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रविवार, 29 जून 2025

*हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक पार्टियों में परिवारवाद चरम सीमा पर-राकेश

 *हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक पार्टियों में परिवारवाद चरम सीमा पर-राकेश 



        आम आदमी पार्टी नाचन प्रवक्ता  राकेश कुमार ने मीडिया में एक बयान जारी करते हुए कहा  कि हिमाचल प्रदेश के कर्जे में डूबे होने का एक मुख्य कारण है परिवारवाद l जिस तरह से स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने शामित के धोबटन में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में 2027 के विधानसभा चुनाव में अपनी राजनीतिक विरासत को अपने बेटे कर्नल संजय शांडिल को सौंपने का जो ऐलान किया है। वह यह दर्शाता है कि चाहे वह भारतीय जनता पार्टी हो या कांग्रेस पार्टी यह दोनों ही परिवारवाद से अछूती नहीं हैं।

    

जिस प्रकार से केंद्र की सरकारो मैं भी अगर आज तक इतिहास पिछला देखा जाए तो परिवारवाद का बोलबाला रहा है। उसी कड़ी में राज्य सरकारों  में परिवारवाद चरम सीमा पर है। अगर हम हिमाचल की बात करें वर्तमान में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर जो की देहरा की विधायक हैं। 


शिमला से स्वर्गीय पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र जी की पत्नी प्रतिभा सिंह जो वर्तमान में कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष हैं और उनके सुपुत्र विक्रमादित्य सिंह जो पीडब्ल्यूडी में वर्तमान में मंत्री हैं। इसी तरह कांगड़ा से स्वर्गीय पूर्व मंत्री जीएस बाली के बेटे रघुवीर सिंह बाली जो वर्तमान में पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष हैं। पालमपुर से कांग्रेस से बुटेल परिवार के तीसरी पीढ़ी के नेता आशीष बुटेल जो निगम में अध्यक्ष पद पर हैं। उनके परिवार में सबसे पहले कन्हैया लाल बुटेल उसके बाद उनके बेटे कुंज लाल बुटेल और और बाद में कुंजलाल बुटेल ने अपनी राजनीति विरासत अपने छोटे भाई बृज बिहारी लाल बुटेल को सौंप थी और यह पांच बार पालमपुर से विधायक चुनते आए हैं जो विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं।


इसी तरह कांग्रेस दिग्गज नेता सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी पठानिया इसी तरह सिरमौर से दिग्गज कांग्रेसी नेता ठाकुर गुमान सिंह के बेटे हर्षवर्धन चौहान अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभाल रहे हैं धर्मशाला से सुधीर शर्मा अपने पिता और दिग्गज कांग्रेस नेता स्वर्गीय  पंडित संतराम की विरासत को देख रहे हैं इसी तरह सिरमौर से कांग्रेस नेता डॉक्टर प्रेम सिंह के बेटे विनय कुमार सोलन दून कांग्रेस नेता चौधरी लज्जा राम भी कई बार चुनाव जीत चुके हैं और उनके बेटे रामकुमार उनकी राजनीतिक विरासत को संभाले हुए हैं।


इसी कड़ी में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय ठाकुर रामलाल के पोते  रोहित ठाकुर अपने दादा की राजनीति विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं जो वर्तमान में कांग्रेस सरकार में शिक्षा मंत्री हैं मंडी से स्वर्गीय सुखराम जो केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं उनके बेटे अनिल शर्मा राजनीति विरासत को संभाले हुए हैं शिमला लोकसभा से 6 बार सांसद रहे स्वर्गीय के केडी सुल्तानपुरी के बेटे विनोद सुल्तानपुरी इसके उदाहरण हैं।


अगर भाजपा की बात करें पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और उनके बेटे अनुराग ठाकुर केंद्रीय मंत्री छोटे बेटे अरुण धूमल जो बीसीसीआई में सचिव पद पर हैं।


भाजपा के धर्मपुर से नेता और जो चुनाव जितने के अनूठे रिकॉर्ड के लिए चर्चित महेंद्र सिंह ठाकुर और उनके बेटे रजत ठाकुर ऊपरी शिमला से भाजपा के नरेंद्र वरागटा के बेटे चेतन वरागटा भाजपा में कुल्लू से कुंज लाल ठाकुर के बेटे गोविंद सिंह ठाकुर राजनीति में उनकी विरासत संभाल रहे हैं।


जिला हमीरपुर से स्वर्गीय जगदेव चंद ठाकुर भाजपा के बड़े नेता उनके बेटे नरेंद्र ठाकुर और बहू उर्मिला ठाकुर विधायक रह चुके हैं।

इसी तरह राजनीति में यदि पिता से विरासत मैं सीधे पुत्र संभालता है तो उसी को वंशवाद  ही कहा जाएगा हालांकि राजनेता तर्क देते हैं कि उनके परिवार के लोग अपने बूते पर अपनी जगह राजनीति में बनाते हैं फिलहाल ऐसा लगता है आने वाले समय में भी राजनीति से वंशवाद को अलग करना संभव नहीं दिखाई देता है।


इसी तरह एक अलग पहलू से देखें तो हिमाचल में परिवार के एक से अधिक सदस्यों की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल , पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय पंडित सुखराम और शिमला जिले से कश्यप परिवार के सदस्य राजनीति में हैं।


शिमला जिले से कश्यप परिवार से स्वर्गीय बालकराम कश्यप के परिजनों में वीरेंद्र कश्यप, डॉक्टर राजेश कश्यप, एच एन कश्यप जैसे नाम हैं। जो भारतीय जनता पार्टी से हैं।


इसी तरह अगर राजनीति में परिवारवाद का दबदबा और बोल वाला रहा तो राजनीति में आम व्यक्ति और कर्मठ कार्यकर्ता जो राजनीतिक अनुभव रखते हैं और जो ईमानदार पढ़े लिखे लोग  राजनीति में आकर समाज सेवा करना चाहते हैं  कोई स्थान नहीं रहेगा।


आम आदमी पार्टी सभी दलों का जो इस प्रकार परिवारवाद , वंशवाद को बढ़ावा देती है उसका विरोध करती है। राजनीति में स्वच्छ एवं साफ छवि और पढ़े-लिखे लोगों को आगे करने की बात अगर कोई करती है तो वह आम आदमी पार्टी करती है।


आम आदमी पार्टी की विचारधारा कट्टर ईमानदारी, कट्टर देश भक्ति और इंसानियत पर आधारित है। जो देश में एक वैकल्पिक राजनीति को आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है।



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