हिमाचल किसान सभा की राज्य कमेटी की विस्तारित बैठक राज्याध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर की अध्यक्षता में मंडी में आयोजित की गई। इस बैठक में 8 जिलों से किसान सभा के नेतृत्वकारी सदस्यों ने भाग लिया।
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बैठक के उद्घाटन सम्बोधन में राज्य महासचिव डॉ ओंकार शाद ने कोविड महामारी से अर्थव्यवस्था एवं सार्वजनिक सेवाओं पर पड़े दुष्प्रभावों बारे अवगत कराया। डॉ शाद ने कहा कि इस कोविड काल मे केवल 3 फीसदी अमीर लोगों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई जबकि आम आदमी की हालत और भी खराब हुई। इस दौर में अर्थव्यवस्था माईनस 23 फीसदी तक गिरी। ओंकार शाद ने कहा कि खेती व किसानी को उजाड़ने और पूँजीपतियों एवं कारपोरेट जगत के हित साधने के लिए जबरन थोंपे गए तीन अध्यादेश को गैर लोकतान्त्रिक तरीके से संसद में जबरन पारित कर मोदी सरकार ने देश की कृषि, किसान व आम जनता के हितों पर कड़ी चोट की थी। लेकिन किसान संगठनों ने इस साजिश को समझते हुए देश भर में व्यापक एकता बनाते हुए संयुक्त किसान मोर्चा का गठन करते हुए देश व्यापी आंदोलन छेड़ा, जिसमें 700 के करीब किसान आंदोलन के दौरान शहीद हो गए। हजारों किसानों पर झूठे मुकद्दमें बनाए गए और उनके खिलाफ सरकार द्व्रारा प्रायोजित घृणा का अभियान भी कारपोरेट मीडिया द्वारा चलाया गया। किसान आंदोलन को मजदूरों, छात्रों, महिलाओं, छोटे दूकानदारों का भी साथ मिला। किसान सभा व संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि संसद में एमएसपी का कानून बनाया जाये तथा बिजली विधेयक 2020 को वापस लिया जाये। उन्होंने कहा कि किसान मजदूर की एकता ने तथा कुछ राज्यों में आगामी विधान सभा चुनावों में भाजपा की बड़ी हार की संभावना को टालने के लिए विवश हो कर ही मोदी सरकार पूँजीपतियों के पक्ष में बनाए गए किसान विरोधी क़ानूनों को पलटने के लिए तैयार हुई है। इस तरह देश के किसान आंदोलन की ये ऐतिहासिक जीत है। देश को संसाधनों को पूंजीपतियों व बड़ी कंपनियों को हवाले किया जा रहा है। उनके कर्ज़ माफ किये जा रहे हैं तथा टैक्स में छूट दी जा रही है। इसकी भरपाई के लिए आम जनता की आमदनी व खरीदने की क्षमता गिर रही है तथा जनता पर तरह तरह को टैक्स थोंपकर व महंगाई बढ़ा कर जनता पर बोझ डाला जा रहा है। प्रदेश में बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व परिवहन जैसी सुविधाएं चरमर्रा गई हैं।
राज्याध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर ने केंद्रीय किसान कमेटी की बैठक के फैसलों पर चर्चा करते हुए देशव्यापी अखिल भारतीय किसान आंदोलन की साल भर के कठिन परिस्थितियों में निरंतर संघर्षों की जीत को ऐतिहासिक करार दिया। साथ ही किसान आंदोलन की न्यूनतम समर्थन मूल्य की बुनियादी मांग तक संघर्ष जारी रखने को किसानों की एकता का परिचायक बताया।
सभी फसलों को MSP के दायरे में लाने से देश की अधिकांश जनता ज किसानी खेती से जुड़ी है को सीधा लाभ मिलेगा। उन्होने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार ने किसानों की सबसिडियां छीनकर खेती को अलाभकारी बना दिया है। जंगली जानवरों व आवारा पशुओं द्वारा उजाड़ी जा रही फसलों व प्राकृतिक आपदाओं से क्षतिग्रस्त फसलों की भरपाई को लिए किसानों को कोई मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। इसके बावजूद यदि किसान पैदावार करता भी है तो उनको बाजार मैं फसल के उचित दाम नहीं मिलते हैं। अत: एमएसपी का कानून किसानों को लिए बहुत ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिन किसानों का खेती बाड़ी से गुजर बसर नहीं हो पाती है उनमें से अधिकांश लोग आजीविका के लिए मनरेगा में काम करते हैं, लेकिन मन रोगी में न तो समय पर काम दिया जाता है, न पूरा काम दिया जाता है और नही समय पर मजदूरी का भुगतान हो रहा है। अत: किसान सभा आगामी समय में इन मुद्दों पर भी आंदोलन तेज करेगी।
बैठक में हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के मद्देनजर खेती में व्यापक हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से विभिन्न मुद्दों पर पांच उपसमितियां गठित की गई। इसमें भूमि, सेब, टमाटर व सब्जियां, दूध, तथा अनाज के क्षेत्र में गठित की गई जिनपर आगामी समय में विस्तृत अध्ययन करते हुए संघर्षों को विकसित किया जाएगा।
बैठक में 31 जनवरी तक पचास हजार सदस्यता के लक्ष्य को हासिल करते हुए प्रदेश के गांवों तक देशव्यापी किसान आंदोलन की जीत की उर्जा से किसानों के संघर्ष के प्रति आशावादी दृष्टिकोण पैदा किया जाएगा। हिमाचल किसान सभा का राज्य सम्मेलन 9-10 अप्रैल को सोलन जिला में आयोजित किया जाएगा। दिसम्बर-जनवरी में सदस्यता एवं प्राथमिक इकाईयों के सम्मेलन, फरवरी में खण्ड इकाईयों तथा मार्च माह में जिला इकाईयों के सम्मेलन किये जायेंगे।
इसके साथ बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि भूमि अधिग्रहण प्रभावितो के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हुए 14 दिसम्बर को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में धर्मशाला में प्रदर्शन किया जाएगा। बल्ह हवाई अड्डे के मुद्दे पर अधिवेशन करते हुए संघर्ष को आगे बढ़ाया जाएगा। बैठक में सदस्यों द्वारा चर्चा करते हुए किसान सभा को सुदृढ़ करने का संकल्प लिया।
बैठक में कुशाल भारद्वाज, प्रो राजेन्द्र चौहान, सत्यवान पुण्डीर, होतम सोंखला, नारायण चौहान, सतपाल, डॉ एम. एस. दत्तल, प्यारे लाल, देवकीनंद, पूर्ण ठाकुर, जोगिंदर वालिया, विजय शर्मा, के पी नेगी, प्रेम चौहान, प्यारे लाल, रणजीत सिंह, नरेंद्र सिंह, अश्वनी सैनी, रविंदर कुमार, बुधि सिंह, कृष्ण लाल, नीतिश, केशव वर्मा, चंदर दत्त शर्मा, अशोक वर्मा, जगदीश, मोती लाल कटवाल, गुर जीत सिंह गिल, खेम चंद, कुलदीप ठाकुर, अनिल कुमार, चमन लाल ,आदि सदस्यों ने चर्चा में प्रमुखता से भाग लिया
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