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*प्रदेश सरकार द्वारा पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय की 112 हेक्टेयर भूमि टूरिज्म विलेज के लिए देना छात्रों के साथ धोखा : अ.भा. वि. प.* *विश्वविद्यालय की जमीन लूटने वाली सरकार मानी जाएगी कांग्रेस सरकार: आकाश नेगी* *टूरिज्म के नाम पर कृषि की जमीन छीन रही सरकार : अ.भा. वि. प.



*प्रदेश सरकार द्वारा  पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय की 112 हेक्टेयर भूमि टूरिज्म विलेज  के लिए देना छात्रों के साथ धोखा : अ.भा. वि. प.*



*विश्वविद्यालय की जमीन लूटने वाली सरकार मानी जाएगी कांग्रेस सरकार: आकाश नेगी*


*टूरिज्म के नाम पर कृषि की जमीन छीन रही सरकार : अ.भा. वि. प.* 



अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल के प्रदेश मंत्री आकाश नेगी ने बयान जारी करते हुए कहा है हिमाचल प्रदेश जो एक कृषि प्रधान प्रदेश माना जाता  है उसी प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर में  शिक्षकों और छात्रों ने संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है । यह प्रदर्शन सरकार द्वारा विश्वविद्यालय की 112 हेक्टेयर भूमि को पर्यटन गांव के लिए हस्तांतरित करने के निर्णय के खिलाफ किया गया। 



विद्यार्थी परिषद ने इस मुद्दे पर अपनी आपत्ति जताई है प्रदेश मंत्री आकाश का कहना है की , "पर्यटन की दृष्टि से प्रदेश सरकार द्वारा जिला कांगड़ा को पर्यटन की राजधानी बनाये जाने का विद्यार्थी परिषद स्वागत करती है, लेकिन इसके एवज में पालमपुर में 'टूरिजम विलेज' के लिए 112 हेक्टेयर भूमि हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से लेने का निर्णय गलत है।"



उन्होंने बताया कि जनवरी माह में इसकी सूचना मिलते ही सभी विद्यार्थियों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया था तथा विद्यार्थी परिषद ने भी इस भूमि हस्तांतरण के खिलाफ कई बार विरोध जताया। 3 जनवरी 2024 को विद्यार्थी परिषद द्वारा मुख्य संसदीय सचिव, शहरी विकास एवं शिक्षा, आशीष बुटैल से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा गया था और उनसे इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था। इसके अलावा, एबीवीपी एवं हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (हपौटा) के प्रतिनिधियों ने पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार से भी मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा था, लेकिन फिर भी सरकार ने छात्रों और शिक्षकों की चिंता पर ध्यान नहीं दिया।

"यह निर्णय प्रदेश के किसानों, विद्यार्थियों, शोधार्थियों और वैज्ञानिकों के लिए अन्यायपूर्ण है। सरकार को कृषि विश्वविद्यालय का दायरा बढ़ाना चाहिए और कृषि से जुड़े नए विभाग खोलने चाहिए, न कि इसकी भूमि को पर्यटन विभाग को हस्तांतरित करना चाहिए।"




कृषि विश्वविद्यालय की भूमि को पर्यटन केंद्र/गांव के लिए देना सरासर गलत निर्णय है। इस भूमि का उपयोग छात्रों के प्रायोगिक कार्यों और अनुसंधान गतिविधियों के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने उल्लेख किया कि नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के साथ, स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट छात्रों का प्रवेश साल दर साल बढ़ रहा है और मौजूदा प्रायोगिक क्षेत्र विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्र प्रयोगों के लिए कम पड़ रहा है। छात्रों के क्षेत्र प्रयोग की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने और विश्वविद्यालय की डेयरी फार्मिंग को बनाए रखने के लिए प्रस्तावित क्षेत्र का विकास किया जा रहा है। छात्रावास आवास की कमी के कारण कई स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों, विशेषकर लड़कियों को विश्वविद्यालय से बाहर रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है। अत: छात्रों के लिए छात्रावास के निर्माण हेतु अधिक क्षेत्र की आवश्यकता है। इसके अलावा, नई शिक्षा नीति के तहत नए कॉलेज और नए कार्यक्रम शुरू किए जाने हैं।



 विश्वविद्यालय के पास मौजूदा क्षेत्र कम हो गया, तो उत्तर पश्चिमी हिमालय के लिए केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनने की प्रतिस्पर्धा की गुंजाइश भीं ख़त्म हो जाएगी। यह प्रदेश के लिए बहुत शर्म की बात होगी।



*सरकार के किसी भी प्रतिनिधि को नहीं घुसने देंगे कृषि विश्वविद्यालय में*


विद्यार्थी परिषद तब तक अपने आंदोलन को जारी रखेगी  जब तक सरकार इस निर्णय को वापस नहीं ले लेती तब तक सरकार के किसी भी प्रतिनिधि को कृषि विश्वविद्यालय में नही घुसने दिया जायेगा और विद्यार्थियों , किसानों के आक्रोश का कारण केवल और केवल प्रदेश सरकार का यह निर्णय होगा | 



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