*एसएफआई हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में ABVP के गुंडों द्वारा किए गए जानलेवा हमले और ABVP , आरएसएस की बढ़ती गुंडागर्दी के खिलाफ प्रेस वार्ता का आयोजन किया।*
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में बीते 11 मार्च 2025 को ABVP, भाजपा व आरएसएस के 40 से 50 गुंडों ने SFI के कैंपस अध्यक्ष सहित 5 छात्रो पर जानलेवा हमला किया गया। इस हमले में 6 छात्रों को गंभीर चोटे आई है व एक छात्र अभी भी IGMC में उपचाराधीन है।
यह हमला सुनियोजित तरीके से विश्वविद्यालय परिसर के अंदर पुलिस की मौजूदगी में तेजधार हथियारों (दराट, खुखरी) से किया गया।
यह हमला उस समय किया गया है जब हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शिक्षक,गैर शिक्षक , व छात्र अपनी मूलभूत सुविधाओं की मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शनरत है। वर्तमान समय हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति दयनीय है विश्वविद्यालय प्रशासन संसाधन जुटाने की आड़ में विश्वविद्यालय के अंदर छात्रों की बुनियादी ज़रूरत पर भी कटौती कर रहा है विश्वविद्यालय में अस्थाई नियुक्तियां की जा रही है आउटसोर्स भर्तियों के खिलाफ शिक्षक, गैर शिक्षक व छात्र विरोध में है। SFI 2019/20 में हुई अवैध प्रोफ़ेसर भर्तियों पर लगातार जांच करवाने को लेकर आंदोलन में है इन भर्तियों के ज़रिए कैसे भाजपा ,आरएसएस के लोगों को अवैध तरीके से भर्ती किया गया है । कुछ दिनों पहले SFI ने छात्रों को लामबंद करते हुए चक्का जाम किया था जो कि छात्रों को बसों की सुविधा बढ़ाने को लेकर किया गया था। और साथ में छात्रवासों की मरम्मत व छात्रावासों को 24 घंटे खुला रखे जाने की मांग को लेकर SFI द्वारा शुरू किए गए आंदोलन में छात्रों की भागीदारी बढ़ते जा रही है और ABVP द्वारा किए गए जानलेवा हमले से उनकी बौखलाहट का पता चलता है।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब जब छात्र आंदोलन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाता है,तब तब ABVP द्वारा शिक्षण संस्थानों के अंदर शैक्षणिक माहौल को खराब किया जाता है। एबीवीपी की गुंडागर्दी के ऐसे अनेकों उदाहरण है। हाल ही में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय व ऐसे अनेको शिक्षण संस्थानो में इनकी गुंडागर्दी सामने आयी है।
SFI का मानना है कि ABVP एक फासीवादी संगठन है जो RSS /BJP की छत्रछाया में खुलेआम लोकतंत्र-विरोधी कार्य करता है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय,शिमला के ABVP के गुंडों को संरक्षण संघ विचारधारा के प्रोफ़ेसर देते है जो कि शिमला शहर में कई हिंसाओं( संजौली मस्जिद विवाद, रामकृष्ण मिशन आश्रम पथराव)में शामिल रहे है। जो शहर के सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने का कार्य करते आए है।ABVP के लोग द्वारा कई बार कैंपस में आकर दिन दिहाड़े छात्रों पर जानलेवा हमले किए गए और इन्हीं प्रोफ़ेसर और प्रशासन की मिलीभगत से हर बार मामले दबा दिए जाते हैं। विश्विद्यालय में प्रोफेसर खुलेआम ABVP की गतिविधियों में भाग लेते है जो कि विश्विद्यालय ऑर्डिनेंस के कंडक्ट रूल 35.20 की शरेआम अहवेलना है परंतु विश्विद्यालय प्रशासन द्वारा कोई भी कार्यवाही इन पर नहीं की जा रही । इस घटना को अंजाम देने में भी इन्हीं प्रोफ़ेसरों की संलिप्तता है जिन्होंने इस सुनियोजित हमले की योजना बनाई। SFI की मांग है कि इन सभी प्रोफेसरों पर भी ठोस कार्यवाही विश्विद्यालय प्रशासन व प्रदेश सरकार द्वारा की जाए।
SFI राज्य कमेटी ने आरोप लगाया है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार प्रदेश में RSS व उसके संगठनों द्वारा फैलाई जा रही सांप्रदायिकता व शिक्षा के भगवाकरण को रोकने में नाकाम साबित हुई है। देश भर में जहां कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व RSS व उसके फासीवादी विचार से लड़ने की बात करता है वहीं प्रदेश में कांग्रेस सरकार इनके सामने घुटने टेकती हुई नजर आती है जो कांग्रेस के दोगले चरित्र को उजागर करता है।
SFI का मानना है कि शैक्षणिक परिसरों को फासीवादी ताकतों के हाथों में नहीं छोड़ सकते SFI मीडिया के माध्यम से आम जनता व सभी प्रगतिशील संगठनों से आहवान करती है कि सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ व फासीवादी विचार के खिलाफ एकजुटता दिखाएं।
SFI सरकार व पुलिस प्रशासन से मांग करती है कि इस हिंसा में शामिल सभी लोगों पर जिन पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 (जो कि किसी व्यक्ति को जान से मारने का प्रयास करने के लिए लगाई जाती है )और भी अन्य कई धाराओं में मुकद्दमा बालूगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है सभी को गिरफ़्तार किया जाए।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग करती है
SFI का आरोप है कि घटनाक्रम को 5 दिन बीत जानें के बाद भी अभी विश्वविद्यालय प्रशासन ने किसी भी तरह की कार्यवाही इन गुंडों के खिलाफ नहीं की है,इसलिए sfi विश्वविद्यालय प्रशासन से भी यह मांग करती है कि इन गुंडों पर कड़ा संज्ञान ले और उचित कार्यवाही करें।
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