शनिवार, 24 दिसंबर 2022

धर्मपुर में कार्यालयों व संस्थानों को बन्द करना ग़लत-भूपेंद्र सिंह मुख्यमंत्री द्धारा बिना मन्त्रिमण्डल अनुमोदन के छह सौ से ज़्यादा संस्थान बन्द करना है जनादेश का अपमान

 धर्मपुर में कार्यालयों व संस्थानों को बन्द करना ग़लत-भूपेंद्र सिंह


मुख्यमंत्री द्धारा बिना मन्त्रिमण्डल अनुमोदन के छह सौ से ज़्यादा संस्थान बन्द करना है जनादेश का अपमान




मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी धर्मपुर व सरकाघाट लोकल कमेटी ने धर्मपुर और सरकाघाट विधानसभा क्षेत्र में नई सरकार द्धारा डिनोटिफाई किये गये एक दर्ज़न से ज़्यादा कार्यालयों व संस्थानों के फैसले की निंदा की है और इसे जनता द्धारा कांग्रेस को दिए जनादेश का अपमान बताया है।पार्टी ने कहा है कि कांग्रेस को मिला जनादेश भाजपा द्धारा लागू की गई जनविरोधी नीतियों का परिणाम है और कांग्रेस सरकार को पिछली सरकार द्धारा दी गई सुविधाओं को छीनने के बजाये उनसे बेहतर काम करने चाहिए लेक़िन सरकार ने अपना काम उल्टी दिशा से शुरू किया है जो सही नहीं है।माकपा ने मंडी ज़िला में जीते एकमात्र कांग्रेस पार्टी के विधायक चन्द्र शेखर से भी इस बारे स्थिति स्पस्ट करने की मांग की है।पार्टी के सचिव व पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू के नेतृत्व में अभी बनने की प्रक्रिया में ही है और अभी मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री ही बनाये गये हैं।कई कारणों से अभी तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है और न ही विधायकों को शपथ दिलाई गई है।लेक़िन इसी दौरान  नई सरकार ने पिछली सरकार के द्धारा खोले गए छह सौ के आसपास कार्यालयों और संस्थानों को डिनोटिफाई कर दिया है जिससे पूरे प्रदेश में लोगों में इस सरकार को बनाने वाले और भाजपा को हराने वाले मतदाताओं में सरकार के प्रति 15 दिनों में ही असंतोष पैदा हो गया है और इन फैसलों से सत्ता से बाहर हुई भाजपा को सरकार पर हमला बोलने का मौका मिल गया है।मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी  ने सरकार के इन फ़ैसलों को तुरंत रोकने की मांग की है और जो संस्थान खोले गए थे उन्हें बहाल किया जाये। बड़े पैमाने पर कार्यालय और संस्थान बन्द करने की मुहिम शुरू की  है वो सही नहीं है।उन्होंने कहा कि नई सरकार के मुख्यमंत्री को पहले मन्त्रिमण्डल गठित करना चाहिए और उसके बाद पहले अपने चुनावी घोषणापत्र और गारंटियों को लागू करना चाहिए और पिछली सरकार के उन कार्यों की समीक्षा होनी चाहिये जिनमें बड़े पैमाने पर भृष्टचार हुआ है।भूपेंद्र सिंह ने धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में पिछली सरकार द्धारा खोले गये संस्थानों को बन्द करने पर विरोध जताया है और किया और यहां के नवनिर्वाचित विधायक से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है और विधायक द्धारा बन्द किये गए संस्थानों बारे मीडिया में दिए गए उस ब्यान पर भी हैरानी जताई जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें इस बारे कोई जानकारी नहीं है।अगर उनकी जानकारी और पूछे बिना ही ये सब संस्थान बन्द किये गए हैं तो उन्हें इस बारे अपनी आपत्ति मुख्यमंत्री के पास जतानी चाहिए ताकि धर्मपुर की जनता जिसने यहाँ से महेंद्र सिंह के बेटे को हरा कर इतिहास रचा है ये उस जनता की तोहहीन करने का काम किया गया है।भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी धर्मपुर कमेटी और यहां की जनता ने वैचारिक मतभेदों को दरकिनार करते हुए कांग्रेस को मतदान किया है और अब ये सब जो हो रहा है उससे जनता में भारी निराशा पैदा हो रही है। उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि ये सब यहां से पूर्व जलशक्ति मंत्री और उनके परिवार की तानाशाही और भृष्टचार से छुटकारा पाने के लिए ही जनता में व्यापक एकजुटता क़ायम हुई थी।लेक़िन अगर नई सरकार इस प्रकार के फ़ैसले लेगी और  यहां के विधायक जनता की सुविधाओं की रक्षा नहीं करते हैं तो उनका विरोध भी समय से पहले ही शुरू हो सकता है।इसलिए नई सरकार और यहाँ से जीते कांग्रेस के विधायक को बन्द किये गए कार्यालयों के बारे जल्द  जनता में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।भूपेंद्र सिंह ने एक और सवाल खड़ा किया है कि जिस तरह से मुख्यमंत्री ने अप्रैल 22 के बाद के सारे निर्णयों की समीक्षा करने का फैसला लिया है इससे तो ये निष्कर्ष निकलता है कि उन्होंने पिछली सरकार का कार्यकाल अप्रैल में ही ख़त्म कर दिया है और उसके बाद उन्होंने जो निर्णय लिए थे उन सभी को निरस्त करने वाली कर्यप्रणाली अपना ली है। सरकार की ये कार्यप्रणाली सही नहीं है और असवैधानिक भी है।अतः सुखू के नेतृत्व वाली सरकार सबसे पहले मंत्रिपरिषद गठित करके अपने वायदों को पूरा करने के लिए फ़ैसले लेने चाहिये और प्रदेश में वित्तिय संसाधनो की कमी को कैसे पूरा करना है उसके इंतजाम करने चाहिए।



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