फ़ॉलोअर

गुरुवार, 3 अगस्त 2023

कम्पनियों को क्लीन चिट दे गए नितिन गटकरी,फोरलेन,प्रोजेक्टों और सुरंगों के निर्माण में हुई है लापरवाही-भूपेंद्र

 कम्पनियों को क्लीन चिट दे गए नितिन गटकरी,फोरलेन,प्रोजेक्टों और सुरंगों के निर्माण में हुई है लापरवाही-भूपेंद्र



हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों हुई भारी बारिश और उससे आयी भयंकर बाढ़ के असली कारणों पर राज्य और केंद्र सरकार पर्दा डालने का प्रयास कर रही है जिसकी पुष्टि दो दिन पहले कुल्लू आये केंद्रीय सड़क मंत्री नितिन गटकरी द्धारा मीडिया में कही बातों से भी साफ़ झलकता है।माकपा नेता और पूर्व ज़िला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री ने फोरलेन,टनल और प्रोजेक्ट निर्माण कम्पनियों द्धारा अवैध रूप में नदियों में व नालों में फैंके गये लाखों टन मलवे,अवैज्ञानिक तौर पर नब्बे डिग्री की कटिंग इत्यादि के बारे में कुछ न कह कर इस पर पर्दा डालने का ही काम किया है।इस मलबे को नदी नालों में डालने के कारण ही व्यास नदी का जल स्तर बढ़ रहा है और यहां पर बने डैमों में भी मलवा भर गया है।केंद्रीय मंत्री ने बाढ़ की रोकथाम के लिए नदी के घुमाव ख़त्म करने और नदी के मलवे को उठाकर उसे और गहरा करने की बात बोली है साथ ही नदी के दोनों तरफ़ ऊंची दीवारें लगाने की भी बात मीडिया में कही है जो अव्यवहारिक और अवैज्ञानिक है।भपेंद्र सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जो नदी और नाले हैं वे बहुत ज़्यादा ऊंचाई से नीचे की ओर बहते हैं और उनके वहने का अपना एक रास्ता होता है तो कहीं सीधा तो कहीं घुमावदार होता है और उसमें बहुत ज्यादा बदलाव करना संभव नहीं है।नदियों से बोल्डर और रेत उठा कर उन्हें और ज़्यादा गहरा बनाने से नदी किनारे और ज़्यादा भूमि कटाव होगा और ज़मीन और पहाड़ और ज़्यादा गिरेंगे।इसलिये इस साल हुई भारी बारिश और कम्पनियों द्धारा किये गए अवैज्ञानिक और बिना योजना के किये निर्माण और भूमि की कटिंग के कारणों की जांच और साथ में रिसर्च करवाने की ज़रूरत है।कियूंकि यहां पर जो पहाड़ काटे गए हैं वे ढलानदार न नहीं बल्कि नब्बे डिग्री पर सीधे काटे गए हैं जो यहां की भूमि व पहाड़ों की सरंचना के विपरीत है। यही नहीं नदी किनारे भवनों और सड़कों का निर्माण कार्य धहड़ले से हो रहा और बहुत जगह पीने और सिंचाई की स्कीमें भी नदी किनारे बनाई गई हैं। नदियों पर बनाये बांधों से पानी छोड़ने का तरीका भी सही नहीं है।लेकिन इन सब पहलुओं को सरकारें और मंत्री नजरअंदाज कर रहे हैं और निर्माण कम्पनियां मनमाने तरीके से निर्माण कर रही है।इसके अलावा ग्लोबल वार्मिंग,जंगलों का अत्यधिक कटाव जैसे पहलू भी हैं जिन्हें दीर्घकालिन योजना निर्माण में ध्यान में रखना होगा।इसलिये पहाड़ी इलाकों में सड़कों, टन्नलों,प्रोजेक्टों के निर्माण के वर्तमान मॉडल की समीक्षा होनी चाहिये।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें