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रविवार, 2 अप्रैल 2023

मनरेगा मज़दूरों के लाभों पर फैसला आज* *बोर्ड सदस्य भूपेंद्र सिंह ने कहा लाभ रोकने का फ़ैसला गैरकानूनी,इन्हें जारी रखने के लिए उठाएंगे मुद्दा*

 *श्रमिक कल्याण बोर्ड से रुके मनरेगा मज़दूरों के लाभों पर फैसला आज*


*बोर्ड सदस्य भूपेंद्र सिंह ने कहा लाभ रोकने का फ़ैसला गैरकानूनी,इन्हें जारी रखने के लिए उठाएंगे मुद्दा*




ज्योति सुन्दर नगर: प्रदेश में बनी नई सरकार द्धारा पुनर्गठित राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड की महत्वपूर्ण बैठक आज 3 अप्रैल को होटल हॉलीडे होम शिमला में होने जा रही है।जिसकी अध्यक्षता श्रम और स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनी राम शांडिल करेंगे।ये बैठक इसलिये महत्वपूर्ण है कि इसमें बोर्ड में पिछले छह महीने से बन्द पड़े  कार्यों को पुनः बहाल करने के लिए चर्चा होगीऔर उन्हें जारी रखना है या नहीं इस पर निर्णय लिया जायेगा।गौरतलब है कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के दूसरे ही दिन 12 दिसंबर 2022 को बोर्ड के सचिव द्धारा जारी आदेशों के बाद बोर्ड में मनरेगा और निर्माण मज़दूरों का पंजीकरण और नवीनीकरण रोक दिया गया है तथा उन्हें मिलने वाली सहायता राशी भी रोक दी गई है जो अभी तक भी शुरू नहीं कि गयी है।जिसके चलते प्रदेश के साढ़े चार लाख मज़दूर प्रभावित हो रहे हैं। बोर्ड के इस मज़दूर विरोधी फैसले का सभी मज़दूर संगठनों ने विरोध किया है और सीटू के बैनर तले मजदूरों ने इसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन भी शुरू कर दिये हैं जिसके चलते 15,16 और 27  मार्च को प्रदेश में जगह जगह प्रदर्शन हुए हैं।हिमाचल सरकार ने 15 सदस्यीय बोर्ड की अधुसूचना जारी की है जिसमें कुल 15 सदस्य हैं और उनमें पांच सदस्य रजिस्टर्ड मज़दूर संगठनों के भी शामिल किये गये है।मज़दूर यूनियनों के प्रतिनिधिओं में धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र से सबन्ध रखने वाले सीटू के ज़िला अध्यक्ष व पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह को भी इस बार बोर्ड शामिल किया गया।भूपेंद्र सिंह ने कहा कि बोर्ड  ने जो 12 दिसंबर को आदेश जारी किए हैं वे मज़दूर विरोधी हैं और भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार क़ानून के विपरीत हैं और बिना बोर्ड में चर्चा के जारी कर दिए गए हैं।जिसके कारण पंजीकृत मज़दूरों को मिलने वाली सहायता बन्द हो गई है और उनका पंजीकरण और नवीनीकरण भी रुक गया है।उन्होंने कहा कि उन्होंने बोर्ड को दस सूत्रीय एजेंडा बोर्ड को चर्चा के लिए भेज दिया है जिसके तहत 12 दिसंबर को जारी पत्र को तुरन्त वापिस लेने की मांग की है और मनरेगा और निर्माण मज़दूरों के लाभ तुरन्त जारी करने की भी मांग उठाई है।सेस (उपकर) अदा करने की शर्त भी ग़लत तरीके से लगाई गई है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बनने वाले भवनों पर सरकार ने ऐसा कोई भी उपकर अदा करने का निर्णय नहीं लिया है।लेकिन बोर्ड में पंजीकरण कराने के लिए इसे अब जरूरी शर्त बना दिया है जिसके चलते अब पंजीकरण भी रुक गया है।भूपेंद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने 8 फ़रवरी को एक और अधिसूचना जारी करके मज़दूर यूनियनों को रोज़गार पत्रों को जारी करने और उनके सत्यापन के अधिकारों को भी छीन लिया है जबकि ये नियम वर्ष 2008 में विधानसभा में चर्चा के बाद तय किये गए थे लेकिन अब चार पांच अधिकारियों की कमेटी ने इन नियमों में संशोधन कर दिया है।जिसका सभी मज़दूर संगठनों ने विरोध किया है और इसे वर्तमान सरकार का मज़दूर विरोधी फ़ैसला बताया है।भूपेंद्र सिंह ने बताया कि इस मुद्दे पर सभी मज़दूर संगठन एकमत और एकजुट हैं और इसे लेकर आज की मीटिंग हँगामापूर्ण होने वाली है।



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