प्रज़ापिता ब्रह्मकुमारिज़ ईश्वरीय विश्वविद्यालय रिवालसरमें मनाया गया प्रमुख प्रशासिका ( मम्मा ) का स्मृति दिवस्
प्रजापिता ब्राह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ने मनाया मम्मा का स्मृति दिवस् । कार्यक्रम में सभी भाई-बहनों ने मम्मा को श्रद्धा सुमन अर्पित किए ।२४ जून १९६५ को मम्मा ने अपने इस नश्वर शरीर को दिया था।
जब-जब संसार में दिव्यता की कमी, धर्म की ग्लानि, समाज में अन्याय, अत्याचार, चरित्र में गिरावट व विश्व में अशांति के बीज पनपने लगते हैं, तब-तब इन समस्त बुराइयों को समाप्त करने के लिए किसी महान विभूति का जन्म होता है। इन्हीं में से एक महान विभूति थीं-जगदम्बा सरस्वती (मम्मा): इसका बचपन का नाम राधे था।
मम्मा सर्व गुणों की खान और मानवीय मूल्यों की विशेषताओं से सम्पन्न थीं। मम्मा ने कभी किसी को मौखिक शिक्षा नहीं दी बल्कि अपने प्रैक्टीकल जीवन से प्रेरणा दी। इसी से दूसरे के जीवन में परिवर्तन आ जाता था। मम्मा का व्यक्तित्व बहुत ही शक्तिशाली था। उन्होंने ऐसी स्थिति प्राप्त कर ली थी कि उनकी मात्र एक दृष्टि से सामने वाली आत्मा का मन पवित्र और शांत हो जाता था। सामने चाहे कितना भी विरोधी, क्रोधी, विकारी, नशेड़ी आ जाता परन्तु मम्मा की पवित्रता, सौम्यता व ममतामयी दृष्टि पाते ही वह शांत हो जाता और मम्मा के कदमों में गिर जाता।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें