बागवानी मंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट शिवा अधर में!चार साल में नहीं हुई मार्केटिंग की सुविधा!
साढ़े तीन करोड़ रुपये ख़र्च करने के बाद दो क्लस्टरों में ही तैयार हुआ अमरूद!
BHK NEWS HIMACHAL
बागवानी विभाग व मंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट शिवा अधर में ही अटकता नज़र आ रहा है कियूंकि इस परियोजना के अंतर्गत तैयार हो रहे अमरूद की बिक्री का कोई प्रबंध अभी तक नहीं हो पाया है।शिवा प्रोजेक्ट के अंर्तगत धर्मपुर खण्ड में पिछले चार साल में 55 बागवानी क्लस्टर निर्मित करने का काम किया गया है और उनमें से गत वर्ष एक क्लस्टर में फ़ल तैयार हो गए थे और इस वर्ष दो अन्य क्लस्टरों में फ़ल आने वाले हैं। कुछ और पंचायतों के किसानों ने बगीचे लगाने के लिए आवेदन किये हैं लेक़िन पिछले कुछ महीनों से क्लस्टर स्थापित करने के काम में सुस्ती नोट की गई है।डरवाड़ ग्राम पंचायत के वार्ड नंम्बर एक में भी क्लस्टर स्थापित करने के लिए किसानों ने विभाग को गत वर्ष आवेदन किया है लेकिन पिछले आठ दस माह में उस पर कोई कार्यवाई नहीं हुई है।हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष मेहर सिंह पठानिया सचिव रणवीर शास्त्री,बालकृष्ण रागड़ा,सुरेंद्र पाल, अशोक कुमार, सागर चन्द, मान सिंह, धर्म सिंह, प्रेम सिंह, हँसराज, सूरत सिंह, शम्भू राम, पृथी सिंह, मनोहर लाल, कृष्ण देव, देवराज, अच्छर सिंह, लेख राज इत्यादि ने बताया कि उन्होंने डरवाड़ वार्ड नंम्बर एक में शिवा परियोजना के तहत बागवानी का क्लस्टर स्थापित करने के लिए दो बार आवेदन किये हैं लेकिन विभाग ने एक बार एक मीटिंग बुलाई थी जिसमें जल्दी ही भूमि का सर्वेक्षण करके कार्य प्रारंभ करने के लिए कहा था लेकिन अभी तक कोई भी काम शुरू नहीं हो पाया है और अब खेतों में बरसात के मौसम में पेड़ों की कटाई कठिन हो जाएगी।किसान सभा की मांग है कि विभाग इस बारे जल्दी स्थिति स्पष्ट करे कि क्या ये क्लस्टर स्थापित हो सकता है या नहीं।उधर पूर्व ज़िला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने विभाग पर आरोप लगाया है कि इस परियोजना का कार्य पिछले छह महीने से ढीला हो गया है जबकि बागवानी मंत्री का ये ड्रीम प्रोजेक्ट है।बहुत से क्लस्टरों में लोगों ने पेड़ काट दिए हैं लेकिन अभी तक वहां फेंसिंग नहीं हुई है और न ही पौधे लगाए गए हैं।जबकि विभाग ने इस परियोजना के तहत भूमि को तैयार करने और फेंसिंग पर 2 करोड़ तीस लाख रुपये खर्च किये हैं और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए कुछ क्लस्टर्ज को सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध कराने के लिए सवा करोड़ रुपये ख़र्च किये हैं।भूपेंद्र सिंह ने कहा कि बिना सिंचाई योजना के इन बगीचों का सफ़ल होना मुशिकल है।उन्होंने कहा कि बागवानी मंत्री इस परियोजना के अंतर्गत लगने वाले बगीचों को धर्मपुर में युवाओं को रोज़गार के वैकल्पिक साधन के रूप में प्रचारित करते रहते हैं लेकिन वास्तव में अभी तक किसी को भी रोज़गार उपलब्ध नहीं हुआ है।दूसरी तरफ मंत्री के घर के पास दबरोट में लगाये गए बगीचे में पिछले सीजन में अमरूद की फ़सल तैयार हो गई थी लेकिन उसे विक्री करने के लिए इस परियोजना में कोई प्रबंध नहीं किया गया है जिस कारण किसानों को सड़क किनारे बैठ कर और नज़दीकी गांवों में जाकर ही अमरूद बेचना पड़ा था।इसलिए इनकी बिक्री हेतु धर्मपुर में सब्जी मंडी खोलने की आवश्यकता है।
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