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धर्मपुर में कर्मचारिओं के छह सौ पद ख़ाली, स्वास्थ्य,कृषि और परिवहन विभाग की हालत सबसे ज्यादा खराब जलशक्ति मंत्री ने जलशक्ति विभाग में पौने तीन सौ रैगुलर कर्मचारियों के पद समाप्त करके औटसोर्स पर कम वेतन पर की भर्ती

 धर्मपुर में कर्मचारिओं के छह सौ पद ख़ाली, स्वास्थ्य,कृषि और परिवहन विभाग की हालत सबसे ज्यादा खराब

जलशक्ति मंत्री ने जलशक्ति विभाग में पौने तीन सौ रैगुलर कर्मचारियों के पद समाप्त करके औटसोर्स पर कम वेतन पर की भर्ती




धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में कहने के लिए तो विकास की गंगा बह रही है लेक़िन कर्मचारियों के ख़ाली पदों की स्थिति देखें तो असलीयत इससे ठीक उल्टा है।कियूंकि पूरे विधानसभा क्षेत्र में छह सौ सरकारी कर्मचारिओं के पद लंबे समय में ख़ाली पड़े हैं।ये बात माकपा नेता व पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने कही उन्होंने आर टी आई से हासिल की गई सूचनाओं के आधार पर बताया कि धर्मपुर में वर्तमान में सरकारी कर्मचारियों के छह सौ पद ख़ाली पड़े हैं जिन्हें भरने के लिए मंत्री ने पिछले चार सालों में कुछ नहीं किया और केवल मात्र जकशक्ति विभाग में सौ,डेढ़ सौ रुपये दिहाड़ी पर मजदूर भर्ती किये हैं और उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ ही किया है कियूंकि उन्हें रैगुलर करने की अभी तक कोई पालसी नहीं बनाई है।भूपेंद्र सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में 160 पद ख़ाली पड़े हैं जिसके कारण यहां के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हो रही है।किसी भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लैब और एक्सरे तकनीशियन नहीं हैं।संधोल, धर्मपुर और टिहरा अस्पतालों में पूरी सुविधायें उपलब्ध नहीं है।आर्युवेदा विभाग में दस डॉक्टरों के पद ख़ाली हैं और अधिकांश डिस्पेंसरियों केअपने भवन नहीं हैं।इसके अलावा शिक्षा विभाग में 70 पद खाली हैं जिनमें 58 जेबीटी अध्यपकों के पद रिक्त हैं और अन्य पद भी ख़ाली हैं।जलशक्ति विभाग में 55 पद ख़ाली हैं और 270 पद समाप्त कर दिये हैं और इनके बदले कम वेतन पर ऑउटसोर्स आधार पर मज़दूर भर्ती करके काम करवाया जा रहा है।ग्रामीण विकास विभाग में 85 पद पँचायत सचिवों, तकनीकी सहायकों और ग्रामीण रोज़गार सेवकों और अन्य पदों के रिक्त पड़े हैं।


परिवहन विभाग में 45 पद ख़ाली हैं और 44 बसें धर्मपुर डिपो में कम हैं।हर घर को बिजली देने वाले विद्युत विभाग में 115 पद ख़ाली पड़े हैं और यहां पर भी ऑउटसोर्स आधार पर रखे मजदूरों से काम चलाया गया है।सबसे ज्यादा खस्ता हालत कृषि विभाग की है जिसमें सात में से छह कृषि प्रसार अधिकारियों के पद ख़ाली पड़े हैं और बागवानी विभाग में पांच पद ख़ाली पड़े हैं।लोकनिर्माण विभाग में 20 पद और राजस्व विभाग में आठ पद ख़ाली हैं दूसरी तरफ पशुपालन विभाग में 11पद ख़ाली पड़े हैं तो इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि धर्मपुर में किस प्रकार का विकास हो रहा है।हाँ एक क्षेत्र में जरूर विकास हुआ है वह है हर पँचायत में चार पांच ठेकेदारों की फ़ौज जरूर खड़ी हुई है जो इनके लिए माल इकठ्ठा करने का काम करती है।इसके अलावा दो तीन बड़े दफ़्तर यहां खोले गए हैं जिनका जनता से कोई सीधा नाता नहीं होता है और जो कर्मचारी गांव स्तर पर जनता को सुविधाएं मुहैया करवाते हैं उनका टोटा है।जलशक्ति विभाग द्धारा जलजीवन मिशन के तहत यूनीप्ररो कम्पनी के माध्य्म से पाइपें बिछाई गई है और भण्डारण टाँक बनाये गए हैं। जिसमें बड़े पैमाने पर भरस्टाचार हुआ है।मंत्री के बेटे ने सहारा संस्था बनाकर नम्बर दो की कमाई को इसके माध्यम से खर्च करने का तरीका जरूर ढूंढा है।इसप्रकार धर्मपुर के बाहर जो यहां के विकास की बड़ी बड़ी बातें होती हैं वे सब सच्चाई से कोषों दूर है और चिराग़ तले अंधेरा होने की कहावत को ही चितार्थ करती है।


वाइट भुपेंद्र सिंह







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