मिड डे मील के लिए नीति बनाये सरकार-भूपेंद्र
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यादविंदर कुमार सुन्दर नगर :मिड डे मील व्रकर्ज यूनियन सबंधित सीटू क्षेत्रीय कमेटी मण्डप की बैठक मण्डप में आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता खण्ड अध्यक्ष चिंत राम शर्मा ने की और सीटू के ज़िला अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह भी बैठक में उपस्थित हुए।इस अवसर पर यूनियन की तहसील कमेटी का भी गठन किया गया जिसमें सत्या देवी को प्रधान लता देवी को उप प्रधान निर्मला देवी को सचिव चंपा देवी को सह सचिव और संतोषी देवी को कोषाध्यक्ष तथा विना देवी, शांता और रेखा को कार्यकारिणी सदस्य चुना गया।भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मिड डे मील योजना को शुरू हुए 20 वर्ष होने जा रहे हैं और लेक़िन अब वर्करों को बच्चों की संख्या पर हटाया जा रहा है तथा जो स्कूल बंद हो रहे हैं वहां से भी इन्हें एड्जस्ट करने के बजाये घर भेजा जा रहा है।यूनियन की मांग है कि इनको विभाग में स्थाई करने के लिए पालसी बनाई जाये और बन्द हो रहे स्कूलों के वर्करों को विभाग में ही एड्जस्ट किया और उन्हें 12 महीनों का वेतन दिया जाए जो वर्तमान में 10 महीनों का ही दिया जाता है। जबकि हाई कोर्ट ने यूनियन की याचिका पर12 माह वेतन देने के निर्देश दिये थे जो पूर्व भाजपा सरकार ने लागू नहीं किये थे लेकिन अब नई सरकार से इस फ़ैसले को लागू करने की उम्मीद यूनियन को है।इन मांगों के बारे धर्मपुर के विधायक को जल्दी ही माँगपत्र सौंपा जायेगा और मुख्यमंत्री तथा शिक्षा मंत्री से भी इस बारे यूनियन मांग करेगी। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या कम होने के कारण अब इनको छंटनी किया जा रहा है और अब स्कूल बंद होने पर उनकी नॉकरी खतरे में है ऐसी स्थिति में मिड डे मील वर्करों शिक्षा विभाग में अन्य पदों जैसे मल्टी टास्क, पियन, चौकीदार, वाटर गार्ड इत्यादि पदों पर समायोजित किया जाये और उन्हें रैगुलर करने की नीति बनाई जाए।उन्होंने इन वर्करों को आकस्मिक, मैडीकल व अन्य सभी प्रकार की छुटियाँ मिलनी चाहिए।वर्त्तमान में अगर किसी मिड डे मील वर्कर को घर पर ज़रूरी काम हो या बीमार पड़ जाए तो उसे अपने बदले में किसी और को स्कूल में खाना बनाने के लिए भेजना पड़ता है।कई स्कूलों में तो इनसे सफाई और अन्य काम भी करवाये जाते हैं जो सही नहीं है।जब ये योजना शुरू हुई थी तो हर स्कूल में कम से कम दो वर्करज लगाने का प्रावधान किया गया था जिसमें एक कूक और दूसरा हेल्पर होता था लेकिन अब अगर स्कूल में बच्चों की संख्या 25 से कम हो जाये तो एक ही वर्कर रखा जा रहा है और पन्द्रह पंद्रह साल से इस कार्य में लगे वर्करों को हटाया जा रहा है।जबकि सरकार की ये नीति है कि अगर स्कूल में अगर चार बच्चे भी हैं तो अध्यापक भी चार चार होते हैं लेकिन मिड डे मील वर्करों को हटाया जा रहा है।इसलिए यूनियन की मांग है कि प्रत्येक स्कूल में कम से कम दो व्रकर्ज लगाए जायें और किसी को भी छँटनी न किया जाए।उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वे लगातार मिड डे मील योजना का बजट कम कर रहे हैं जिसके ख़िलाफ़ 5 अप्रैल को दिल्ली संसद भवन पर विरोध रैली निकाली जाएगी।
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