धर्मपुर डिपो नाम का! सभी बसें सरकाघाट से हुई ट्रांसफर!चार साल में एक भी नई बस मुहैया नहीं करवा पाये पॉवरफुल मंत्री-भूपेंद्र
धर्मपुर में चार साल पहले खोले गएहिमाचल पथ परिवहन निगम के बस डिपो में वर्तमान में कुल 48 बसें हैं जो 47 रूटों पर चलती हैं ये सभी बसेंरूट सहित सरकाघाट डिपो से ट्रांसफर की गई हैं।लेक़िन जलशक्ति मंत्री धर्मपुर के लिए तीन सालों में एक भी नई बस उपलब्ध नहीं करवा पाये हैं।वर्त्तमान में धर्मपुर में 44 और सरकाघाट में 71 बसें कम हैं जिस कारण सभी रूटों पर बसें नहीं चल रही है।पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने मंत्री पर आरोप लगाया है कि उन्होंने धर्मपुर में डिपो तो खोल दिया लेक़िन बस और स्टाफ़ की संख्या वही पुरानी है और तो और क्षेत्रीय प्रबन्धक भी चार साल से एक ही है।जिस कारण दोनों डिपो ज़रूरत के अनुसार जनता को बसें उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं।उन्होंने कहा कि धर्मपुर स्थित हिमाचल पथ परिवहन निगम के डिपो में वर्तमान में 44 बसों की कमी है।वर्तमान में इस डिपो में कुल 47 बसें उपलब्ध हैं लेकिन अगर सभी रूटों बसें चलानी हो तो इतनी ही बसों की और आवश्यकता है।धर्मपुर की कर्मशाला केवल मात्र 4 कर्मचारी ही कार्यरत हैं और 27 पद ख़ाली पड़े हैं।इसी प्रकार 18 पद चालकों के ख़ाली पड़े हैं।इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इस डिपो की हालत कैसी है।भूपेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले कुछ समय से यहाँ पर नई सड़कों का भी निर्माण हुआ है और उन पर बसें नहीं चल रही है और जिन रूटों पर बसें चलती भी हैं तो उन्हें वाया वाया करके चलाया जा रहा है जिससे जनता को भारी परेशानी होती है।बहुत से ऐसे रूट हैं जो कागज़ में तो हैं लेकिन उन पर बसें नहीं चलती हैं।उन्होंने कहा कि पिछले माह हिमाचल किसान सभा द्धारा आर एस धर्मपुर को सौंपे मांगपत्र के माध्यम से भी नई बसें चलाने की मांग की गई थी लेक़िन अभी तक उन रूटों पर बसें नहीं भेजी गई हैं।पूर्व पार्षद ने आरोप लगाया है कि धर्मपुर के विधायक व चार विभागों के मंत्री महेंद्र सिंह अपने चार साल के कार्यकाल में एक तरफ़ जहां सरकाघाट के डिपो को कमज़ोर किया है वहीं धर्मपुर डिपो के लिए एक भी नई बस उपलब्ध नहीं करवा पाये हैं उल्टा वे नये रूटों पर बसें चलाने के लिए झंडी जरूर दिखाते रहते हैं। जो भी बसें यहां चल रही हैं वे सभी सरकाघाट डिपो से ही यहां के लिए ट्रांसफर की गई है जबकि होना तो यह चाहिए था कि नया डिपो बनने पर बसें भी नई ली जाती जिससे सरकाघाट डिपो जो पहले से ही चल रहा था उसकी कर्यप्रणाली प्रभावित न होती।सबसे चिंताजनक हालत धर्मपुर वर्कशाप की है जिसके निर्माण के लिए अभी तक अलग से स्थान चयनित नहीं किया गया है और मैकेनिकों व अन्य तकनीकी कर्मचारियों के 27 पद ख़ाली हैं और केवल मात्र चार मकैनिक ही पूरे डिपो का काम करने के लिए मजबूर हैं।उन्होंने ये भी बताया कि इस डिपो का कैश अभी तक भी सरकाघाट में ही जमा हो रहा है तो क्या ये डिपो सभी तक भी पूर्ण रूप से यहां से नहीं चल रहा है।सुनने में तो यह भी आया है कि इस डिपो और बस स्टैंड का एरिया बाढ़ संभावित क्षेत्र में होने के कारण इसे अनापति प्रमाण पत्र अभी तक नहीं मिला है।इसलिए मंत्री को ये सपष्ट करना चाहिए कि क्या ये डिपो सरकार द्धारा पूर्ण रूप में स्वीकृत कर दिया है या नहीं।इसके अलावा यहां ख़ाली पड़े पदों को तुरन्त भरा जाना चाहिए और नई बसें उपलब्ध कराने के लिए क़दम उठाना चाहिए।भूपेन्द्र सिंह ने ये भी बताया कि बहुत से प्राइवेट बसों के रूट जो कोरोना काल से पहले चलते थे वे आजकल बन्द हो गए हैं।इसलिए उन्हें रद्द किया जाए और उन पर निगम की बसें चलाई जाये।
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