*बिना डीपीआर बनाई बल्ह एयरपोर्ट का एक-तरफा एवं किसान विरोधी रिपोर्ट*,
*प्रस्ताबित बल्ह हबाई अड्डे की सामाजिक प्रभाव आलंकन रिपोर्ट को निरस्त किया जाये : बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति*
BHK NEWS HIMACHAL
यादविंदर कुमार नेरचौक: आज दिंनाक 25 मार्च को भू अर्जन एवं ज़िलाधीश मंडी के माध्यम से मुख्यमंत्री , हिमाचल प्रदेश को एक मांग पत्र सोंपा गया जिसमे कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम चौधरी ने कहा कि हाल ही में एसआर एशिया दुवारा बनाई गई रिपोर्ट जी की विना डी पी आर के बनाई गई हे, और यह रिपोर्ट एक-तरफा एवं किसान विरोधी रिपोर्ट हे , इसलिये प्रसताबित बल्ह हबाई अड्डे की सामाजिक प्रभाव आलंकन रिपोर्ट को निरस्त किया जाये, जबकि SIA रिपोर्ट में यह साफ़ लिखा है कि परियोजना की DPR, RR प्लान आदि अभी तैयार नहीं है. SR एशिया के पास परियोजना को ले कर मात्र इतनी जानकारी थी कि इस परियोजना के लिए 7 राजस्व मोहाल की 2500 बीघा व्यक्तिगत भूमि और 370 बीघा सरकार भूमि की आवश्यकता होगी जिससे 2862 परिवार प्रभावित होने हैं. इतनी जानकारी के आधार पर रिपोर्ट तैयार की यी है – यह केवल इस क्षेत्र की जनता के साथ मज़ाक नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार (सामाजिक समाघात निर्धारण एवं सहमति) नियम, 2015 का उलंघन भी है.
सचिव नन्दलाल वर्मा ने कहा की एस आर एशिया की रिपोर्ट में सामाजिक प्रभाव आँकलन रिपोर्ट पढ़कर परियोजना बनने से प्रभावित क्षेत्र की जनता को क्या मिलेगा, हमें कितना भूमि का मुआवजा मिलेगा, मकान जो अधिगृहित होंगे उसका कितना मुआवजा मिलेगा, जो हम रोजगार खोएंगे उसके बदले रोजगार मिलेगा, कुछ भी पता नहीं चलता। इससे यह भी नहीं पता चल हमें अधिगृहीत होने वाली भूमि के बदले केवल पैसा दिया जाएगा (तो कितना दिया जाएगा) या अन्य जगह पर बसाया जाएगा (तो कहाँ बसाया जाएगा और कैसी भूमि खेती के लिए दी जाएगी)। बाढ़ ग्रस्त होने के कारण साथ लगती जमीन में जल भराव का क्या होगा, बिना उपरोक्त सारी जानकारी के यह रिपोर्ट को पूर्ण केसे माना जाये I
यह रिपोर्ट हिमाचल प्रदेश भूमि अर्जन, पुनर्वासन और नियम, 2015 के प्रावधानों का उलंघन हुआ हे और SIA रिपोर्ट भूमि अर्जन,पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम 2013 और नियम, 2015 के प्रावधानों के अनुसार नहीं बनी.इस कानून का सबसे प्रथम नियम है कि SIA में यह साबित होना है कि परियोजना PUBLIC PURPOSE या सार्वजनिक उद्देश्य को पूरा करती है – परन्तु पूरी SIA रिपोर्ट में ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं रखा गया. नियमानुसार प्रस्तावित भूमि अर्जन में खाद्य सुरक्षा की बावत विशेष प्रबंध दिए गये हैं जिसके अधीन सिंचित बहु-फ़सली भूमि का अर्जन नहीं किया जाएगा। इसका रिपोर्ट में कोई जिक्र नहीं है। SIA की रिपोर्ट अनुसार 2862 परिवार विस्थापित होंगे और रिपोर्ट के पृष्ठ 22 में, 86.80 percent लोगों का कहना है की बराबर मात्र में दूसरी जगह उपजाऊ जमीन दी जाए। तो नियम 7 (5) अनुसार ऐसी भूमि चिह्नित करनी थी उसका निरीक्षण करना था और विस्थापित लोगों की राय लेनी थी लेकिन SIA रिपोर्ट में नहीं है। रिपोर्ट में भूमि अधिग्रहण से कितने परिवार भूमिहीन होंगे उसकी संख्या नहीं दी गई है। परियोजना प्रभावित परिवारों की संख्या में केवल 3(ग) 1 के अंतर्गत आने वाले परिवारों को शामिल किया है जिनकी भूमि जा रही है या अन्य संपत्ति जा रही है।
जबकि व्यावसायिक खेती होने से ऐसे हज़ारों लोग हैं जो दशकों से इस क्षेत्र में कृषि कार्य के लिए आते हैं। ऐसे प्रवासी मज़दूर जो बल्ह में मौसमी काम करने के लिए झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश से आते हैं, उनका ज़िक्र तक नहीं किया गया है। ऐसे कितने परिवार हैं जो अपना रोजगार का स्रोत खो देंगे और उनको क्या मुआवजा दिया जाएगा वो रिपोर्ट में कहीं नहीं है और नाहीं उन परिवारों का मत इसमें शामिल है नियम 3(ग) ई के अंतर्गत अपने वन अधिकारों को खो रहे हैं उनकी सूची शामिल नहीं है जबकि इसमें सीमांकित संरक्षित वन भूमि का हस्तांतरण भी प्रस्तावित है जिसमें बर्तनदारों के वन अधिकार राजस्व दस्तावेज़ों में दर्ज हैं। यह साफ साफ धारा 3 (ग) का उल्लंघन है।
आर्थिक लाभ –हानि विश्लेष्ण रिपोर्ट से गायब, रिपोर्ट में कोई भी आर्थिक विश्लेषण नहीं है। परियोजना की लागत कितनी है यह भी रिपोर्ट में नहीं है. भविष्य में परियोजना से क्या फायदा होगा कहीं नहीं है। लोग कितने क्षेत्र में कौन सी फसल उगा रहे हैं, फसल चक्र क्या है, उत्पादन कितना है और उत्पाद की मार्केट रेट क्या है जिससे पता चलता की भूमि अधिग्रहण से स्थानीय आजीविका और उससे सकल उत्पादन और राजस्व का क्या नुकसान होगा कुछ भी नहीं है। साथ ही बल्ह घाटी में ब्यास की सहायक नदियों – सुकेती, कांसा और लोहारी - बहती हैं और यह एक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित है जो कोई औद्योगिक इस्कायी स्थापित करने योग्य नहीं है – इस सन्दर्भ में सरकार ने क्षेत्र के पर्यावरणीय और भौगोलिक सीमाओं को ध्यान में रखते हुए सभी विकल्पों पर विचार नहीं किया है। जब इसमें न परियोजना का बजट है, न पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन का बजट दिया है, किन मदों पर कितना खर्च होगा इसका ब्योरा कहीं नहीं है, तो हम से किस बिना पर और किस बात की सहमति मांगी जा रही हैं? प्रस्ताबित नए एयरपोर्ट के निर्माण की आवश्यकता का आँकलन मौजूद नहीं, हिमाचल प्रदेश में पहले से शिमला, भुंतर और धर्मशाला में तीन एयरपोर्ट मंडी से 50 किलोमीटर की हवाई दूरी के अंदर आते हैं। ऐसे में एक नए एयरपोर्ट की ज़रूरत का कोई आँकलन रिपोर्ट में नहीं मिलता। इन हवाई अड्डों के विस्तार की योजनाओं पर भी विचार विमर्श/ काम शुरू किया जा चुका है। इस बाबत कोई विस्तृत विमर्श, बैठक या अध्ययन का ज़िक्र रिपोर्ट में नहीं है।
बल्ह घाटी के उपजाऊ और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र और इस पर निर्भर परिवारों की आजीविका उजाड़ कर हवाई अड्डा बनाने के प्रस्ताब के हम खिलाफ हैं, पहले सरकार यह साबित करे इस परियोजना के प्रभावित जनता का कैसे विकास होगा. उनका रोजगार, जमीन के बदले जमीन कहा मिलेगी क्या बाज़ार भाव के अनुसार जमीन का मूल्य मिलेगा और सभी कानूनी प्रावधान अनुसार विकल्पों की जांच, लाभ हानि विश्लेष्ण, पर्यावरण और सामाजिक प्रभावों का आंकलन कर जनता के सामने रखा जाये तभी जनता अपना मत और निर्णय देगी. इन सभी मुद्दों के मद्दे नज़र हम इस SIA रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करते और इसे पूर्ण रूप से निरस्त करने की मांग करते हैं.
प्रितिनिधिमंडल में कार्यकारी प्रधान, प्रेम चौधरी, सचिव नन्दलाल, रूप लाल,सूबेदार बलदेव, जोगिन्दर ,आदि शामिल रहे
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