*G20 समूह की अध्यक्षता करना भारत के हर नागरिक के लिए गर्व की बात : मृदुला शारदा*
*G20 Presidency - What It Means For INDIA विषय पर एबीवीपी एचपीयू इकाई ने किया संगोष्ठी का आयोजन*
BHK NEWS HIMACHAL
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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई द्वारा आज G20 Presidency - What it Means For INDIA विषय पर विवि के विधि विभाग के सेमिनार हॉल में संगोष्ठी का आयोजन किया | इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर डॉ मृदुला शारदा ( विभागअध्यक्षा राजनीतिक विज्ञान विभाग, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ) मुख्य रूप से मौजूद रहीं |
कार्यक्रम में मौजूद छात्र - छात्राओं को सम्बोधित करते हुए डॉ शारदा ने कहा कि "भारत के लिए यह आयोजन गर्व का विषय है" G20 का आयोजन 130 करोड़ भारतीयों की शक्ति और सामर्थ्य का प्रतिनिधित्व कर रहा है | दुनिया को G20 से काफी उम्मीदे हैं और वैश्विक विकास महिलाओं की भागीदारी के बिना संभव नहीं है | G-20 एजेंडा में महिलाओं के नेतृत्व में विकास को प्राथमिकता देनी होगी।"उन्होंने कहा कि भारत G-20 का जिम्मा ऐसे समय ले रहा है जब विश्व जियो पॉलिटिकल तनावों, आर्थिक मंदी और ऊर्जा की बढ़ी हुई कीमतों और महामारी के दुष्प्रभावों से एक साथ जूझ रहा है. ऐसे समय विश्व G-20 के तरफ आशा की नज़र से देख रहा है. भारत को G-20 समूह की अध्यक्षता मिलने से दुनिया को साफ संदेश गया है कि वैश्विक मुद्दों पर भारत का नजरिया सुलझा हुआ और बेहतरीन समाधान वाला है.इस मंच पर भारत अपने सकारात्मक और रचनात्मक नजरिए के जरिए एक समाधान सुझाने वाला और आम सहमति बनाने वाले वैश्विक नेतृत्व करने वाले देश के तौर पर उभरा है. उन्होंने कहा कि G-20 का मंच कोई साधारण मंच नहीं है. यह दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद के 85 फीसदी तो व्यापार में 75 फीसदी से अधिक का नुमाइंदगी करता है विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी इस समूह में है. भारत अब इस G-20 समूह का नेतृत्व करने जा रहा है। आजादी के इस अमृतकाल में देश के सामने ये कितना बड़ा अवसर आया है। ये हमारे लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि G-20 की अध्यक्षता के दौरान पर्यावरण, महिलाओं के नेतृत्व में विकास, शांति और सुरक्षा, आर्थिक विकास, तकनीकी नवाचार भारत की प्राथमिकता होनी चाहिए ; उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत इसे "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" की तरह लेकर चल रहा है.भारत विश्व का समृद्ध और सजीव लोकतंत्र है। हमारे पास लोकतंत्र के संस्कार हैं और मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में गौरवशाली परंपरा भी है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के प्रति-दिन बदलते माहौल में आर्थिक विकास के लिये विकासशील देशों के बीच आपसी संवाद और तालमेल बेहद अहम है। इस प्रकार तमाम देश आपसी सहयोग और समझदारी से न सिर्फ वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सकते हैं बल्कि खुद को भी आर्थिक तौर पर मज़बूत बना सकते हैं।भारत अगले अध्यक्ष के रूप में वैश्विक हित के मुद्दों को एक बड़ी आवाज देने की कोशिश करेगा।
कार्यक्रम के अंत में इकाई सह मंत्री मुकेश ने इस संगोष्ठी को सफल बनाने के लिए संगोष्ठी में मौजूद समस्त छात्र शक्ति का इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए धन्यवाद व्यक्त किया |
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