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छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने उच्चतर शिक्षा निदेशक से मांग की है की वह प्रदेश के सभी निजी स्कूलों के प्रबंधनों को अपनी वेबसाइट पर नए सत्र व कक्षा की किताबों की सूची व उसके लेखकों के नाम अंकित करने

  छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने उच्चतर शिक्षा निदेशक से मांग की है की वह प्रदेश के सभी निजी स्कूलों के प्रबंधनों को अपनी वेबसाइट पर नए सत्र व कक्षा की किताबों की सूची व उसके लेखकों के नाम अंकित करने 



BHK NEWS HIMACHAL 

छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने उच्चतर शिक्षा निदेशक से मांग की है की वह प्रदेश के सभी निजी स्कूलों के प्रबंधनों को अपनी वेबसाइट पर नए सत्र व कक्षा की किताबों की सूची व उसके लेखकों के नाम अंकित करने तथा निजी स्कूलों में एनसीईआरटी अथवा एससीईआरटी की सस्ती व गुणवत्तापूर्ण किताबें लगाने के निर्देश जारी करें ताकि अभिभावकों को अपनी मनपसंद दुकान से किताबें खरीदने का मौका मिल सके व निजी स्कूल प्रबंधनों तथा चुनिंदा किताबों के दुकान मालिकों के बीच में चल रही सांठगांठ व कमीशनखोरी पर रोक लग सके। 



मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा व सह संयोजक विवेक कश्यप ने कहा है कि वर्ष 2014 में माननीय उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश ने सभी स्कूलों को अपनी वेबसाइट बनाने का निर्देश दिया था परंतु ज्यादातर निजी स्कूलों ने अपनी वेबसाइट नहीं बनाई है। जिन निजी स्कूलों ने अपनी वेबसाइट बनाई भी है, उसे खोलने पर हमेशा यह वेबसाइट आउट ऑफ ऑर्डर आती है। इस तरह माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना हो रही है। कुछ वर्ष पूर्व माननीय मद्रास उच्च न्यायालय ने भी शिक्षा को सुगम बनाने के लिए आदेश पारित किया था। इसकी परिभाषा के अनुसार शिक्षा का अधिकार कानून 2009 व एच पी बी ओ एस ई एक्ट 1968 की मूल भावना के अनुसार सस्ती व अच्छी शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए हिमाचल प्रदेश में एनसीईआरटी अथवा एससीईआरटी की सस्ती व गुणवत्तापूर्ण किताबें ही विद्यार्थियों को लगाई जानी चाहिए परंतु निजी स्कूल जानबूझकर गुणवत्ता के नाम पर हर वर्ष महंगी किताबें खरीदने के लिए अभिभावकों को बाध्य करते हैं ताकि निजी स्कूल प्रबंधनों की कमीशनखोरी कायम रह सके। एक किताब की तीन किताबें बनाकर प्राइवेट पब्लिशर अभिभावोकों से दस गुणा तक मुनाफा बटोर रहे हैं। वर्ष 2016 व 2017 में माननीय उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश निजी संस्थानों की व्यापारिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के आदेश पारित कर चुका है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2(1)(r) भी अनुचित व्यापारिक गतिविधियों पर रोक लगाती है। उन्होंने कहा है कि निजी स्कूल सरेआम कमीशनखोरी करते हैं व किताबों के नाम पर चुनिंदा दुकानों को ही लक्षित करके यह कार्य सुनियोजित तरीके से उन्हें सौंपतेे हैं ताकि उनकी कमीशनखोरी कायम रहे। उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश के विभिन्न आदेशों को अक्षरशः लागू करने व हर निजी स्कूल को पिछले सत्र की परीक्षाएं खत्म होने से पहले ही अपनी वेबसाइट पर आगामी सत्र व कक्षा की किताबों व उनके लेखकों की सूची अपनी वेबसाइट पर सूचीबद्ध करने की मांग की है। इससे किताबों की बिक्री करने वाले सभी दुकानदारों को किताबों की सूची का पता चल पाएगा व अभिभावकों को भी किताबें खरीदने के लिए विकल्प मिल पाएगा तथा उन्हें सस्ती दरों पर किताबें मिल पाएंगी। इससे अभिभावकों को बच्चों की किताबें खरीदने में सुगमता प्रदान होगी व चुनिंदा दुकानों द्वारा किताबों के नाम पर की जाने वाली लूट व निजी स्कूल प्रबंधनों की कमीशनखोरी व उनसे मिलीभगत पर लगाम लगेगी।




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