शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

प्राक्रतिक आपदा सहायता से मुक़री सरकार मनरेगा में उलझाया मामला भूपेंद्र सिंह ने कहा नुक़सान के अनुसार मिले सहायता

 प्राक्रतिक आपदा सहायता से मुक़री सरकार मनरेगा में उलझाया मामला


भूपेंद्र सिंह ने कहा नुक़सान के अनुसार मिले सहायता




हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन और उसमें भी विशेष तौर से घरों,गौशालाओं इत्यादि के आसपास ल्हासे गिरने के पुनर्निर्माण के लिए एक एक लाख रुपये की न्यूनतम सहायता प्रदान करने का एलान किया था। उन्होंने जिन घरों को  ख़तरा पैदा हुआ है वहां पर तुंरत रोकथाम के लिए इन कार्यों को मनरेगा के तहत करवाने की भी घोषणा की थी। लेकिन अब जब इन घोषणाओं को लागू करने के लिए विभाग ने दिशा निर्देश जारी किए हैं तो उसमें बहुत ज्यादा बदलाव किया है। जिसका मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कड़ा विरोध किया है।पार्टी नेता और पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने प्रेस को जारी बयान में कहा है कि अब सरकार ने घरों,गौशालाओं व अन्य नज़दीकी क्षेत्रों में डंगे लगाने की सहायता राशि एक लाख से घटाकर पचास हजार रुपये कर दी है और ये प्राकृतिक आपदा प्रबंधन के हिसाब से नहीं बल्कि मनरेगा योजना में पहले से ही जो पचास हजार रुपये से जो सुरक्षा दीवारें लगती थी उसी के तहत इन्हें लगाने के आदेश जारी किए हैं।मनरेगा में अधिक्तम बजट प्रावधान 50 हज़ार रुपये का ही है लेक़िन वर्षा के कारण जो डंगे लगने हैं उनकी स्थिति अलग अलग है और ये कई जगहों पर लाखों रुपये से ही निर्मित हो सकते हैं।भूपेंद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने इन डंगों को लगाने का जो तरीका अपनाया है वह भी सहायता करने के बजाए परेशानी देने वाला है।कियूंकि जो पचास हजार रुपये दिये जाने हैं उनमें 69 प्रतिशत मज़दूरी पर ख़र्च होंगे और उसके लिए मनरेगा के तहत मस्ट्रोल जारी किया जायेगा लेक़िन जो सीमेंट, रेत, बजरी बोल्डर इत्यादि इस्तेमाल होंगे वे लाभार्थी को अपने पैसे से क्रय करने होंगे और उसका भुगतान उसे बाद में होगा।जिसके चलते लाभर्थियों को बाज़ार भाव से सीमेंट क्रय करना होगा जो विभागीय सप्लाई से महंगा मिलेगा।दूसरा बीस हजार रुपये के बजट से बहुत कम सामग्री आएगी जिससे डंगे नहीं लग सकेंगे।इसके अलावा सरकार की घोषणा और वास्तविक स्थिति का तो ये आलम है कि बजट में मनरेगा मज़दूरों को 240 रु दिहाड़ी देने की घोषणा तो कर दी गई है लेकिन राज्य सरकार ने जो दस प्रतिशत अपना हिस्सा मनरेगा मज़दूरों को बजट सत्र के चार महीने पूरा होने के बाद भी जारी नहीं किया है और अब तो मज़दूरों को पहले की 212 रु दिहाड़ी के बजाए 198 रु ही मिल रहे हैं।इसलिए उन्होंने सरकार से मांग की है कि प्राकृतिक आपदा प्रबंधन के तहत डंगों के लिए एक बराबर 50 हज़ार रुपये के बजाए नुक़सान और जरुरत के आधार पर धनराशी स्वीकृत की जाए जिसमें सामग्री के लिए ज़्यादा ख़र्च करने की छूट दी जाए।सामग्री लाभार्थियों के बजाए ग्राम पंचायतों के माध्यम से ही उपलब्ध करवाई जाए तथा मनरेगा मज़दूरों को 240 रु मज़दूरी देने के लिए तुरन्त राज्य सरकार अपना शेयर जारी करे।उन्होंने ये भी मांग की है कि प्राकृतिक आपदा प्रबंधन के लिए आये बजट का ख़र्च बिना किसी राजनैतिक भेदभाव से सुनिश्चित किया जाये।




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