निजीकरण, विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति की नियुक्ति और छात्र संघ चुनाव बहाली के लिए धरना-प्रदर्शन
आज एसएफआई विश्वविद्यालय इकाई ने विश्वविद्यालय पिंक पैटल में प्रदेश व केंद्र सरकार के खिलाफ शिक्षा के केंद्रीयकरण, निजीकरण, विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति की नियुक्ति और छात्र संघ चुनाव बहाली के लिए धरना-प्रदर्शन किया।
इस धरना-प्रदर्शन में इकाई अध्यक्ष संतोष कुमार ने बात रखते हुए कहा कि केंद्र की एक के बाद एक सरकारें निजी पूंजी और उसके नवउदारवादी हमले के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता प्रदर्शित करती रही हैं। वर्तमान सरकार शिक्षा के क्षेत्र में इन नवउदारवादी नीतियों को सख्ती से लागू कर रही है, जिससे भारत की कड़ी मेहनत से बनाई गई सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली कमजोर हो रही है। ये घटनाक्रम आश्चर्यचकित करने वाले नहीं हैं, क्योंकि ये नवउदारवादी पूंजी के वैश्विक अभियान का हिस्सा हैं। इन नीतियों का असर प्राथमिक और उच्च शिक्षा दोनों स्तरों पर निजी शिक्षण संस्थानों की बेतहाशा वृद्धि में दिखाई देता है। व्यावसायीकरण के कारण शिक्षा महंगी होती जा रही है और अधिक से अधिक छात्र अपनी पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। इसके अलावा, इसका असर हमारी शिक्षा प्रणाली की खराब स्थिति और छात्रों के कम उपलब्धि स्तर में भी दिखाई देता है।
शिक्षा संस्थानों, खासकर विश्वविद्यालयों पर चौतरफा हमला हो रहा है। सुरक्षा के नाम पर हमारे परिसरों को पुलिस थानों में तब्दील किया जा रहा है। यूजीसी ने अधिसूचना के माध्यम से सभी विश्वविद्यालयों को परिसर के अंदर पुलिस थाने स्थापित करने के लिए कहा है, साथ ही कई अन्य लोकतंत्र विरोधी कदम भी उठाए हैं। इन सभी कदमों का असली उद्देश्य छात्र राजनीति को नियंत्रित करना है। छात्रों द्वारा उठाए गए वास्तविक मुद्दों को संबोधित करने के बजाय छात्र संघ चुनाव को बंद कर दिया गया है।
देश के छात्र भारतीय शिक्षा प्रणाली की जरूरतों और आवश्यकताओं को संबोधित करने पर केंद्रित एक छात्र-समर्थक शिक्षा नीति के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह शिक्षा नीति केवल शिक्षकों, शिक्षाविदों और छात्रों की सक्रिय भागीदारी से ही विकसित की जा सकती है, न कि नागपुर में आरएसएस मुख्यालय के हुक्म से। पिछले आठ वर्षों से, हमने फीस वृद्धि के खिलाफ, निजी संस्थानों पर राज्य नियंत्रण के लिए, सामाजिक न्याय के लिए, लोकतंत्र की रक्षा के लिए उग्र संघर्ष किया है।
अगर प्रदेश व केंद्र सरकारें इन सभी मुद्दों पर सकारात्मक कदम नहीं उठाती है तो एसएफआई प्रदेश में आम छात्रों को लामबंद करते हुए उग्र आंदोलन करेगी।
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