मंत्री पर धर्मपुर में अपनों को करोड़ों के ठेके देने में हुये भ्र्ष्टाचार की हो सीबीआई जांच-भूपेंद्र
मंत्री पुत्र ने सहारा संस्था के नाम पर ठेकेदारों के पैसे से महिला मण्डलों के कार्यक्रमों में खिलाई धामें,बांटे गद्देऔर मांगे वोट!
धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र से पांच अलग अलग पार्टियों से चुनाव जीतने वाले दलबदलू विधायक अपने आप को देश के सर्वश्रेष्ठ मंत्री बताते हैं जिसके लिए किराये की एजेंसियों से सर्वेक्षण करवाया जाता है।लेक़िन मंत्री की असलियत जनता से छुपी नहीं है।अपने परिवार के लिए अरबों रुपये की संम्पति इकठ्ठा करने और अपने करीबी रिश्तेदारों को ठेके देने के लिए अफसरों पर दबाब डालते हैंऔर राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा काम करने वाली संस्थाओं के टैंडर कैंसल करवाते हैं। ये आरोप माकपा नेता व पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने मीडिया के माध्यम से लगाये हैं।उन्होंने कहा कि मंत्री के कहने पर राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड शिमला द्धारा मंडी की एक नामी गिरामी संस्था को ऑनलाईन पक्रिया के तहत आवंटित टेंडर गत माह रद्द करवाया गया है।धर्मपुर की हालत ऐसी है की यहाँ पर कानूनी प्रक्रिया को ताक पर रखकर उनके चाटुकारों और रिश्तेदारों को करोड़ो रुपये के ठेके दिए हैं।यही नहीं अब मंत्री के बेटे द्धारा बनाई गई गैर सरकारी सहारा संस्था के जरिये धन और सामग्री इकठ्ठा करने का काम किया जा रहा है।इसी चंदे रूपी काले धन से मंत्री के बेटे द्धारा धर्मपुर के सभी महिला मण्डलों और पँचायत प्रतिनिधियों को इकठ्ठा करके उन्हें गद्दे औऱ नगद ईनाम बांटे और 12 स्थानों पर धामें खिलाई जा रही है जिसके चलते पिछले एक माह में डेढ़ सौ किविंटल चावल धामें खिलाई गयी।उन्होंने 12 स्थानों पर स्थानों पर ये महिला समारोह आयोजित किये गए जिनमें ठेकेदारों और कम्पनियों से सभी प्रकार का खर्चा प्रायोजित करवाया गया।वहीं दूसरी तरफ यही ठेकेदारों की टीमें मंत्रीपुत्र को कंधों पर उठा उठाकर हर जगह जाकर नारे लगा रहे हैं और महिलाओं से भी नारे लगवाये जा रहे हैं। मंत्री के बेटे को फूलों के हार चंडीगढ़ से लाये गये हैं जो उन पर महिलाओं से डलवाये गये।सब कुछ प्रयोजित तरीके से किया गया।कुल मिलाकर उसे अगला विधायक का प्रत्याशी घोषित किया गया । माकपा नेता ने कहा कि करोड़ों रुपए का सरकारी धन मंत्री के चाटुकारों और रिश्तेदारों ने धर्मपुर में समेट लिया है और जो अच्छा काम करने वाले लोग हैं उन्हें हाशिये पर रखा जा रहा है जिसकी उच्चस्तरीय जांच सीबीआई के माध्यम से होनी चाहिए।एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में तो मंत्री का शेयर होने की भी चर्चा है जिसको ठेके देने के लिए मंत्री द्धारा सिफारिश करने की भी खबरें हैं।यही नहीं मंत्री के परिवार के सदस्यों के कहीं होटल तो कहीं बगीचे हैं तथा हिमाचल और हिमाचल के बाहर अरबों रुपए की संपत्ति है।भूपेंद्र सिंह ने बताया कि जनवरी माह हिमाचल प्रदेश राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड शिमला ने धर्मपुर विकास खण्ड की सभी ग्राम पंचायतों में मनरेगा मज़दूरों के लिए जागरूकता शिविर आयोजित करने के लिए ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के ज़रिए गैर सरकारी संस्था मंडी साक्षरता एवं जन विकास समिति को कार्य सौंपा था।जिसके तहत उस संस्था ने बोर्ड के दिशा निर्देश पर खण्ड रिसोर्स व्यक्तियों का प्रशिक्षण और ज़रूरी सामग्री का मुद्रण करवा दिया था। जब इसकी जानकारी जलशक्ति मंत्री को मिली तो उन्होंने धर्मपुर में इस संस्था का टेंडर रदद करने के लिए बोर्ड के अध्यक्ष और अधिकारियों पर दबाब डाला और उनका टैंडर रदद् करवा दिया औऱ अपने बेटे की संस्था को टेंडर जारी करने के लिए दबाब बनाया हुआ है जिस कारण अभी तक भी ये जागरूकता शिविर आयोजित नहीं हो पाए हैं।बताया जाता है कि जिस संस्था को बोर्ड ने धर्मपुर खण्ड में जागरूकता अभियान चलाने के लिए कार्य सौंपा है उस संस्था के संस्थापक सदस्यों में धर्मपुर से सबन्ध रखने वाले एक वामपंथी नेता भी हैं जो मंत्री की नाकामियों और काले कारनामों उनकी जन विरोधी गतिविधियों तथा परिवारराज औऱ तानाशाही का लगातार मुखर विरोध करते हैं। हालांकि उनका इस गैर सरकारी संस्था से पिछले 12 साल से कोई जीवित संपर्क नहीं हैं लेकिन फ़िर भी इस संस्था को राज्य सरकार के प्रोजेक्ट न देने के लिए मंत्री लगातार हस्तक्षेप करते हैं।यही नहीं दो साल पहले इन्हीं मंत्री के कहने पर उस संस्था की दो बार जांच भी बिठाई गयी थी लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ।उल्टा 7 फ़रवरी 2022 को नाबार्ड ने प्रदेश में सबसे अच्छा कार्य करने पर इस संस्था को प्रथम पुरस्कार भी दिया है और सूक्ष्म बीमा में यह संस्था पूरे देश में अब्बल रही है।लेकिन मंत्री की आंखों में यह संस्था इसलिए खटकती है। कियूंकि इसके साथ कभी माकपा का जुड़ाव रहा है औऱ वे उसके संस्थापक सदस्य हैं। दो साल पहले मंत्री के बेटे ने श्रम विभाग मंडी के कार्यालय में जाकर वहां पर महिला कर्मियों को धमकाया और रूलाया था जिसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल भी हुआ था।बाद में मंत्री के कहने पर मंडी लेबर ऑफिस का सारा स्टाफ़ वहाँ से जबरदस्ती ट्रांसफर करवा दिया था। उसके बाद मंडी ऑफिस के सारे स्टाफ़ की तीन बार जांच करवाई ताकि कर्मचारियों को प्रताड़ित किया जा सके।लेक़िन जांच में कोई खामी न मिलने के कारण उन पर कोई अनुशासनत्मक कार्यवाही नहीं हो पाई। लेक़िन सत्ता और सरकार की धौंस के आधार पर उनको वहाँ से ट्रांसफर कर दिया गया मनरेगा मजदूरों की आवाज़ लगातार उठाना औऱ उन्हें कल्याण बोर्ड से करोड़ो रूपये के लाभ दिलाने का काम सीटू से जुड़ी मज़दूर यूनियन करती है जिसमें मुख्य भूमिक सीटू के नेता भूपेंद्र सिंह और उनकी टीम की होती है।भूपेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री को चुनौती दी है कि अगर उनके चहेते मंत्री अगर इतने ही ईमानदार हैं तो उनके परिवार और उनके रिश्तेदारों द्धारा इकठ्ठा की गई करोड़ों रुपये की संपत्ति और अपने चेहतों के लिए ठेके लुटाने वाले मंत्री पर सीबीआई जांच की सिफारिश करें ताकि दूध का दूध और पानी का पानी जनता के सामने आ सके।
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