महाविद्यालय चंबा के भूगोल विभाग की ज्योग्राफिकल सोसाइटी द्वारा विद्यार्थी संवाद कार्यक्रम का आयोजन
*जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी हो रही है गर्म : डॉ• शिवानी अबरोल*
*प्रकृति के छेड़छाड़ करने के कारण पहाड़ों में आ रही है आपदा*
आज महाविद्यालय चंबा के भूगोल विभाग की जियोग्राफीकल सोसाइटी चंबा द्वारा भूगोल की विद्यार्थियों के साथ संवाद करवाया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य तौर पर डॉ•शिवानी अबरोल और प्रोफेसर निशा द्वारा मौजूद रहे| जिसमे प्रथम वर्ष और तृतीय वर्ष के विद्यार्थीयों ने एक दुसरे के साथ आज कल के मुद्दो के लिए संवाद में भाग लिया । जिसमें लोगो में पर्यावरण के लिए जागरुकता, पर्यावरण को केसे बचाना , बाढ़ जैसी आपदा से निपटारा और अन्य मुद्दे भी रहे, जिसमें विद्यार्थी ने आपस में विचार विमर्श किया । संवाद का मुख्य उद्देश्य यह था की विद्यार्थी आपस में परिचय करें एवं और पर्यावरण में हो रही घटनाओं की चर्चा करें । जिसमें मुख्य तौर पर जलवायु परिवर्तन, बाढ़, भूस्खलन,सुनामी आदि पर विचार विमर्श किया गया । जिसमें विद्यार्थियों ने उत्सुक होकर एक दूसरे के साथ संवाद किया। इन प्रकृति समस्याओं को देखते हुए अपने सुझाव दिए। जिसमें जीवाश्म ईंधनों का जलाना, वनों को काटना और पशुपालन से जलवायु और पृथ्वी के तापमान पर तेजी से प्रभाव पड़ रहा है। इससे वायुमंडल में प्राकृतिक रूप से मौजूद ग्रीनहाउस गैसों में भारी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें जुड़ जाती हैं, जिससे ग्रीनहाउस प्रभाव और ग्लोबल वार्मिंग बढ़ जाती है। और इसमें बाढ़ को ले कर भी विचार विमर्श किया जिसमें
बाढ़ आने के और भी कई कारण हो सकते हैं, जैसे- तटीय क्षेत्रों में आने वाला तूफान, लंबे समय तक होने वाली तेज़ बारिश, हिम का पिघलना, ज़मीन की जल अवशोषण क्षमता में कमी आना और अधिक मृदा अपरदन के कारण नदी जल में जलोढ़ की मात्रा में वृद्धि होना। भूस्खलन के बारे में भी विचार रखे गए जैसे की वर्षा, बर्फ पिघलने, जल स्तर में परिवर्तन, धारा कटाव, भूजल में परिवर्तन, भूकंप, ज्वालामुखीय गतिविधि, मानव गतिविधियों द्वारा गड़बड़ी, या इन कारकों के किसी भी संयोजन से ढलानों में भूस्खलन शुरू हो सकता है। भूकंप के झटके और अन्य कारक भी पानी के भीतर भूस्खलन को प्रेरित कर सकते हैं। इस विद्यार्थी संवाद कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें