*सिरिगढ़ क्षेत्र के 6 फाटी के मालिक कुई कण्डा विंगली नाग देवता की नई कोठी बनकर तैयार*
*उमाशंकर दीक्षित*
*दलाश (कुल्लू )।* सिरिगढ़ क्षेत्र के कुई कण्डा नाग देवता का दिव्य और भव्य नई मंदिर कोठी बनकर लगभग तैयार हो चुकी है। इस कोठी का निर्माण ग्राम पंचायत व्यूँगल के शगोगी गाँव में क्षेत्रवासियों द्वारा भारी सहयोग देकर किया गया है । नाग देवता की यह कोठी तिमंजिला स्लेटदार व काठकूणी शैली में अति सुन्दर बनकर तैयार हो गई है। यह भीमकाय कोठी लोगों द्वारा अलग से बनवाई गई है परन्तु मंदिर का पुरानी कोठी यथावत है।
नाग देवता साहब को इस नव नवेली कोठी में विराजमान होने में अभी थोड़ा वक़्त लगेगा।
इस मंदिर के प्रति लोगों की अगाध श्रद्धा जुडी है। लोगों ने देवता की नव कोठी निर्माण के लिए खुलकर अनुदान दिया है।
कुई कण्डा नाग का अपना एक प्राचीन गूढ इतिहास है। बताया जाता है कि यह नौ नागों में सबसे छोटा नाग है। जो बड़ा चमत्कारी तथा कल्याणकारी है। इसका स्वभाव भले ही उग्र और उत्पाती है परन्तु अपने भक्तों को दुःख व कष्टों से मुक्त करवाता है। नाग देवता का मूल स्थान नौनू की पहाड़ी कुई कण्डा नामक स्थान से है जहाँ नागदेवता का प्राचीन मंदिर जो उसका मूल स्थान है अर्थात नाग की उत्पति इसी स्थान से कुई नामक कांटेदार फूल की झाड़ी से हुआ है। बताया जाता हैं यहां पर अंदर नाग की पत्थर मूर्ति है। जिसका चमत्कार देखा गया है इस पत्थर मूर्ति से कई वार नागदेवता ने कुई के फूल में निकलकर दर्शन दिए हैं। यह कुई का पौधा फिर लुप्त हो जाता है। मंदिर के कार कारिंदे इस चमत्कार को पहले देख चुके हैं। तभी इस नागदेवता को कुई कण्डा नाग देवता से जाना जाता है। वर्तमान समय में यहां पर एक भव्य मंदिर तान्दी नाग के भक्तों के अथक प्रयासों तथा विंगली नाग भक्तों के सहयोग बना है।
मुलत: ये नौ नाग बूढी नागिन के पुत्र माने गए हैं। इसका निवास स्थान सरेउलसर में है जहाँपर प्राचीन झील है। इसी झील में बूढी नागिन का वास है।
मंदिर कमेटी के प्रधान मेघ राम ठाकुर, कारदार बिहारी लाल तथा मौथा हेमराज ने बताया कि नाग देवता पांच फाटी और छट्टी फाटी गाड़ाडीम को मिलाकर 6 फाटी का मालिक है।लोगों ने देवता की नई कोठी निर्माण के लिए खुलकर अनुदान दिया है। यह मंदिर कोठी लगभग एक करोड़ अस्सी लाख की लागत से तैयार किया जायेगा। कोठी के भीतरी भाग में अब निकाशी व मुरम्मत कार्य करना शेष रहता है जिसे पूरा करने में अभी दो वर्ष का समय लगेगा।
उन्होंने बताया कि भाषा विभाग कुल्लू के लिए 50 लाख की अनुमानित राशि के लिए दस्तावेज भेज दिए हैं जिसकी स्वीकृति जल्द मिलने वाली है। मंदिर निर्माण में पूरी कमेटी का भरपूर सहयोग मिल रहा है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें