हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों के प्राचार्य छात्रसंघ चुनावों की बहाली के पक्ष में नहीं
समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी प्राप्त हुई है कि हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों के प्राचार्य छात्रसंघ चुनावों की बहाली के पक्ष में नहीं हैं। ऐसे में नए शुरू हो चुके शैक्षणिक सत्र 2023-24 में भी प्रत्यक्ष छात्रसंघ चुनाव बहाल होने की संभावना नजर नहीं आ रही। बुधवार को एचपीयू में कुलपति प्रो. एसपी बसंल की अध्यक्षता में हुई बैठक में छात्रसंघ चुनावों को लेकर राय ली गई। बैठक में मौजूद और वर्चुअल मोड से जुड़े कॉलेज प्राचार्यों ने प्रत्यक्ष की जगह पहले की तरह अप्रत्यक्ष रूप से मेरिट आधार पर मनोनयन से एससीए गठन को लेकर अपनी राय रखी। कॉलेज प्राचार्यों ने तर्क दिया कि अप्रत्यक्ष चुनाव प्रक्रिया के लागू होने के बाद परिसरों में हिंसा की घटनाएं कम हुई हैं। प्राचार्यो द्वारा दी गई दलीलों की SFI राज्य कमेटी प्राचार्यों द्वारा दिये तर्कों की प्रेस विज्ञाप्ति के माध्यम से कड़े शव्दों में निंदा करती है तथा राज्य सरकार से अपील करती है कि छात्र संघ चुनावों को बहाल किया जाए।
*SFI राज्य सचिव अमित ठाकुर ने कहा कि* 2014 में कांग्रेस सरकार के समय प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव बन्द हुए थे तथा आज 10 साल होने को हैं लेकिन अभी तक छात्र संघ चुनाव बहाल नहीं हो रहे। छात्रों के पास अपनी मांगों को मजबूती से उठाने के लिए SCA ही एक मंच होता था जो सरकार द्वारा छात्रों से छीन लिया गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार में चुने हुए लगभग नुमाइंदे छात्र राजनीति से निकले हैं लेकिन आज छात्र संघ चुनावों को बहाल करने के लिए सरकार अपने कदम पीछे खींच रही है। अमित ने कहा कि अच्छे राजनेता कॉलेज विश्वविद्यालयों से निकलते हैं क्योंकि वह कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों से राजनीति सीखते थे तथा समाज के लिए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। इसलिए छात्र संघ चुनाव बहाल किये जाएं। उन्होंने कहा कि 2017 में भाजपा छात्र संघ चुनावों को बहाल करने के वादे के साथ सत्ता में आई थी लेकिन उन्होंने छात्रों के साथ सौतेला व्यवहार किया तथा अपना वादा पूरा नहीं किया। लेकिन अब कांग्रेस सरकार भी इसी वादे को लेकर सत्ता में आई है इसलिए सुक्खू सरकार से भी गुजारिश है कि वादे को पूरा करते हुए छात्र संघ चुनाव बहाल किये जाएं
*राज्य अध्यक्ष रमन थारटा ने कहा कि* "हिमाचल में जितनी भी छात्रों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है वह छात्र राजनीति के अभाव के बिना हो रहा है क्योंकि पहले यदि छात्रों पर कोई फैंसला लागू होता था उसमें SCA द्वारा चुने गए लोग भी भाग लेते थे तथा जो नीति छात्र विरोधी होती थी उसके ख़िलाफ़ वह चुने हुए लोग खड़े हो जाते थे जिससे कोई भी छात्र विरोधी नीति लागू नहीं हो पाती थी लेकिन आज छात्र संघ चुनावों के अभाव में प्रशासन हर वो नीति लागू कर रहा है जिससे शिक्षा का व्यापारीकरण, निजीकरण तथा भगवाकरण हो रहा है क्योंकि नीति निर्धारण के समय कोई भी छात्र प्रतिनिधि उस नीति निर्धारण कमेटी में नही होता है।
2014 के बाद रूसा , फीस वृद्धि जैसी नीतियां छात्रों पर थोंपी गई। आज विश्वविद्यालय में फर्जी प्रोफेसर भरे जा रहे हैं जिसका ख़ुलासा RTI के माध्यम से भी SFI ने किया है इसी के साथ विश्वविद्यालय में ERP जैसा सिस्टम थोंप कर छात्रों का भविष्य बर्बाद किया जा रहा है क्योंकि आज छात्रों के पास अपनी बात रखने के लिए कोई मजबूत मंच नहीं है। छात्र संघ चुनाव बन्द करके छात्र राजनीति को कमजोर किया गया वह छात्र राजनीति जो छात्रों के अधिकारों के लिए लड़ती थी।"
इसलिए एसएफआई ये मांग करती है कि छात्र संघ चुनाव बहाल किये जाएं क्योंकि यदि प्राचार्य माहौल खराब होने का हवाला दे रहे हैं तो देश में भी तो हिंसाएं चुनावो के दौरान होती है इसलिए ये तर्कसंगत फैंसला नहीं है। एसएफआई ये मांग करती है कि 29 अगस्त को होने वाली EC की बैठक में छात्र संघ चुनाव बहाल करने का निर्णय लिया जाए ताकि छात्रों के जनवादी अधिकारों की रक्षा हो सके तथा छात्र विरोधी निर्णय के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल सकें। यदि 29 अगस्त के दिन EC की बैठक में छात्र संघ चुनाव बहाल नहीं होते हैं तो SFI निर्णायक आंदोलन करेगी।
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