धर्मपुर में तबाही का मुख्य कारण यहाँ अपनाया गया ठेकेदारी वाला विकास मॉडल है-भपेंद्र
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी धर्मपुर लोकल कमेटी ने धर्मपुर में हुए ठेकेदारी आधारित और बेतरतीब विकास को पिछले दिनों हुई भारी वर्षा के कारण हुए नुक़सान का मुख्य कारण बताया है।पार्टी के सचिव व पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने कहा कि केवल भारी बारिश का कारण बता कर पूर्व की सरकारों और यहां के नुमाइंदें को क्लीन चिट नहीं दी जा सकती है।उन्होंने कहा कि पूर्व में जो यहाँ के नुमाईन्दे रहे हैं वे स्वयं भी ठेकेदार पृष्ठभूमि के थे और उनका बेटा, दामाद और अन्य कई रिस्तेदार भी ठेकेदारी करके सरकारी पैसा हड़पते रहे हैं और करोड़ों रुपए इकठ्ठे किये गए हैं यहां तक की उनकी बेटी की भी अलग ठेकेदारों की टीम थी।इसलिये वर्तमान में हुई तबाही और भूस्खलन का असली कारण ये सब है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और यदि इन सब कारणों की समीक्षा किये बगैर हम भविष्य के लिए भी सही योजना नहीं बना सकते हैं।इसलिए उन सभी करणों की समीक्षा होनी चाहिये और उससे सीख लेकर भविष्य में विकास कार्य होने चाहिए।धर्मपुर में पिछले समय में जो सड़के बनी हैं उनका मलबा हर कहीं डाला गया है और कहीं पर भी डंपिंग साइटें नहीं बनी हैं जबकि डीपीआर तैयार करती बार ऐसा करना अनिवार्य होता है।पिछले पांच साल में तो अगर कहीं सुबह सड़क बनाने की मांग होती थी तो शाम को ठेकेदार की जेसीबी भूमि काटने और सड़क खोदने लग जाती थी।कहीं पर भी वैज्ञानिकऔर तकनीकी आधार पर सड़के नहीं बनी हैं।जिस तरफ़ भी उंगली का इशारा होता था अधिकारियों को दबाब में सड़के और भवन निर्माण करना पड़ता था।कियूंकि लक्ष्य केवल पैसा कमाने का ही था।सभी छोटे बड़े गांव लिंक रोड से जोड़े तो जरुर गये हैं लेक़िन मलवा आसपास,नालों और खड्डों में डाला गया जो अब ल्हासे गिराने का कारण बना।किसी भी सड़क पर सही तरीके से ड्रेनें नहीं बनाई गई हैं।सड़कों को चौड़ा करती बार भूमि कटाव मनमर्ज़ी से किया जाता है और विभाग तथा सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है।ल्हासे ज़्यादा गिरने का एक और कारण सड़कों के किनारे जलशक्ति विभाग ने पाइपें तथा टेलीकॉम कंपनियों ने केवल विछायी और जहां से पानी का रीसाव होता रहता है और ये स्थान सैंकड़ों जगह लैंडस्लाइड होने का कारण बने हैं।कई जगह तो कटिंग के बाद फिलिंग भी सही तरीके से नहीं होती है।काम करवाती बार विभागीय तालमेल नहीं होने के कारण ऐसा हो रहा है।दूसरी तरफ धर्मपुर उपमंडल मुख्यालय में बस स्टैंड, जलशक्ति विभाग, एसडीएम कार्यालय और अब मिनी सचिवालय के भवन का निर्माण भी बाढ़ संभावित क्षेत्र में किया गया है जो हमेशा ही चिंता और नुक़सान का कारण बना रहता है।खडड को चैनलाइज करके उसकी चौड़ाई कम की जा रही है जिससे दूसरी तरफ भूमि कटाव ज़्यादा हो रहा है।खनन माफिया बेलगाम है जिससे खड्डों और नालों के आसपास नुक़सान हो रहा है।स्लाईडिंग क्षेत्रों में भी भूमि कटाव किया जा रहा है।ठेकेदारों और निर्माण कम्पनियों द्धारा किये जा रहे निर्माण कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करना तथा इसमें फैले भ्रष्टाचार को रोकने की ज़रूरत है।धर्मपुर उपमंडल में बीस से ज्यादा पेयजलापूर्ति और सिंचाई योजना के पर कुलेशन टाँक और पंप हाऊस व्यास नदी के बहुत नज़दीक बनाये गये हैं।जो सभी इस बार क्षतिग्रस्त हो गए हैं।पिछले दिनों से यहां अवाहदेवी-सरकाघाट-बरोटी-मंडी की ओर बन रहे राष्ट्रीय उच्च मार्ग में लगी कंपनी की मनमर्ज़ी ने तो स्थिति और भी बिगाड़ दी है।टटिह-सरकाघाट में पूरा गांव तबाह कर दिया गया और ऐसे दर्ज़नो मकान, रास्ते, पेयजल स्त्रोत और भूमि तबाह कर दी गयी है।गांवों में अब पेड़ ज़्यादा हो गए हैं और उनके गिरने से मलवा ज़्यादा उखड़ता है और नुक़सान करता है।इसलिये सरकार को विकास के इस मॉडल की समीक्षा करके भविष्य के लिए स्थायी,टिकाऊ और व्यवहारिक मॉडल तैयार करने के लिए लंबी अवधि की योजना बनानी होगी तभी हम और भावी पीढ़ी सुरक्षित हो सकती है।उन्होंने इसकी तकनीकी रूप में समीक्षा करने की भी मांग की है।
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