं।ऐसे संकीर्ण सोच के लोग देश की एकता और भाईचारे पर आघात करते हैं। ऐसे लोगों को अपनी तंग सोच को त्याग देना चाहिए। सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना राजनीतिक दलों और वुद्धिजीवियों का भी कर्तव्य है। बैंक प्रबंधक ओमप्रकाश चौहान ने तंग सोच को त्यागने की बात कही । उन्होंने कलाकारों , पत्रकारों, लेखकों का समाज और देश के लिए सामाजिक समरसता, देशभक्ति, भाइचारे के लिए कार्य करने का आह्वान किया । संगोष्ठी में धर्मेंद्र शेरडवाल, वीरेंद्र सिंह,रिया सिंह, संदेश चौहान,सूरज शेरडवाल, भगतसिंह ने भी भाग लिया।
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